तीनों ही पार्टियाँ गृह, वित्त, हाउसिंग, राजस्व जैसे विभागों पर नज़रें गड़ाए बैठे हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, काली कमाई और बंदरबाँट का भरपूर 'स्कोप' है। सरकार अभी 6 मंत्रियों को ही जब विभाग नहीं बाँट पा रही है, तो ज़ाहिर सी बात है मंत्रिमंडल विस्तार कर बाकी पद भरना तो और बड़ी चुनौती होगी।
पवार ने मोदी के साथ अपने अच्छे रिश्तों का हवाला देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर वे उनके साथ हैं। वहीं, उनकी सांसद बेटी ने कहा है कि पीएम ने उनमें जो भरोसा जताया है उसके लिए वे उनकी शुक्रगुजार हैं।
इस रवैये के क्रम में महाराष्ट्र के कई विकास कार्यों को स्थगित कर दिया गया है। इनमें पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना का स्थगित होना भी शामिल है।
सुप्रिया सुले की पार्टी NCP ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान, राफ़ेल फाइटर जेट्स की ख़रीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पीएम मोदी और अनिल अंबानी पर निशाना साधा था। वहीं, दूसरी तरफ आज उन्हीं अनिल अंबानी के साथ पार्टी कर रही हैं!
अजित पवार के कदम को शरद पवार का मौन समर्थन हासिल था। उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा आखिरकार उनकी मॉंगे मान लेगी। लेकिन, जब मोदी उनके दबाव में नहीं आए तो उन्होंने भतीजे को लौट आने का संदेश भिजवाया।
सीएम की कुर्सी को ताकत का स्रोत नहीं बल्कि उस पर एक अवांछित बाँध मानने वाले बाला साहेब का बेटा उसी कुर्सी के लिए हिंदूवाद को ही राम-राम कर मुख्यमंत्री बन गया है।
भाजपा को गच्चा देने के बाद अजित पवार अपनी पार्टी में लौट भी गए हैं और ससम्मान स्वीकार भी हो गए हैं। मौजूदा खबरों में भी उनके डिप्टी सीएम बनाए जाने की बात सामने आ रही है।
जब अजित भाजपा के साथ चले गए थे तो सुप्रिया ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस में लिखा था कि पवार परिवार और पार्टी बॅंट गई है। उन्होंने लिखा था, “आप जीवन में किस पर भरोसा करोगे। इतना ठगा हुआ कभी महसूस नहीं हुआ। उनका बचाव किया, उन्हें प्यार दिया। देखो बदले में क्या मिला मुझे।”
बाल ठाकरे के निधन के बाद नितिन गडकरी ने कहा था, 'हिंदुत्व का विचार उनका हुँकार था'। मौत के 7 साल बाद उद्धव ठाकरे ने उस हुँकार को चीत्कार में बदल दिया है। बदले में मिली सीएम की कुर्सी, जिसकी बाल ठाकरे कभी रिमोट अपने पास रखते थे।