विधायक राजेसंदर सिंह गुढ़ा ने कहा कि 10 साल पहले भी वे बसपा विधायक दल के नेता थे और तब भी उन्होंने राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बनाने के लिए क़दम उठाया था। उन्होंने कहा कि आज फिर हालात ऐसे ही हैं और इसीलिए फिर से वैसा क़दम उठाना पड़ा।
सिमरजीत सिंह बैंस लोक इंसाफ पार्टी के संस्थापक हैं। 2017 में विधानसभा चुनाव AAP के साथ गठबंधन कर लड़ा था। फिलहाल उनकी पार्टी पंजाब डेमोक्रेटिक अलायन्स का हिस्सा है, जिसमें मायावती की बसपा, वामपंथी सीपीआई और अन्य पार्टियाँ शामिल हैं।
"काशीराम की मौत स्वभाविक नहीं थी। उनकी मौत संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई। वे मायावती की निगरानी में थे। काशीराम की बहन ने कहा था कि मायावती ने उनकी हत्या की है। मैं मुख्यमंत्री से इस मामले की सीबीआई जॉंच की गुजारिश करूंगा।"
मायावती ने आगे कहा कि इस स्थिति में, कॉन्ग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए कश्मीर जाना और स्थिति का राजनीतिकरण करने का प्रयास करना उचित नहीं था। उन्होंने आगे कहा कि पार्टियों को कश्मीर जाने से पहले थोड़ा इंतज़ार करना चाहिए।
"मैनेजर के पद के लिए बिना एमबीए डिग्री वाले उम्मीदवारों को चयन किया गया। इसी तरह श्रेणी-3 व श्रेणी-4 की नौकरियों में योग्यता स्तर को कम किया गया। 12वीं की बजाय 10वीं व 8वीं उत्तीर्ण उम्मीदवारों को नौकरियाँ उपहार के तौर पर दी गईं।"
“राजस्थान कॉन्ग्रेस सरकार की घोर लापरवाही व निष्क्रियता के कारण बहुचर्चित पहलू खान माब लिंचिंग मामले में सभी 6 आरोपित वहाँ की निचली अदालत से बरी हो गए, यह अतिदुर्भाग्यपूर्ण है।”
मायावती ने पूरी बसपा की ओर से आखिर में प्रदेश की भाजपा सरकार से गुहार लगाई है कि वो इस मामले के संबंध में सपा और कॉन्ग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ सख्त कदम उठाएँ और आदिवासियों को उनकी जमीनें वापस दिलवाएँ।
सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसके बाद से बागी विधायक विश्वासमत पर चर्चा से दूर ही रहे हैं। उन्हें मनाने के गठबंधन सरकार के प्रयास अब तक सफल नहीं हो पाए हैं।
मायावती के भाई की संपत्ति में 2007 से लेकर 2014 तक 7 वर्षों में 18,000% की वृद्धि दर्ज की गई। मायावती के सत्ता संभालने के बाद आनंद ने एक के बाद एक कुल 49 नई कम्पनियाँ खोलीं। 2014 में उनकी संपत्ति 1316 करोड़ रुपए आँकी गई थी।
हाजी इक़बाल के बारे में कहा जाता है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का क़रीबी है। उसका नाम खनन घोटाले में भी आ चुका है। हाजी इक़बाल को 2010 में बसपा से विधान पार्षद बनाया गया था। उसके भाई महमूद अली को भी विधान पार्षद बनाया गया है। जानिए यूपी के चीनी मिल घोटाले के बारे में।