रजिस्ट्रार ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि जो भी छात्र इन दंगों में शामिल थे और जिन्होंने भी जेएनयू की संपत्ति को नुकसान पहुँचाया है, उन्हें चिन्हित कर के इस नुकसान की भरपाई की जाएगी। रजिस्ट्रार ने कहा कि दंगाई छात्रों से ही रुपए वसूल कर नुकसान की भरपाई की जाएगी।
सर्वर डैमेज होने को लेकर जेएनयू प्रशासन ने एफआईआर भी दर्ज कराई थी। इसके अगले दिन गुंडे फिर से कम्युनिकेशन सेंटर में घुस गए थे और उन्होंने फिर से कर्मचारियों को भगा कर तकनिकी सिस्टम को तोड़फोड़ डाला था। जाँच में सीसीटीवी फुटेज की अहम भूमिका होगी।
जब कॉन्ग्रेस नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा घायल छात्रों से मिलने एम्स गईं थी, तो उनके समर्थकों ने सबसे पहले घायल छात्रों से यही पूछा कि उनका संबंध किस विचारधारा से है। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रियंका गाँधी ने कुछ छात्रों को शॉल दी, लेकिन बाद में उनके कार्यकर्ताओं ने शॉल वापस ले ली।
इस वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर एबीवीपी की ओर से हमले में घायल हुए शिवम की कुछ तस्वीरें भी शेयर की गईं। इनमें दावा किया गया कि वामपंथी गुंडों द्वारा किए गए हमले में शिवम के सिर पर, गले पर चोटें आई हैं।
न्यूजलॉन्ड्री के एक पूर्व कर्मचारी ने CEO अभिनंदन सेखरी के बारे में कहा कि हिन्दुओं पर हुए अपराधों को दबाना, मुसलमानों पर हुए अपराधों में 'हिन्दू कनेक्शन' निकालना, सहकर्मियों को गाली देना, चिल्लाना और आम आदमी पार्टी के लिए अजेंडा चलाना, सेखरी का SoP है।
गीता कुमारी और आइशी घोष- इन दो नामों को याद रखिए। महिला होकर इन दोनों के नकाबपोश गुंडों ने महिलाओं के साथ बदतमीजी की। यही वामपंथी महिलाधिकार का झंडा लेकर कैंडल मार्च निकालते हैं। जेएनयू हिंसा में दोनों वामपंथियों का अहम रोल दिख रहा है।
अकादमी क्रियाकलाप में हज़ारों छात्रों ने भाग लिया, इससे वामपंथी बौखला गए। सीएए पर BJP 3 करोड़ घरों में पहुँच रही है, इससे उन्हें तगड़ा झटका लगा। जेएनयू में हुई हिंसा के पीछे जितने भी फैक्टर्स हैं, उन सबके बारे में समझिए। देखिए लेफ्ट इकोसिस्टम ने कैसे अफवाहें फैलाई।
NDTV अब भले ही वामपंथियों को ख़ुश करने के लिए भाजपा व एबीवीपी को इस हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए 1000 लेख लिखे, डैमेज हो चुका है। वो कहते हैं न, सच छिपाए नहीं छिपता। शायद एनडीटीवी पर यही कहावत फिट बैठती है। वामपंथी 'अपने' ही चैनल से निराश हैं।
शेफ अतुल कोचर को बर्खास्त किए जाने के बाद वामपंथियों का काम खत्म हो गया। वो इसे भूलकर अपने अगले टारगेट के लिए निकल पड़े, लेकिन यह घटना कोचर के लिए काफी मुश्किल भरा समय रहा। पिछले साल अगस्त में प्रकाशित एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें और उनके परिवार को उनके एक ट्वीट की वजह से मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा था।