'हिन्दू टेरर' के कलंक से कलंकित और कॉन्ग्रेस की तुष्टीकरण एवम् साम्प्रदायिक नीतियों का शिकार बनी साध्वी प्रज्ञा के भोपाल से प्रत्याशी बनने, कन्हैया का बेगूसराय से लड़ने और राहुल-स्मृति ईरानी की कड़ी टक्कर इस चुनाव की हेडलाइन बने।
रवीश जी ने बताया कि भाजपा की रैली में आमरस और गठबंधन की रैली में रूहअफजा की माँग रहती है। उसके बाद से वे केवल रूहअफजा की सप्लाई ही करते हैं, क्योंकि उसका रंग लाल होता है, और जब हर ग्लास में रूहअफजा भरते हुए लाल सलाम कहते हैं तो उनकी आत्मा को ठंडक मिलती है।
मैं जेएनयू की खदान का ही उत्पाद हूँ। कन्हैया तो कुछ भी नहीं, इसके बौद्धिक पितृ-पुरुषों और माताओं से मैं उलझा हूँ, उनकी सोच किस हद तक भारत और हिंदू-विरोधी है, यह मुझे बेहतर पता है।
केसी त्यागी ने लालू यादव पर वाम दलों के साथ धोखा करने का आरोप भी मढ़ा। उन्होंने कहा कि वामदल हमेशा लालू के लिए खड़ा रहा लेकिन कन्हैया को टिकट न देकर लालू ने वाम दलों को धोखा दिया। त्यागी ने 'विचारधारा में अंतर' के बावजूद कन्हैया कुमार से सहानुभूति जताई।
दिग्विजय ने महात्मा गाँधी और कार्ल मार्क्स की तुलना करते हुए कहा कि दोनों में थोड़ा ही फ़र्क़ था। भारतीय कम्युनियस्ट पार्टी की भोपाल इकाई ने दिग्विजय सिंह का समर्थन करने की बात कही है।
हिंसा और सेक्स तो कामरेडों का प्रमुख हथियार है, यूनिवर्सिटी में तो जबरदस्ती करते ही हैं, बाद में, विद्यार्थी से नक्सली बनने तक, जंगलों में 'नारी देह कम्यून की प्रॉपर्टी है' के नाम पर महिला काडरों को आईसिस की तर्ज़ पर सेक्स स्लेव बना कर रखते हैं।
"मेरी शर्ट पर लगे फूल निशान को देख कर कन्हैया हमसे ठेठ भाषा में बोला कि ये क्या है। हम कुछ नहीं बोले, लेकिन इतने में ही उसके गुंडे कार्यकर्ता लोग गाली-गलौच करते हुए गाड़ी से नीचे उतर आए और मेरे साथ मारपीट करने लगे। मेरी जान बचाने के लिए आए मेरे 2-3 दोस्तों को भी लाठी-डंडे से मारा।”
कन्हैया कुमार के LPG सिलेंडर दिखाकर मीडिया गिरोह की TRP में भी उछाल आने के कारण कामरेड की गरीबी पर निष्पक्ष पत्रकारों को खूब चरमसुख मिलता नजर आ रहा है। लेकिन अचानक ‘वन फाइन डे’ इस LPG सिलेंडर न जुटा पाने वाले कामरेड की तस्वीरों से बेगूसराय के लगभग हर हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्र के पहले पन्ने भर गए।
गिरिरज सिंह ने प्रशासन को भी निशाने पर लिया और कहा कि जब उनके द्वारा कोई बयान दिया जाता है, तो उस पर चुनाव आयोग एवं प्रशासन द्वारा तुरंत संज्ञान लेता है। लेकिन जब शेहला रशीद द्वारा हिंदू भावनाओं को भड़काया गया तब सारे विरोधी लोग कहाँ हैं?
वो इंडिया के लोग भारत में आकर, किसी और माहौल, किसी और भाषा में, किसी और विषय की बात कर रहे हैं। बेगुसराय की जनता अपना मत देने के लिए बटन दबाती है। दुआ है कि इस 'दबाने' में भी कहीं उन्हें अपने प्रत्याशी के विरोध के स्वर को दबाया जाना न समझ आ जाए!