दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाके से 3 शवों के मिलने की खबर से हड़कंप मच गया है। ये तीनों शव शाहीन बाग़ क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों से मिले हैं, जिनमें से 1 की पहचान हो चुकी है।
लाइव कैमरे पर शाहीन बाग के प्रदर्शकारियों की गिनती की गई। निकली मात्र 19! इस गिनती को सुन धरने पर मौजूद महिलाएँ भड़क उठीं, उन्होंने इमरजेंसी सायरन बजा दिया। इसके बाद वहाँ सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। महिला पत्रकारों के साथ बदसलूकी के बाद कैमरे को तोड़ने की कोशिश की गई।
यूपी पुलिस ने लखनऊ के प्रमुख चौराहों पर 57 दंगाइयों के पोस्टर लगाए हैं। दंगाइयों को संपत्ति के नुकसान की वसूली का नोटिस भी दिया गया है। हिंसा फैलाने वाले सभी उपद्रवियों के पोस्टर और बैनर लगाए जाएँगे। जुर्माना नहीं देने पर इनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी।
यासिर अराफात ने ABP न्यूज़ चैनल की पत्रकार रुबिका लियाक़त का ट्वीट शेयर किया है। जिसमें भीड़ द्वारा पुलिस पर पत्थर फेंके जा रहे इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है- "लाजवाब, आतंकवादी पिट रहे हैं..."
दिल्ली हिंसा के दौरान पुलिसकर्मी पर पिस्टल तानने वाले शाहरुख को गिरफ्तार कर लिया गया है। UP की क्राइम ब्रांच टीम ने शाहरुख को उत्तर प्रदेश के बरेली से गिरफ्तार किया है।
"उस रात मैं मुख्यमंत्री आवास पर ही थीं। तभी केजरीवाल के पास एक घायल मरीज के इलाज के लिए फोन आया। उन्होंने फोन पर तड़पते मरीज की मदद करने के बजाए नसीहत दे डाली कि सरकारी अस्पताल क्यों नहीं गए?
शौहर पुलिस से: बहुत समझाता हूँ कि धरने पर मत जाओ, लेकिन चली जाती है, क्या करें! तभी बीवी अंदर से भाग कर आती है और डाँटते हुए कहती है: "तुमने कहा था कि धरने में जाओ।"
"इन सबको पता था कि आगे क्या होने वाले वाला है। हमारे बराबर में एक मात्र मुस्लिम व्यक्ति का बाइक का शोरूम है। इलाके में हिंसा फैलने से पहले ही 26 फरवरी को सुबह 5 बजे ही उसने सभी बाइकों को शोरूम से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया। फिर खुद को पीड़ित दिखाने के लिए पहले तो शोरूम में तोड़फोड़ की और फिर...
"हज़ारों दंगाइयों की चपेट में आकर एक मजहबी दंगाई की भी मौत हो गई। लेकिन दंगाई उसे उठाकर अस्पताल नहीं ले गए बल्कि अपने घर ले गए। 24 घंटे तक घर में दंगाई युवक का शव रखा रहा। जैसे ही केजरीवाल सरकार ने दंगों में मारे गए लोगों को मुआवजा देने की घोषणा की, वैसे ही..."
धर्मेंद्र की माँ और छोटे भाई का रो-रोकर बुरा हाल है। देखकर ऐसा लगा कि जैसे वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। धर्मेंद्र के पिता वीरसहाय हर रोज सुबह बिना कुछ खाए-पिए अपने बेटे को खोजने निकलते हैं, लेकिन देर रात हताश होकर खाली हाथ घर लौट आते हैं।