बाबरी मस्जिद का टूटना भले ही भारतीय कानून की दृष्टि में एक आपराधिक घटना है, लेकिन हिन्दुओं के इतिहास के हिसाब से यह उस आस्था के साथ न्याय है जिसके मंदिर की दीवार पर मस्जिद खड़ी की गई थी।
सीएफआई से जुड़े लोगों पर अपने से परे विचार रखने वाले लोगों की हत्या के गंभीर आरोप हैं। बावजूद इसके सोशल मीडिया में नैतिकता बघारने वाले गोपीनाथन ने उसके कार्यक्रम में अपने विचार रखे।
कुछ सोशल मीडिया यूज़रों ने रिपोर्ट करने की प्रक्रिया भी स्टेप बाई स्टेप बतानी शुरू कर दी है। सलाह दी है कि रिपोर्ट करते समय कैटेगरी में 'अब्यूसिव ऑर हार्मफुल कंटेंट' रखा जाए।
पर्सिया के बादशाह ने पैगम्बर मुहम्मद की चिट्ठी को फाड़ डाला। पैगम्बर ने तब कई राजाओं को लिखा था कि अगर तुम इस्लाम नहीं अपनाओगे तो तुम्हारा साम्राज्य तहस-नहस हो जाएगा। पैगम्बर ने इस्लामी सैनिकों को 'जिहादी' की संज्ञा दी थी। 1400 वर्ष पूर्व शुरू हुई इस कहानी को जानने के लिए...
"सोशल मीडिया और व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग एप के ज़रिए लोगों को आतंकवादी बनाने को लेकर काम तेज़ी से चल रहा है। इस सम्बन्ध में भारतीय अधिकारियों ने वैश्विक सोशल मीडिया कम्पनियों के प्रतिनिधियों से भी मुलाक़ात की है।"
"अगर मुझे जल्दी उत्तर नहीं मिला तो समझना कि स्वीडिश पुलिस और सीमा बल के लिए यह मेरी आखिरी चेतावनी है, वरना अल्लाह की मर्ज़ी से मैं किसी की परवाह किए बगैर इस राजा का सर काट दूँगा, काट कर अलग कर दूँगा, फिर चाहे इसके लिए क्यों न मुझे अपना ही सर कटवाना पड़े।"
"बगदादी मरा क्योंकि पूरे विश्व के मुस्लिमों ने उसे खारिज कर दिया था और उसकी जहरीली मानसिकता के ख़िलाफ़ लड़ाई की थी। उसने अपनी राजनीति साधने के लिए इस्लाम पर कब्जा कर लिया था, वो 21वीं सदी में इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन था।"
शुभकामना संदेश को लेकर समुदाय विशेष के लोगों ने जहीर को किया ट्रोल। ट्रोल करने वाले उमर को राणा अय्यूब, निखिल वागले और सबा नकवी जैसे लिबरल पत्रकारों के साथ ही संजय निरुपम जैसे कॉन्ग्रेसी भी फॉलो करते हैं।
27 अक्टूबर सुबह ट्रंप ने ट्वीट करते हुए किसी बड़ी घटना के होने की जानकारी देते हुए सभी को चौंका दिया। इसी दौरान खबर है कि इस्लामिक स्टेट के सरगना बगदादी के खिलाफ अमेरिका ने कार्रवाई शुरू करते हुए, उसे मार गिराया है।
सबके अंत में एक ही मकसद: कमलेश तिवारी की गर्दन काटनी है। ये किसी व्यक्ति की सोच नहीं है, ये सामूहिक सोच है जो किसी व्यक्ति के माध्यम से फलित होती है। कमलेश तिवारी की हत्या अशफाक और मोइनुद्दीन ने ही नहीं, एक मजहब ने की है जो ऐसे लोगों को रोकना तो छोड़िए, उनकी निंदा तक नहीं कर पाता।