'ज़मीन के भाव बढ़ जाएँगे तो स्थानीय लोगों को घाटा होगा'- नेहरू ने क्यों कहा था ऐसा? पढ़िए तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा का बयान। कौन थे अनुच्छेद 370 हटाने वाला बिल लेकर आने वाले प्रकाश शास्त्री जो बाद में एक ट्रेन दुर्घटना में मारे गए?
कश्मीर में जब तक 370 था तबतक लड़कियों की शादी 18 वर्ष की आयु के बाद ही हो, ऐसा कोई कानून नहीं चलता था। बाल विवाह भी होता था इसलिए करीब दस साल पहले दसवीं में पढ़ने वाली ये बच्चियाँ आज कहाँ होंगी ये तो पता नहीं।
संसद में उन्होंने कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताया था, लेकिन अब मीडिया के सामने वह इसे भारत का आंतरिक मुद्दा बता रहे हैं (जो कि सही है और भारत का स्टैंड भी है)। आख़िर अधीर रंजन को ये समझने में इतने दिन क्यों लग गए?
लोगों ने मलाला से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा। ज्ञात हो कि वहाँ हिन्दुओं, सिखों और बौद्धों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं।
पीएम मोदी ने इससे पहले 27 मार्च को देश को सम्बोधित किया था। तब उन्होंने बताया था कि अंतरिक्ष में सक्रिय सैटेलाइट को मार गिरा कर भारत यह क्षमता हासिल करने वाले देशों में शुमार हो गया है।
जम्मू कश्मीर के 100 से अधिक नेता व अलगाववादी पहले से ही नजरबन्द किए जा चुके हैं ताकि जनता को भड़काने की कोई भी कोशिश सफल न हो सके। आशंका जताई गई है कि गुलाम नबी आजाद के पहुँचने के बाद विपक्षी नेता जनता को उकसा सकते हैं।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद का यह मानना है कि एनएसए डोभाल से बातचीत करने के लिए कश्मीरियों को रुपए दिए गए। ट्विटर पर लोगों ने आजाद से पूछा की क्या कश्मीरी जनता बिकाऊ है? लोगों ने इसे न सिर्फ़ डोभाल बल्कि कश्मीर के लोगों का भी अपमान बताया।
कर्ण सिंह ने कहा, लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने वाला निर्णय स्वागत योग्य है। अनुच्छेद 370 के कारण महिलाओं से जो भेदभाव किया जा रहा था, उसे ठीक करना ज़रूरी था। डॉक्टर सिंह ने लिखा कि 1965 में जब वे जम्मू कश्मीर के सदर-ए-रियासत थे, उन्होंने तभी राज्य के पुनर्गठन का प्रस्ताव दिया था।
जस्टिस रमना ने अधिवक्ता शर्मा को इन त्रुटियों को दूर करने को कहा और बताया कि इस मसले को उचित समयावधि के भीतर लिस्ट किया जाएगा। कॉन्ग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने भी कश्मीर में कर्फ्यू हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
भारत ने अनुच्छेद-370 के अहम प्रावधानों को निरस्त कर दिया। इसका असर न सिर्फ़ भारत में बल्कि सीमा पार पाकिस्तान में भी देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान इस निर्णय से बौखलाया हुआ है और भारत का आंतरिक मसला होने के बावजूद इसमें टाँग अड़ाने को आतुर है। आर्थिक महासंकट से जूझ रहे पाकिस्तान के संसद में ही सिर फुटव्वल देखने को मिला।