अबरार ने जो फर्जी न्यूज शेयर की थी, उसमें कहा गया था कि वैष्णो देवी के मंदिर में फँसे 400 लोगों में से 145 लोगों का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है। बाकियों का टेस्ट जारी है और नए मामले भी सामने आ सकते हैं।
आरिफ ने बताया कि वो रात भर साइकिल चला कर गुजरात-राजस्थान सीमा तक पहुँचे थे। अगली सुबह गुजरात पुलिस के कुछ जवान उन्हें मिले। उन्होंने उनके लिए न सिर्फ़ जम्मू-कश्मीर जाने का प्रबंध किया, बल्कि भोजन की भी व्यवस्था की।
पुलिस द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि इंस्पेक्टर आईबी अजमेरी और सब इंस्पेक्टर एसएस डरैया शुक्रवार को ड्यूटी पर तैनात थे। इसी दौरान दोनों आहवा कलेक्टर कार्यालय के निकट की मस्जिद में मौलवी और अन्य के साथ सामूहिक नमाज पढ़ने चले गए।
अहमदाबाद में पुलिस को तब निशाना बनाया गया जब वह निजामुद्दीन के मरकज से निकले लोगों की तलाश कर रही थी। इससे पहले मधुबनी, भिलाई, सोलापुर, बोंगाईगॉंव जैसे कई जगहों पर पुलिस के काम में बाधा डालने की कोशिश समुदाय विशेष की तरफ से हो चुकी है।
6 दिनों में राज्य के 4 शहरों में 2200 बेड का कोविड हॉस्पिटल तैयार किया गया है। अहमदाबाद में 1,200 बेड और 50 ऑपरेशन थियेटर की सुविधा वाला नया सिविल अस्पताल। सूरत में 500 बेड का अस्पताल। वडोदरा में 250 बेड का अस्पताल और राजकोट में 250 बेड की सुविधा है।
दुकान का नाम गुजराती में लिखा हुआ है। ऑपइंडिया ने इस फोटो को लेकर और चीजें पता लगाने की कोशिश की और पाया कि बोर्ड पर 'चन्द्रमानवाला' लिखा हुआ है, जो गुजरात के पाटन के पास स्थित है।
अब तक देश में 344 मामले सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि अब इस वायरस का प्रकोप तीसरे स्टेज में पहुँच रहा है, जो चिंता का विषय है। गुजरात में सरकार ने लॉकडाउन की भी घोषणा की है। अभी तक देश भर के विभिन्न राज्यों में लगभग 75 जिलों में लॉकडाउन की घोषणा की जा चुकी है।
मुस्तफा 10 मार्च को दुबई से लौटा था। एक हफ्ते अहमदाबाद में रहने के बाद वह 17 को जामनगर पहुॅंचा। वहॉं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उससे संपर्क किया। लेकिन आइसोलेशन में भेजे जाने से पहले वह फरार हो गया।
चारों युवकों के हाथ में थैला देखकर पुलिस को शक हुआ और जब उन्हें रोककर छानबीन हुई तो उसमें से 100 से ज्यादा तलवारें निकलीं। इसके बाद आरोपितों ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की, फर्जी रसीद दिखाई। मगर सख्ती से पूछताछ पर सब सच्चाई उगल दी।
NSUI नेता अहर्निश मिश्रा बार-बार प्रोफ़ेसर पर यह बोलने का भी दबाव बना रहा था कि “बोल, मैं अतुल, मेरी माँ का भो#$@।” NSUI नेताओं ने माँ सरस्वती के लिए भी अपशब्दों का प्रयोग किया और संस्कृत भाषा का मजाक बनाया। जान से मार डालने की धमकी दी।