टीएमसी नेता नासिर हुसैन, शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी और टीएमसी नेता अर्पिता घोष को सदन के वेल में पेपर फाड़कर पीठासीन अधिकारी के ऊपर फेंकते देखा गया।
किसी को ब्राह्मण के नाम पर विकास दुबे और श्रीप्रकाश शुक्ला तो किसी को निषाद के नाम पर फूलन देवी याद आ रही है। वोट के लिए जातिवाद में अपराधियों को ही नायक क्यों बनाया जाता है?