"यह मामला अपहरण का नहीं बल्कि प्रेम प्रसंग का है। लड़की के दूसरे समुदाय के होने के कारण दबाव में पुलिस हमारे पूरे परिवार और रिश्तेदारों को परेशान कर रही है।" - गिरफ्तार हुए प्रेमी गौरव की माँ ज्योति देवी
पूरे शहर में धारा-144 और कर्फ़्यू लगने के बाद भी कई जगहों पर हिंसक झड़पें हुई। बरवा टोली स्थित एक खड़े ट्रक में रात 9:30 बजे उपद्रवियों ने आग लगा दी। पुलिस जब तक वहाँ पहुँची, तब तक ट्रक धू-धू कर जल चुका था। इस घटना के बाद उस इलाके के लोग दहशत में हैं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हिंदुओं के घरों और संपत्ति को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया। पथराव करने वालों में 8 से 12 साल तक के मुस्लिम बच्चे भी शामिल थे। 100 से ज्यादा घायलों में से कई की हालत गंभीर।
विहिप ने ट्वीट कर कहा है कि CAA के समर्थन में निकली रैली पर इस्लामिक जिहादियों ने ईंट-पत्थर से हमला किया। पेट्रोल बम फेंके। हिंदुओ के घरों और वाहनों के साथ महिलाओं को निशाना बनाया गया।
ग्रामसभा में 9 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई। दो गायब हो गए। शेष 7 को बंधक बनाकर पीटा। फिर जंगल में ले जाकर हाथ-पैर बॉंध कर सिर कलम कर दिया। सभी शव बरामद करने में पुलिस को 21 घंटे लग गए।
महिला के मुताबिक झाड़फूँक के बाद उसे पानी पीने को दिया गया और 20 दिन बाद वापस आने को कहा गया। जब वह दोबारा गई तो फिर वही पानी पीने को दिया गया। इस बार वह पानी पीकर बेहोश हो गई। जब होश आया तो...
घटना झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी की है। पत्थलगढ़ी समर्थकों ने इसका विरोध करने वाले बुरुगुलीकेरा ग्राम पंचायत के उपमुखिया समेत सात ग्रामीणों की हत्या कर दी। पत्थलगड़ी समर्थक इन्हें अगवा कर जंगल में ले गए फिर बेरहमी से हत्या कर दी।
धनबाद के झरिया में महिलाओं से बदसलूकी। शवयात्रा में शामिल लोगों को भी पीटा। बीते दिनों धनबाद में सीएए विरोध के नाम पर भी पैदी की गई थी अराजकता। दबाव में 3000 दंगाइयों के साथ प्रशासन ने दिखाई थी नरमी।
भले ही इस पत्थलगड़ी आंदोलन में हिंसा हुई हो, गैंगरेप तक किया गया हो। भले ही सांसद करिया मुंडा के सुरक्षाकर्मियों का पत्थलगड़ी समर्थकों ने अपहरण तक कर लिया हो। भले ही किसी पत्रकार की जान तक चली गई है! लेकिन शिबू सोरेन की राजनीति का फल खा रहे हेमंत भला अपने पिताजी की बातों से पीछे कैसे हटते! इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के 3 घंटों के भीतर ही...
झामुमो के साथ कॉन्ग्रेस पहले भी सरकार में साझेदार रही है। फिर भी हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण में सोनिया गॉंधी नहीं पहुँचीं। क्या कर्नाटक के अनुभव और आम चुनावों के नतीजों से मारा विपक्ष अब मट्ठा भी फूॅंक-फूॅंक कर पी रहा है?