ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी जी-20 के बीच लिंक-अप को बढ़ावा देते हुए कोरोना के खतरे से निपटने की पहल कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने कहा कि ये काफ़ी सराहनीय है।
कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित मुल्कों में से एक ईरान से लाए गए लोगों में से 103 तो मजहबी यात्रा गए थे। लेकिन, निकालते वक्त सरकार ने उनसे मजहब नहीं पूछा, क्योंकि वे भारतीय थे।
केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना के संक्रमण से मौत होने पर ऐसा कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। सरकार अब इन रुपयों का इस्तेमाल क्वारंटाइन (इलाज), सैम्पल कलेक्शन और स्क्रीनिंग के लिए करेगी। अब एसडीआरएफ फंड का ही इस्तेमाल कोरोना से संक्रमित लोगों के लिहाज के लिए ज़रूरी उपकरण व सामान ख़रीदने हेतु भी किए जाएँगे।
"पत्रकार बेलमैन के खिलाफ शिकायत सरकार के ऑनलाइन शिकायत निवारण प्लेटफॉर्म 'ऑनलाइन ग्रीवांस रिड्रेसल प्लेटफॉर्म' पर एक व्यक्ति ने निजी हैसियत से की। संबंधित विभाग को शिकायत फॉरवर्ड करना एक रूटीन प्रक्रिया है और इस जर्नलिस्ट के डिपोर्टेशन पर विदेश मंत्रालय ने कोई फैसला नहीं लिया है।"
भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम अन्य विकसित देशों की तुलना में कहीं बेहतर नजर आ रहे हैं। हालाँकि कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ऐसा नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन वो इसे लेकर भारत सरकार का विरोध करना चाहते हैं।
उस समय दुनिया आज की तरह ग्लोबल नहीं थी। फिर भी उस वायरस को दुनिया को अपनी चपेट में लेते वक्त नहीं लगा। उस समय दुनिया का हर चौथा शख्स इससे प्रभावित था। मृतकों में से आधे से ज्यादा 20 से 30 की उम्र के थे।
इस संबंध में अंतिम फैसला शनिवार 14 मार्च को लिया जाएगा। लेकिन, माना जा रहा है कि इस बार IPL केवल प्रसारण के उद्देश्य होगा और मैच बिना दर्शकों के खाली स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा।
मोहम्मद हुसैन की मौत मंगलवार को हुई थी। गुरुवार को उनके कोरोना वायरस से भी संक्रमित होने की पुष्टि हुई। उन्हें हाई ब्लडप्रेशर और अस्थमा जैसी अन्य शिकायतें भी थी। अब यह पता लगाया जा रहा है कि वे कितने लोगों के संपर्क में आए थे।
जादव मोलाई पायेंग एक पर्यावरणविद और जोरहाट के वानिकी कार्यकर्ता हैं, जिन्हें लोकप्रिय नाम 'फ़ॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया' से भी जाना जाता है। कई दशकों के दौरान, उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के एक सैंडबार पर पेड़ लगाए और उन्हें जंगल में बदल दिया। इन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से केवल मिट्टी और कीचड़ से भरी जमीन को फिर से हरा-भरा कर दिया।
सर्वेक्षण में पाँच हजार से अधिक पाठकों ने हिस्सा लिया। 38% से ज्यादा मत पाने वाले रणजीत सिंह की सहिष्णु साम्राज्य बनाने के लिए प्रशंसा की गई। दूसरे स्थान पर अफ्रीकी स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी अमिलकार काबराल रहे।