उत्तर प्रदेश, असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार तक। दुर्गा पूजा से लेकर दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन तक - पिछले 2 दिनों में ऐसी 8 घटनाएँ हुई हैं, जहाँ मूर्ति तोड़ने से लेकर उग्र भीड़ ने हिंदुओं को निशाना बनाया है।
दूसरे समुदाय के कुछ लोग दुर्गा पूजा के जुलूस में सुबह शामिल भी हुए। वे जुलूस के साथ चलते हुए मस्जिद वाली गली तक भी आए और बाद में पथराव करने वाले अन्य लोग भीड़ का हिस्सा बन गए। पत्थरबाज़ी में “मोहम्मडन” मर्दों के अलावा औरतें और बच्चे भी शामिल थे।
एडिशनल एसपी ने अंदेशा जताया कि मुस्लिमों द्वारा की गई पत्थरबाजी स्वाभाविक नहीं भी हो सकती है और सम्भावना है कि वे पहले से ही पत्थर वगैरह लेकर देवी-विसर्जन के जुलूस पर धावा बोलने को तैयार बैठे हों।
घटना के बाद से इलाके की स्थिति इतनी नाजुक थी कि पूरे दशहरा मैदान को पुलिस व अन्य बलों के जवानों ने अपनी निगरानी में ले लिया। विरोध में लोगों ने रावण दहन भी नहीं किया। हालात बिगड़ने के डर से प्रशासन-पुलिस ने सुबह 4:30 बजे रावन दहन कर दिया।
शाहरुख़ ने धोखे से शिवसेना नेता नंदवंशी को स्थानीय टिम्बर मार्केट में बुलाया। स्थानीय लोगों के अनुसार, जब शिवसेना नेता वहाँ पहुँचे तो मुगलईपुरा निवासी शाहरुख़ और उसके 5 साथियों ने धारदार हथियारों से उन पर हमला कर दिया। इस हमले में उनकी मौत हो गई।
एक मॉल में दूसरे मजहब कुछ युवक आपस में बात कर रहे थे। उनकी बातों को सुनकर पास खड़े मंजूनाथ ने कहा - "भारत हिन्दू राष्ट्र है।" इतना सुनते ही दूसरे मजहब के युवकों को गुस्सा आ गया। उन्होंने सबके सामने ही मंजूनाथ के साथ हाथापाई की और...
जीआरपी के इंस्पेक्टर ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया है कि मामला मज़हबी हिंसा का नहीं, आपसी विवाद का है। घायलों और कुछ सहयात्रियों के बीच ट्रेन से उतरने को लेकर विवाद हुआ, जिसके बाद वह हिंसा में बदल गया।
मामला सामने आने के बाद ग्रामीणों का एक समूह मुख्य आरोपी आबिद के परिवार से बातचीत करने गया, जहाँ दोनों समुदाय के बीच बवाल मच गया। इसके बाद घरों को जला दिया गया। देर शाम एक गली में लगभग 15 दुकानों को भीड़ ने आग लगा दी।
आर्यसमाज चौक पर हमेशा की तरह कुछ लोग समूह बना कर बातचीत कर रहे थे। जैसे ही मुस्लिमों ने उन्हें देखा, वे 'हिंदुस्तान मुर्दाबाद' का नारा लगाने लगे। मुहर्रम के जुलूस में शामिल लोगों ने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे भी लगाए।