बकौल स्वामी सिर्फ दिल्ली पुलिस से जेएनयू में बात नहीं बनेगी। वहॉं बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती की जानी चाहिए। साथ ही यूनिवर्सिटी का नाम बदल कर सुभाष चंद्र बोस विश्वविद्यालय कर दिया जाना चाहिए।
राहुल कंवल के फ़र्ज़ी दावे वाली फ़ोटो का संबंध दूर-दूर तक ABVP या 'ABVP की रैली' से नहीं था। उनके खोखले दावे का सच ख़ुद राहुल कंवल द्वारा शेयर किए गए जनसत्ता के लेख से भी हो गया। इसमें विरोध-प्रदर्शन के लिए स्पष्ट तौर पर आइशी घोष और JNUSU का उल्लेख किया गया था, न कि ABVP का।
इंडिया टुडे समूह के पत्रकार राहुल कंवल इस वीडियो में बता रहे हैं कि किस प्रकार उनके 2 खोजी पत्रकारों- जमशेद खान और नितिन जैन की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने कथित ABVP कार्यकर्ता अक्षत अवस्थी का पर्दाफाश किया है।
JNU में हुई हिंसा में छात्र संघ प्रेसीडेंट आइशी घोष समेत चुनचुन कुमार, पंकज मिश्रा, प्रियरंजन, योगेंद्र भारद्वाज, वास्कर विजय मेक, सुचिता तालुकदार, डोलन सामंता और विकास पटेल का नाम शामिल है। हिंसा के पीछे एक व्हाट्सएप ग्रुप का भी हाथ है, जिसका नाम है- यूनिटी अगेन्स्ट लेफ्ट।
"ये हमारे लिए हैरानी की बात नहीं है कि वो उन लोगों के साथ खड़ी हुईं, जो भारत की बर्बादी चाहते हैं। वो उनके साथ खड़ी हुईं, जिन्होंने लाठियों से लड़कियों के प्राइवेट पार्ट्स पर हमला किया। मैं उनका ये अधिकार छीन नहीं सकती।"
वीसी ने हिंसा के कारणों की पड़ताल करने और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय सुझाने को लेकर समिति गठित की है। लेकिन, JNUTA ने इसमें शामिल सदस्यों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। JNUTA वैचारिक रूप से JNUTF का विरोधी माना जाता है।
यूपी के दंगाइयों से संवेदना जताती प्रियंका गॉंधी। जेएनयू हिंसा के घायल छात्रों पर आँसू बहाती प्रियंका गॉंधी। अब देखिए कॉन्ग्रेस महासचिव का वो चेहरा जिससे पता चलता है कि उनके लिए राजनीति से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
जेएनयू छात्रों के एक धड़े के प्रदर्शन के दौरान एक हैरान करने वाला वाकया हुआ। एक प्रदर्शनकारी युवती ने विजय चौक पर आईपीएस अधिकारी इंगित प्रताप सिंह के अँगूठे पर दाँत से काट लिया। दॉंत काटने वाली युवती की पहचान नहीं हो पाई है।
ये JNUSU छात्र बिना किसी विरोध के उन मासूम आम छात्रों के साथ ये सब करने में कामयाब रहे, क्योंकि उस दौरान आसपास एक भी AVBP के छात्र नहीं थे। नकाबपोश चेहरे वाले वहाँ कई छात्र खड़े थे। हम में से कई लोग संदेह कर रहे थे कि उनमें से कुछ हमारे छात्र नहीं हो सकते हैं और कुछ जामिया मिलिया के हो सकते हैं।