भोपाल के ऐशबाग, मंगलवारा, श्यामला हिल्स और पिपलानी तलैया थानों में मामले दर्ज किए गए हैं। इनके ऊपर धारा 188, 269, 270 आईपीसी की धारा 51 राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 13 और 14 एवं विदेशी विषयक अधिनियम 1964 के तहत केस दर्ज किया गया है।
हिंदपीढ़ी इलाके के लोगों से तंग आकर इंफोर्समेंट टीम के सदस्यों ने अधिकारियों से कहा है कि यदि इलाके में लोग यूँ ही उनके ऊपर थूकते रहेंगे तो वे उस क्षेत्र में सैनिटाइजेशन का काम कराने नहीं जाएँगे। उधर प्रशासन ने ऐसे लोगों को खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है।
“इस बारे में जाँच की जाएगी कि वाधवान परिवार के 23 सदस्यों को खंडाला से महाबलेश्वर की यात्रा करने की अनुमति कैसे मिली।” इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार द्वारा भारी शर्मिंदगी झेलने के बाद गृह विभाग के विशेष सचिव और एडिशनल डीजीपी अमिताभ गुप्ता को तत्काल प्रभाव से अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया गया।
तमिलनाडु में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 96 नए मामले सामने आए हैं, जिनमें से 84 संक्रमित लोग दिल्ली निजामुद्दीन में आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़ हुए हैं।
उसने गाँव वालों से मरकज के मजहबी सभा में शामिल होने वाली बात को सबसे छुपाया। जब ग्रामीणों ने उससे इस संबंध में पूछा तो भी उसने झूठी और मनगढ़ंत कहानी सुनाकर उनको बरगलाया। लोगों ने भी आसानी से उसकी बातों को मान लिया और उसके साथ हिलने-मिलने लगे।
देश में लगातार डॉक्टरों के साथ मारपीट करने की जमातियों की खबर पर वसीम रिजवी ने कहा कि डॉक्टरों को परेशान करके उनका मनोबल कम करने की कोशिश की जा रही है। यह भी इन सभी तबलीगी जमातियों की साजिश का एक हिस्सा है।
पहले स्तर के प्रयास में 1700-2000 गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को प्रतिदिन मुफ्त भोजन वितरित किया जा रहा है। दूसरे स्तर का प्रयास इससे वृहत है। इसे "सीकर्स एंड गिवर्स" प्लेटफॉर्म के नाम से समझा जा सकता है। यहाँ एक वो हैं, जो सहायता पाना चाहते हैं और दूसरे वो जो सहायता करना चाहते हैं। दोनों को आपस में कनेक्ट कर...
नंदिता दास का यह बयान अपने आप में गलत नहीं है, क्योंकि सच में भारत में एक महान विभाजन मौजूद है। लेकिन यह स्टेटमेंट किसकी तरफ से आया है जब आप यह सोचते हैं तो मुँह दबा कर हँसते हुए यह सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि आखिर कोई खुलेआम इतना दोमुँहा बर्ताव कैसे कर लेता है।
एक ओर विधिपूर्वक किए गए सभी धार्मिक अनुष्ठान यानी मजहबी इमाल और दूसरी तरफ रोग पीड़ित प्राणियों के प्राणों की रक्षा का कार्य, ये दोनों कर्म समान रूप से पुण्य देने वाले हैं। यानी इस समय डॉक्टर, सुरक्षाकर्मी, सफाईकर्मी जो कार्य कर रहे हैं वो किसी धार्मिक अनुष्ठान से कम नहीं है। इसलिए धर्म के नाम पर धर्म के कार्य में बाधा डालने का अधार्मिक काम करना बंद करें।
एक सोची-समझी साजिश के तहत, अपने ही भीतर के कुदरती थूक, कुदरती पेशाब और कुदरती टट्टी को अपने मन के हिसाब से यहाँ-वहाँ फेंकने वाले मासूम तबलीगियों को मुसलमान होने के कारण बदनाम किया जा रहा है।