शेहला रशीद ने ट्विटर पर लिखा- "अल्लाह का शुक्र है कि नरेंद्र मोदी की कोई औलाद नहीं है। अगर उनके बच्चे होते तो उन्हें स्कूल में काफ़ी शर्मिंदा होना पड़ता।" ये पहली बार नहीं है जब शेहला रशीद ने पीएम मोदी को लेकर ऐसी टिप्पणी की हो।
"नागरिकता संशोधन विधेयक से ध्यान हटाने के लिए बलात्कार और हत्या की वारदातें कराई जा रही हैं। ये सभी आपराधिक घटनाएँ पूर्व नियोजित हैं। इसकी साज़िश पहले ही रच ली गई थी। यह विधेयक हद से ज्यादा ख़तरनाक है।"
कॉन्ग्रेसी विधायक गोवर्धन दांगी ने अपनी मर्दवादी सोच के तहत एक महिला सांसद को धमकी दे डाली - "प्रज्ञा ठाकुर कभी आई तो उसका पुतला नहीं बल्कि उसे पूरा का पूरा जिंदा जला भी देंगे।"
राजेंद्र पाल गौतम ने अपना यह ट्वीट डिलीट कर दिया है, और एक अन्य ट्वीट करते हुए बताया कि किसी ने उनके ट्विटर हैंडल का दुरुपयोग या हैक किया और चुनाव के समय पार्टी (आप) को नुक़सान पहुँचाने के लिए धार्मिक प्रतीकों पर कुछ ट्वीट किया है।
"सरकार को जब जैसा मन करता है उस हिसाब से हमारे साथ व्यवहार करती है। इससे अच्छा है सरकार हमें ट्रांसजेडर घोषित कर दे। हम न इधर के रह गए हैं और न उधर के रह गए हैं। यही हमारी स्थिति बन गई है।"
''मुस्लिमों को शेर बनना होगा ताकि कोई चायवाला उनके सामने खड़ा न हो। मैं अपने लोगों से कहता हूँ कि आप लोग इतने परेशान हैं... परेशान मत हो। नौजवानों मैं आपसे कहूँगा कि जो हम यहाँ करेंगे, उसके बदले में जन्नत या जहन्नूम मिलेगी। शहीद जन्नतों की जन्नत जाता है। तुम सिर्फ़ अल्लाह का नाम लो।''
"परमहंस दास, जिनका मूल नाम उदय नारायण दास है, वे स्व-घोषित महंत और जगतगुरु थे और उन्होंने संत के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया। साथी संतों से परमहंस दास को अपने दायरे में शरण न देने का भी आग्रह करता हूँ।"
विधायक राजा सिंह ने 'ओवैसी, भारत छोड़ो' का नारा देते हुए कहा कि उनकी तरह मानसिकता रखने वाले सभी लोगों को देश से बाहर जाना चाहिए। कई अन्य लोगों ने भी उनका समर्थन किया। इसके बाद ट्विटर पर 'ओवैसी भारत छोड़ो' का ट्रेंड भी चलने लगा।
"विधायक द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द बहुत ही अपमानजनक हैं और अगर विधायक इन शब्दों के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी नहीं माँगते हैं, तो उनकी जीभ काट दी जाएगी।"
"मेरे दस्तावेज़ों को 2000 में मेरी माँ द्वारा दायर किया गया था। उन्होंने भारत में कई वर्षों तक मेरी परवरिश एकल माँ के रूप में की। मेरे माता-पिता की शादी नहीं हुई थी। कोई भी सभ्य सरकार जो प्रतिशोध नहीं लेना चाहती थी, वो आगे आ सकती थी और लापता दस्तावेज़ों या किसी विसंगति के बारे में स्पष्टीकरण माँग सकती थी।"