राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा केरल के कासरगोड क्षेत्र में निकाले गए रूट मार्च के दौरान DYFI के गुंडों ने पत्थरबाजी की। हिंसा पर क़ाबू पाने के लिए पहुँची पुलिस भी इस हमले में घायल हुई। पूरे मामले में 15 RSS कार्यकर्ताओं सहित 4 पुलिसकर्मी घायल।
"हिंसा के दौरान हमने पत्थर खाए। हमारे 263 पुलिसकर्मी घायल हैं। कानपुर में हमारे जवान पर पेट्रोल बम फेंका गया, जिसमें उसका सिर फट गया है। जो भी आरोप लग रहे हैं, उसकी जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। स्थानीय प्रशासन को मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। निर्दोष लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। वहीं दोषी बख्शे नहीं जाएँगे।"
शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज़ के मद्देनज़र पूरे उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित। शरारती तत्वों पर ड्रोन से भी नज़र रखी जा रही है। 20 ज़िलों में इंटरनेट सेवा बंद। इसके अलावा, राज्य में पहले से ही धारा-144 लगी हुई है।
फिरोजाबाद पुलिस की ओर से जारी पोस्टर में पुलिस उपाधीक्षक नगर, नगर मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक नगर का फोन नंबर दिया गया है। इसके अलावा पोस्टर में एक लैंडलाइन नंबर भी दिया गया है। जिसके आगे लिखा है कि इस नंबर पर नाम बताए बिना भी सूचना दी जा सकती है। सूचना देने वाले का नाम पूर्ण रूप से गोपनीय रखा जाएगा।
“हमने पुलिस गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों को मुआवजा नहीं देने का फैसला नहीं किया है, क्योंकि अपराधियों को मुआवजा देना अपने आप में एक अक्षम्य अपराध है। इससे पहले सरकार ने उन्हें मुआवजा देने का फैसला किया था, लेकिन अब हमने इसे वापस ले लिया है।”
पहले मुस्लिमों को हिंसा के लिए उकसाया गया। अब राणा अयूब सोशल मीडिया में मरने वालों का नाम लिख कर लोगों को भड़काने की फिराक में है। इसे मुस्लिम विरोधी नरसंहार बता रही। लेकिन, उन्होंने उन दो हिंदुओं के नाम छिपा लिए हैं जो दंगों की भेट चढ़ गए।
"मुझे हैरानी है कि वाइस चांसलर निष्क्रिय मुद्रा में मूक दर्शक बनकर बैठे हुए हैं। हमारे सिस्टम के नाकाम होने की इस अप्रत्याशित घटना पर वह चुप्पी साधे हैं। यह काम उन ताकतों द्वारा किया गया है, जिन्हें हमारी शिक्षा व्यवस्था पर कम या लंबे समय तक होने वाले नुकसान का अनुमान नहीं है।"
जिस वाइस चांसलर तारिक मंसूर ने इस नियुक्ति को मंजूरी दी है उन्हें रविवार को अलीगढ़ में इंटरनेट सेवाओं की बहाली के तुरंत बाद, शिक्षकों, छात्रों और ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों ने निष्कासित कर दिया था। कहा था कि जब तक वे कैंपस छोड़कर नहीं जाते विश्वविद्यालय प्रशासन का बहिष्कार किया जाएगा।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कपिल कुमार ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपितों को राहत देने के लिए उनके पास पर्याप्त आधार नहीं है। जिसके कारण उन्हें बेल नहीं दी जा सकती है।
पंकज ने खुद को गौरी तिवारी का बेटा बता तहसीलदार को झॉंसा देने की कोशिश की। लेकिन, एक पुलिसकर्मी ने कहा- साहब यह भी पत्थरबाजी कर रहा था। इसे मैंने खुद देखा है। इसके बाद कथित पंकज ने मुॅंह खोला तो उसका भेद भी खुल गया।