द वायर का कहना है कि इस मामले की 'जाँच' अभी भी जारी है। इस जाँच में उन्होंने पाया है कि वे अपनी 'रिपोर्टिंग टीम' द्वारा उपयोग किए गए सोर्स का वेरिफिकेशन करने में असमर्थ हैं।
वी आनंद नाम के एक प्राइवेसी रिसर्चर ने 20 अक्टूबर को ट्विटर पर इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने मेटा विवाद में द वायर के देवेश कुमार के काम का समर्थन किया।
मेटा के खिलाफ द वायर ने पिछले दिनों कुछ फर्जी दावे किए थे। इन्हीं दावों को विशेषज्ञों द्वारा खारिज कर दिया गया। अब भारी फजीहत के बाद वायर ने अपनी सारी स्टोरीज हटा ली हैं।
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने द वायर, न्यूज मिनट, न्यूज़लॉन्ड्री सहित वामपंथी 'पत्रकारों' को अपने प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने के लिए नकद पुरस्कार वितरित किए हैं।
जिस दावे का श्रीलंकाई राष्ट्रपति भी खंडन कर चुके हैं, उस पर आधारित 'द वायर' के एक लेख को आधार बनाकर राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है।