रामायण और महाभारत की नायिकाओं देवी सीता और देवी द्रौपदी के बीच सबसे बड़ी समानता ये है कि दोनों ही अयोनिजा हैं। यानी दोनों ने ही माँ के गर्भ से जन्म नहीं लिया है। देवी सीता भूमि से प्रकट हुई हैं जिनको भूसुता भी कहते हैं, तो द्रौपदी अग्नि से उत्पन्न हुई हैं और इनको अग्निसुता कहा जाता है।
भगवान झूलेलाल ने अपने चमत्कारिक जन्म और जीवन से सिंधी हिंदुओं के जान की रक्षा की। हिन्दू धर्म को बचाए रखा। मिरखशाह जैसे ना जाने कितने इस्लामिक कट्टरपंथी आए और धर्मांतरण का खूनी खेल खेला। लेकिन भगवान झूलेलाल की वजह से सिंध में एक दौर में ऐसा नहीं हो पाया था।
शोभा यात्रा के दौरान भद्राचलम नरसिंह स्वामी मंदिर के अर्चक (पुजारी) कृष्ण चैतन्य ने श्रद्धेय तिरुप्पनलवार के चित्रण के रूप में वैष्णव नमम को धारण करने वाले रवि को उठा लिया और उन्हें मंदिर तक ले गए।
सुब्रमण्यम स्वामी ने ईसाइयत, इस्लाम और हिन्दू धर्म के बीच का फर्क बताते हुए कहा, "हिन्दू धर्म जहाँ प्रत्येक मार्ग से ईश्वर की प्राप्ति सम्भव बताता है, वहीं ईसाइयत और इस्लाम दूसरे धर्मों को कमतर और शैतान का रास्ता करार देते हैं।"
ईद पर मटन-बिरयानी के गुलछर्रे उड़ाने वाली रुचि क्रिसमस पर 'भक्तों' को 'गाय के पेशाब की जगह शराब पीने' की सलाह देती हैं। जैसे ही महाशिवरात्रि आती है, रुचि के अंदर का सामाजिक कार्यकर्ता जाग उठता है और वो फ़र्ज़ी ज्ञान देने लगती हैं। सारे सलाह हिन्दुओं के लिए ही हैं क्या?
शिव महापुराण के द्वादश्ज्योतिर्लिन्ग्स्तोत्रं में उल्लेखित बारह ज्योतिर्लिंगों में से कुछ की भौगोलिक स्थितियों के बारे में भक्तों के मत अलग-अलग हैं। कारण यह है की स्तोत्र (श्लोक) में इन ज्योतिर्लिंगों की भौगोलिक स्थिति अस्पष्ट है, जिस कारण लोग अपने अपने तरीके से व्याख्या करते हैं।
इस विश्वविद्यालय का प्रारम्भिक बजट 5 मिलियन डॉलर का है, जो प्राचीन भारतीय पद्धति पर शोधों को भी बढ़ावा देगी। एचआर नरेंद्र को यूनिवर्सिटी का चेयरमैन और श्री श्रीनाथ को प्रेसीडेंट बनाया गया है।
अरविन्द केजरीवाल ने अमित शाह को बहस के लिए चुनौती दी थी। अब उन्होंने दावा किया है कि केंद्रीय गृहमंत्री ने उनकी चुनौती को स्वीकार नहीं किया है। केजरीवाल ने दावा किया कि अमित शाह डर कर भाग गए हैं। यही साबित करने के लिए उन्होंने भगवद्गीता को लेकर झूठ बोला।
कई लोग मानते हैं कि 8वीं या 9वीं शताब्दी में माँ सरस्वती को जापान में बेंजाइटन के रूप में पूजा जाने लगा। लेकिन, पाँचवीं-छठी शताब्दी में लिखी गई बौद्ध पुस्तकों में बेंजाइटन का जिक्र है। उनकी प्रतिमाएँ सफ़ेद होती हैं और उनके हाथ में वीणा होता है।
"भारत में शक्ति का केंद्र सिर्फ संविधान है और कोई दूसरा शक्ति केंद्र हो, ऐसी हमारी कोई इच्छा नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो हम विरोध करेंगे। संविधान में देश के भविष्य की तस्वीर एकदम साफ है। वही प्रारंभ बताता है और गंतव्य भी।"