"पूरे देश में कश्मीरी मुस्लिम सुरक्षित हैं, लेकिन कश्मीर में 370 खत्म होने के बाद से दो बेग़ुनाह मुस्लिमों को जान से मारा जा चुका है। किसने मारा हिन्दुओं ने? नहीं। एक को मुस्लिम आतंकियों ने मारा और दूसरे को पत्थरबाजों ने!"
जज फ़ख़रुद्दीन ने हिंदुओं के बारे में कहा कि उनके पास ऐसी कोई ताक़त नहीं है जिससे वो दूसरे मजहब के सामने टिक सकें। उन्होंने कहा, "आप एक पिस्तौल के साथ आएँ। मैं यहीं हूँ। हर बात की ज़िम्मेदारी मैं लूँगा।"
कृष्ण जन्माष्टमी पर परंपरा स्वरूप कृष्ण की झाँकी निकाले जाने की तैयारी थी, लेकिन जुमे की नमाज़ के चलते झाँकी का समय दोपहर 3 बजे रखा गया। इसके बावजूद 3 बजे जैसे ही झाँकी गाँव के चौराहै पर पहुँची, तो दूसरे समुदाय ने...
जब संजीव नेवर की शिकायत पर राष्ट्रीय SC आयोग ने हस्तक्षेप किया तो जाँच में निकल कर आया कि पुलिस ने कई सारी गलतियाँ की थीं। SHO को मूल FIR बदलने के लिए निलंबित कर दिया गया, और बदले के इरादे से पीड़ित परिवार पर दाखिल दो FIRs नकली निकलीं, और पीड़ितों को पुलिस सुरक्षा दी गई।
समुदाय विशेष को यह सोचने की ज़रूरत है कि विवेकानंद के 'सर्व-धर्म-समभाव' वाले पन्ने पर क्यों विभाजन की खूनी दास्ताँ लिखी, क्यों मुस्लिम-बहुल कश्मीर को हिन्दू-बहुल भारत का साथ मंज़ूर नहीं और क्यों कश्मीरी पंडितों के साथ वो किया, जो उन्हें नहीं करना चाहिए था।
इस अनोखे मंदिर में लोगों की अपार श्रद्धा है। यही वजह है कि भगवान अति वरदार भले ही 40 वर्ष तक जल समाधि में रहते हों, लेकिन पूरे साल इस मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटती है। इससे पहले वर्ष 1979 में भगवान अति वरदान ने मंदिर के पवित्र तालाब से बाहर आकर भक्तों को दर्शन दिए थे।
मुस्लिम समुदाय के लोग क्यों उग्र हो गए, इस सम्बन्ध में पुलिस को भी कुछ नहीं पता। हरिद्वार जा रहे श्रद्धालुओं तक को नहीं बख्शा गया। यातायात ठप्प कर आने-जाने वाली बसों पर पत्थरबाजी की गई। कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। श्रद्धालुओं की गाड़ियाँ क्षतिग्रस्त कर दी गईं।
"मेरी 10 साल से ज्यादा दोस्त रह चुकी लड़की ने, जो उच्च-मध्यम वर्ग की थी, अपने बर्थडे की पार्टी में नहीं बुलाया क्योंकि उसके नए-नए बने 'संघी' बॉयफ्रेंड को मुस्लिम पसंद नहीं। मेरे दोस्त ने खुद यह कबूल किया। उस दोस्त ने शादी में भी नहीं बुलाया।"