पुलिस इस बात का पता लगा रही है कि आखिरकार इनका नेटवर्क किस प्रकार से जामिया में सीएए के ख़िलाफ़ चल रहे प्रोटेस्ट में काम कर रहा था व किस प्रकार से इन्हें फंंडिंग हो रही थी और दिल्ली में चल रहे सीएए के विरोध प्रदर्शन में इसका इस्तेमाल कैसे किया गया।
"जिस वाकये के बारे में आप बात कर रही हो, वो साल 2011 का है। 9 साल पहले का - जब केंद्र और असम दोनों में कॉन्ग्रेस सरकार थी। मगर उस समय आप चुप रहीं। अब अपना पॉलिटिकल प्रोपेगेंडा साधने के लिए बच्चे की मौत से जुड़े मामले को 9 साल बाद इस्तेमाल कर..."
भारत की कथित सेक्युलर मीडिया, वामपंथी-लिबरल गैंग इंटरनेट शटडाउन को प्रोपेगेंडा की चाशनी में इस कदर लपेट कर परोसता है कि जैसे अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा बिठा दिया गया हो। लेकिन, एक वैश्विक रिपोर्ट बताती है कि इंटरनेट की आजादी के मामले में भारत पाकिस्तान, चीन जैसे पड़ोसियों से ही नहीं रूस जैसे विकसित देशों से भी काफी आगे है।
नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन को लेकर प्रोग्राम किया गया और उसमें स्कूल के छात्रों को ले जाया गया तो NDTV के पत्रकार सोहित राकेश मिश्रा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्कूल में छात्रों को नागरिकता कानून के बारे में बताना राजनीति है, क्योंकि इसे अभी तक बड़े लोग नहीं समझ सके हैं।
पाकिस्तानी एजेंडे के तहत भारत के खिलाफ प्रोपगेंडे को हर रोज भारी तादाद में सोशल मीडिया पर फैलाने के लिए यूथ मशीनरी को पाक ISPR में भर्ती कर रहा हैं। झूठ फ़ैलाने के लिए युवाओं को बाकायदा ट्रेनिंग का भी प्रावधान किया गया है।
सीएए और एनआरसी को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है। फरहान अख्तर ने अंग्रेजी में वही चीजें शेयर की है, जिसमें वही बातें हैं जिन्हे व्हाट्सप्प फॉरवर्ड के माध्यम से फैलाया जा रहा है। आपके सामने जब भी ऐसी बातें आएँ, आप तभी जवाब देने की स्थिति में होंगे जब आपको सच्चाई पता होगी।
'द न्यूजरूम' जैसे अमेरिकी टीवी शो में NDTV के नाम का मजाक उड़ाया जाना एक ऐसा कारनामा था, जिसने लोगों का काफी ध्यान खींचा, NDTV का भी। इसके बाद NDTV का वापस से प्रतिष्ठा हासिल करना असंभव सा लगता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने विज्ञापन में लिखा कि कश्मीर में अब तक सुरक्षाबलों के हाथों 60000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दस लाख से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। पत्रकारिता की खातिर न्यूयॉर्क टाइम्स को ये बताना चाहिए कि आखिर जो आँकड़े छापे हैं, वो कहाँ से आए?
इम्तियाज हुसैन ने कश्मीर में हालात खराब होने के दावे को नकारते हुए ये वीडियो पोस्ट किया और लिखा कि प्रोपेगेंडा फैलाने वालों के दिमाग के अलावा कहीं कोई बंद या प्रतिबंध नहीं है।