मीडिया हलचल

कश्मीर में पंडित सुरक्षित है और कट्टरपंथी आतंक में हैं: भारतीय मीडिया की पाक अकुपाइड पत्रकारिता

क्या लद्दाख के बौद्ध लोगों का डर नाजायज है कि जब कश्मीरी आतंकी वहाँ लहसुन-ए-हिन्द चिल्लाकर नारा-ए-अदरक लगाते आएँगे तो उन्हें वहाँ से भाग कर कहीं और नहीं जाना पड़ेगा?

The Wire को भारत की हर चीज़ से दिक्कत है, चाहे वो झंडा हो, मंगलयान हो, या ISRO पर फिल्म हो

मज़े की बात यह कि 2001 में संघ के मुख्यालय पर तिरंगा फ़हराए जाने पर तालियाँ पीटने वाला वायर कश्मीर में तिरंगे की सम्प्रभुता पर उसी साँस में सवाल खड़े…

Article 370: BBC के लिए कश्मीर पर अब सिर्फ यूगांडा-लोसोटो से ही बयान लेना बाकी

मीडिया के इस ख़ास वर्ग का दर्द यह है कि इतना बड़ा ऐतिहासिक फैसला बिना किसी हिंसा और संघर्ष के इतने शानदार होम वर्क के साथ आखिर कैसे सम्भव हो…

प्रियंका गाँधी के गुर्गों पर चुप्पी जायज है, क्योंकि पीड़ित पत्रकार ने सेनाध्यक्ष को जनरल डायर नहीं कहा था

प्रियंका गाँधी कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार से आती हैं, उनकी जगह अगर कोई भाजपा वार्ड सदस्य के साले के फूफे की बहन का भतीजा होता तो न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन…

शोभा डे और बिकाऊ मीडिया: जब गुलाम नबी ने खड़ी की थी किराए की कलमों (गद्दार, देशद्रोही पत्रकार) की फौज

81 पैराग्राफ के कबूलनामे में गुलाम नबी ने अपने कई अपराध कबूल किए थे। मुक़दमे के दौरान अदालत में सिद्ध हुआ था कि अपराधी (गुलाम नबी) न सिर्फ वक्ताओं की…

रवीश जी, पत्रकार तो आप घटिया बन गए हैं, इंसानियत तो बचा लीजिए!

अनुभवी आदमी शब्दों को अपने हिसाब से लिख सकता है कि वो एक स्तर पर श्रद्धांजलि लगे, एक स्तर पर राजनैतिक समझ की परिचायक, और गहरे जाने पर वैयक्तिक घृणा…

रवीश जी, इतने दुबले क्यों हो रहे हैं कश्मीर को लेकर?

किताबें तो मैंने भी बहुत पढ़ी हैं, और पेज नंबर मुझे भी याद हैं, लेकिन मैं अभी तक इतना धूर्त नहीं बन पाया कि उस ज्ञान का इस्तेमाल अपनी फर्जी…

‘द वायर’ वालो, JNU-छाप माओवंशी वामभक्तों के ज़हर को छाप कर कब तक दुकान चलाओगे?

जेएनयू ने ईमानदार विचारक और बौद्धिक कम, बौद्धिकता और विचारधारा को हथियार बनाकर एक्टिविज़्म करने वाले एक्टिविस्ट, यानी नक्सली आतंकी, ज़्यादा तैयार किए हैं।

SCROLL से सीखिए हिमा दास की काबिलियत पर तर्कों के साथ शक करना

विनय की गणित के मुताबिक भले ही इतनी जीतों के बावजूद भी हिमा योग्य नहीं हैं, लेकिन हमें फिर भी उम्मीद है कि टोक्यो ओलंपिक में मेडल आएगा। इसका ये…

सागरिका हम समझते हैं, कुंठा छिपाने और अपनी किताब बेचने का यह तरीका पुराना है

सागरिका युद्धों के बारे में अपनी जानकारी को थल सेना के एक अधिकारी से ज्यादा सिद्ध करने की मूर्खतापूर्ण कोशिश में लगी रही। ये अलग बात है कि युद्धों का…