कथित पशु तस्करों के परिजनों ने ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। पुलिस पशु तस्करों के आपराधिक रिकॉर्ड की जॉंच भी कर रही है। मृतकों की पहचान नौशाद क़ुरैशी, राजू नट और वीरेश नट के रूप में की गई है।
विधानसभा के पास प्रदर्शन कर रहे संविदा शिक्षकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने न सिर्फ़ आँसू गैस के गोले छोड़े, बल्कि वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद शिक्षकों पर लाठियाँ भाजी गईं। उनकी जम कर पिटाई की गई।
बिहार सरकार के आँकड़ों की ही मान लें तो अब तक बाढ़ से 67 लोगों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर शव स्थानीय लोगों ने अपनी जान जोखिम में डाल तलाशे हैं। सरकारी अमला जिन गोताखोरों और बचाव दल की तैनाती का दावा कर रहा है वे नजर नहीं आ रहे।
पटना विशेष शाखा के एसपी ने बीते साल मई में सभी डीएसपी को पत्र भेज कर एक सप्ताह के भीतर संघ और उससे जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों का ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा था। हालॉंकि सरकार के इस फैसले की वजह क्या थी यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
फिर से यह सारा दोष नेपाल के मत्थे मढ़ा जाएगा। लेकिन, बता दूॅं कि नेपाल किसी बराज से पानी नहीं छोड़ता। नेपाल से राज्य में आने वाली केवल दो नदियों गंडक और कोसी पर बराज है। दोनों की डोर बिहार के जल संसाधन विभाग के हाथों में ही है और पटना से आदेश के बाद ही बराज के फाटक खुलते हैं। इस विभाग के मुखिया वही संजय झा हैं जो बाढ़ आने से पहले दावा कर रहे थे कि सरकार अबकी बार पूरी तरह तैयार है।
आपदा के 72 घंटे बाद राज्य सरकार ने पीड़ितों के लिए 196 राहत केंद्र और 644 सामुदायिक रसोई खोलने का दावा किया है। इनमें 148 केंद्र सीतामढ़ी जिले में खोले गए हैं और मधुबनी में केवल तीन। जबकि, मधुबनी और सीतामढ़ी दोनों जिलों के 15-15 प्रखंड बाढ़ प्रभावित हैं। सरकार की तरफ से बताया गया है कि एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की 26 टुकड़ियां लोगों को बचाने में जुटी है।
बाढ़ सरकारी महकमे के अफसरों और नेताओं के लिए उत्सव है। ये वो समय है जब राहत पैकेज के रूप में भ्रष्टाचार का पैकेज आता है। आखिर लगभग पंद्रह साल से सत्ता में रही पार्टी इस समस्या का कोई हल ढूँढने में विफल क्यों रही है? अगर कोसी द्वारा अपने पुराने बहाव क्षेत्र में वापस आने वाले साल को छोड़ दिया जाए, तो बाकी के हर साल एक ही समस्या कैसे आ जाती है?
"अगर कोई व्यक्ति किन्नरों को किराए पर मकान देने से इनकार करता है, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ देने में भेदभाव करता है, इसके अलावा इनके अधिकारों का हनन करता है, तो उन्हें छह माह से लेकर दो साल तक की सज़ा दी जा सकती है।"
BPSC के परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार को इस प्रश्न में कोई त्रुटि नज़र नहीं आती। उन्होंने कहा कि आयोग के सदस्यों या अधिकारियों को इस बात की कोई जानकारी नहीं होती कि प्रश्न-पत्र में क्या-क्या सवाल पूछे जा रहे हैं। इस तरह के सवाल तो पहले भी पूछे जाते रहे हैं।
मिराज एक कुख्यात अपराधी है। उसका पूरा गैंग वाहन लुटेरा है। मिराज पर दो लड़कियों के साथ प्रेम का नाटक करने और फिर दुष्कर्म कर उनकी हत्या का भी आरोप है। मिराज ने अपने पिता को फँसाने के लिए भी रेशमा का इस्तेमाल किया था। उसने अपने पिता पर रेशमा के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।