"तुम बिहारी हो?" हाँ में जवाब देते ही वह गाली देने लगा। आरोपित ने रवि राज से कहा- "यह दिल्ली है, सलीके से रहा करो।" इसके बाद विजय ने रवि राज को फिर दाे थप्पड़ मारे, कान पकड़ उठक-बैठक लगवाने के बाद यह हिदायत भी दी कि आगे कभी भी मिलो तो नाक रगड़कर प्रणाम करना।
जिस समस्य एक नंबर लाइन पर पैसेंजर ट्रेन खड़ी थी, उसी दौरान कंट्रोल द्वारा थ्रो पास कराने को कहे जाने के बाद स्टेशन अधीक्षक ने सम्पर्क क्रांति को भी दो नंबर लाइन की बजाय एक नंबर लाइन का ही पास दे दिया था।
2 अगस्त 2005 को तब के विधायक सुनील ने गाड़ी से उतर कर अपने हाथ में लिए बंदूक के कुंदे से गर्भवती मंजू देवी के पेट पर मारा था। मार के बाद मंजू देवी का गर्भपात भी हो गया था और इलाज के दौरान उनकी मौत भी हो गई थी। इसे मामले में कोर्ट ने...
पीड़ित बच्ची ने बताया - गिरफ्तार आरोपित महिला नाबालिग लड़कियों को डिमांड के अनुसार लखनऊ एवं दिल्ली भी लेकर जाती थी। यहाँ जबरन देह-व्यापार कराया जाता था। इस पूरे मामले में करीब 10-12 लड़कियों से ऐसा करवाया जाता था।
दलित हरिजन महिलाओं के लिए मिथिला का समाज बहुत रुढ़िवादी रहा है। लेकिन कागज पर पेंटिंग बना कर बेचने का मौका जब इन्हें मिलने लगा, तो एक नया द्वार खुल गया। लेकिन फिर शुद्धतावादियों और आधुनिकतावादियों में चर्चा शुरू हो गई। कुछ लोग लोक कला से पौराणिक कथाओं का जाना परंपरा का नष्ट होना बताते हैं, वहीं कुछ लोग...
बाढ़ से बिहार में अब तक करीब सौ लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के 12 जिलों के करीब 26 लाख लोग इससे प्रभावित हैं। राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के खाते में भेजने के लिए 6000 करोड़ रुपए मुहैया कराए हैं।
कथित पशु तस्करों के परिजनों ने ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। पुलिस पशु तस्करों के आपराधिक रिकॉर्ड की जॉंच भी कर रही है। मृतकों की पहचान नौशाद क़ुरैशी, राजू नट और वीरेश नट के रूप में की गई है।
विधानसभा के पास प्रदर्शन कर रहे संविदा शिक्षकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने न सिर्फ़ आँसू गैस के गोले छोड़े, बल्कि वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद शिक्षकों पर लाठियाँ भाजी गईं। उनकी जम कर पिटाई की गई।
बिहार सरकार के आँकड़ों की ही मान लें तो अब तक बाढ़ से 67 लोगों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर शव स्थानीय लोगों ने अपनी जान जोखिम में डाल तलाशे हैं। सरकारी अमला जिन गोताखोरों और बचाव दल की तैनाती का दावा कर रहा है वे नजर नहीं आ रहे।
पटना विशेष शाखा के एसपी ने बीते साल मई में सभी डीएसपी को पत्र भेज कर एक सप्ताह के भीतर संघ और उससे जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों का ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा था। हालॉंकि सरकार के इस फैसले की वजह क्या थी यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।