Sunday, November 24, 2024

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प्रोपेगेंडा का Outlook: जब मोदी घृणा से कीबोर्ड तड़-तड़ाए तो पन्ने फड़-फड़ फड़फड़ाए

इस प्रोपेगेंडा के असर क्या होंगे यह गर्भ में नहीं है। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक लोग इनके प्रोपेगेंडा का गुर्दा छील रहे हैं। छीलते रहेंगे। छीलने की रफ्तार जब चरम पर पहुँचेगी तो धुक-धुक धुका रहे इन संस्थानों की फड़-फड़ फड़ाहट खुद-ब-खुद दफन हो जाएगी।

JNU छात्रसंघ उपाध्यक्ष के साथ कानाफूसी कर के क्या सेटिंग कर रही है इंडिया टुडे की पत्रकार, वीडियो वायरल

इस वीडियो में कुछ बातें जो इंडिया टुडे की रिपोर्टर को कहते सुनी जा सकती हैं, उनमें सर्वर और चेहरे पहचाने जाने के बारे में बातें हैं। युवक इंडिया टुडे की रिपोर्टर से कह रहा है कि CCTV चल नहीं रहा था तो चेहरा पहचान नहीं पाए लेकिन वीसी ने तो कहा सर्वर सेम है, और मेल जा रहे थे।

‘मारो साले को’ – भीड़ में शामिल लड़की ने दिया आदेश और सब मुझ पर टूट पड़े: JNU का नेत्रहीन छात्र

आख़िर क्या कारण था कि एक संस्कृत विभाग में शोध करने वाले नेत्रहीन छात्र के कमरे में ही उग्र भीड़ ने उनकी जम कर पिटाई कर दी। भीड़ में से एक लड़की ने कहा- "मारो साले को" और रॉड लेकर वो पिल पड़े। जेएनयू हिंसा की कहानी, एक पीड़ित नेत्रहीन छात्र की जुबानी।

जब JNU में मार कर खदेड़े गए 2 सैन्य अधिकारी: Pak शायरों के भारत विरोधी बयान पर जताई थी आपत्ति

अप्रैल 29, 2000। जेएनयू की वो कहानी, जो आज तक दबी हुई है। वहाँ हुए पाकिस्तानी मुशायरे में कारगिल युद्ध के दो सैन्य अधिकारियों को सिर्फ़ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने भारत-विरोधी टिप्पणियों पर आपत्ति जताई थी। उस आयोजन में बड़ी रक़म ख़र्च की गई थी।

इंडिया टुडे का एक और झूठ: ‘जेम्स बॉन्ड पत्रकार’ ने लेफ्टिस्ट गुंडों को बचाने के लिए दिया JNU-सर्वर पर ‘ज्ञान’

तनुश्री पांडेय, जो कि इंडिया टुडे समूह की ही पत्रकार हैं, एक ट्वीट के साथ दावा करती हैं कि उन्होंने सूचना एवं संचार के सर्वर से भेजे गए ई-मेल्स को निकाल लिया है। ज्ञात हो कि JNU प्रशासन पहले ही बता चुका है कि यह सर्वर 4 जनवरी को लेफ्टिस्ट गुंडों द्वारा तोड़ दिया गया था।

वामपंथियों की फालतू नारेबाजी, और बर्बाद होता JNU: राहुल कँवल पढ़ें ‘इंडिया टुडे’ की 40 साल पुरानी रिपोर्ट

1981 का एक ऐसा समय था, जब जेएनयू को 46 दिनों के लिए बंद किया गया था। आज फ़र्ज़ी 'स्टिंग ऑपरेशन' कर के वामपंथियों को बचाने वाले 'इंडिया टुडे' ने तब JNU को वामपंथी अराजकता का गढ़ बताया था, जहाँ छात्र फालतू वाद-विवाद में लगे रहते हैं। पत्रिका ने कहा था कि जेएनयू केवल रुपए डकारता है।

JNU में बाहरियों की खैर नहीं, हॉस्टल में मिले तो वसंत कुंज थाने में जमा होंगे

डीन ने सभी वार्डन को निर्देश देते हुए यह सुनिश्वित करने को कहा है कि विश्वविद्यालय के हॉस्टल में कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद न हो। पुलिस ने इस संबंध में ऑडिट कराने का सुझाव रजिस्ट्रार को दिया है।

हमारे कैमरे की सेटिंग ख़राब थी: इंडिया टुडे की JNU हिंसा के फर्जी स्टिंग पर सफाई

"#JNU कवरेज से जुड़ी एक क्लिप में दिख रही पुरानी तारीख के संबंध में स्पष्ट करना चाहते हैं कि कैमरे की सेटिंग्स अपडेटेड नहीं थीं। इससे जो ग़लतफहमी पैदा हुई है, उसके लिए हमें खेद है।"

शेखी बघारने के लिए ख़ुद को बताया ABVP का सदस्य: इंडिया टुडे को दिए बयान से पलटा JNU छात्र अक्षत

इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन में खुद को ABVP का बताने वाला JNU का छात्र अक्षत अपने ही बयान से पलट गया है। उसने कहा है कि मैंने शेखी बघारने के लिए झूठ बोला था। उसने कहा है कि इंडिया टुडे के रिपोर्टर ने ही झूठ बोला था।

कबीरा इस संसार में भाँति-भाँति के कामरेड्स: कथा कामरेड क्रांति कुमार की

अब क्रांति कुमार आम इंसान नहीं रहे। अब क्रांति कुमार कामरेड क्रांति कुमार हो गए हैं। कामरेड क्रांति कुमार ने ट्विटर पर संविधान पढ़ा था और राजनीति शास्त्र की बारीकियाँ उसने एक बुर्जुआ मित्र के साथ पिज्जा ऑर्डर करते वक़्त मुफ्त कूपन इस्तेमाल करते हुए सीखीं थीं।

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