Saturday, March 15, 2025

भारत की बात

कौन हैं लाचित बरपुखान जिनके नाम पर असम में बनी अकादमी में पुलिसकर्मी पाते हैं प्रशिक्षण, क्यों अमित शाह ने कहा बनेगा देश का...

असम की लाचित बोरफुकन पुलिस अकादमी में सिर्फ असम ही नहीं, बल्कि गोवा और मणिपुर जैसे राज्यों के पुलिस अधिकारियों को भी ट्रेनिंग मिलती है।

मराठों ने दिखाया रौद्र रूप, मरते दम तक भागता रहा औरंगजेब: पराक्रम का वो इतिहास जो छत्रपति संभाजी को 40 दिन तक दी गई...

तुलापुर में मराठों के अचानक आक्रमण से मुगल जोर-जोर से चिल्लाने लगे, "हुजूर, मराठा आ रहे हैं!" एक ओर संताजी मुगल सेना का नाश कर रहे थे।

चट्टान काटकर बना धर्मराजेश्वर मंदिर, सूर्य की किरण करती हैं विष्णु-शिव का अभिषेक: महाशिवरात्रि की रात ठहरने से मिलती है मोक्ष, अज्ञातवास में पांडवों...

मध्य प्रदेश के मंदसौर में धर्मराजेश्वर नाम का एक मंदिर है, जिसे एलोरा के कैलाश मंदिर की तरह चट्टान वाली पहाड़ी को काटकर बनाया गया है।

तुर्की नहीं भारत से शुरू हुआ ‘लौह युग’, तमिलनाडु में मिले 5300 साल पुराने साक्ष्य: लोहे को गला कर बनाए गए थे चाकू-तलवार, अमेरिकी...

लौह युग की शुरुआत तुर्की नहीं बल्कि भारत में हुई थी। तमिलनाडु से मिले लोहे के औजारों और बर्तनों की जाँच से इस बात की पुष्टि हुई है।

झुंड बनाकर आए इस्लामी शासक, फिर भी भारी पड़ा विजयनगर; लेकिन मुस्लिम कमांडरों की गद्दारी ने बदल दिया ‘तालीकोटा युद्ध’ का परिणाम: मंदिरों-भव्य इमारतों...

तालीकोटा युद्ध में दक्कन के पाँच इस्लामी शासकों ने विजयनगर पर हमला कर दिया और राम राय के मुस्लिम कमांडरों ने दीन के नाम पर पाला बदल लिया।

‘पूजा करो तो मातृभूमि की, सेवा करो तो देशवासियों की’: शिकागो से 4 साल बाद लौट स्वामी विवेकानंद ने भावुक होकर माँगी थी ‘धरती...

शिकागो में 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद के ओजस्वी भाषण ने दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी वाणी भारत के पुनरुत्थान का शंखनाद थी।

‘उन्हें पढ़कर मेरा देश के प्रति प्रेम हजार गुना बढ़ गया’ : जानें कैसे स्वामी विवेकानंद के कार्यों से गाँधी हुए प्रभावित, मिलने की...

स्वामी विवेकानंद को लेकर गाँधी जी ने कहा था- "मैंने उनके कार्यों को बड़े गहरे से अध्ययन किया है, और उन्हें पढ़ने के बाद, जो प्रेम मुझे अपने देश के लिए था, वह हजार गुना बढ़ गया।"

1954 का कुंभ, 1000+ लोगों की मौत और PM नेहरू: किसे बचाने के लिए इसे कहा गया ‘कुछ भिखारियों की मौत’ – एकमात्र मौजूद...

कुंभ 1954 के दूसरे शाही स्नान (मौनी अमावस्या) में खुद नेहरू के शामिल होने के फैसले ने प्रयाग में लाशों के ढेर लगा दिए। भगदड़ में करीब 1000 लोगों की जान गई।

अर्ध कुंभ, कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ: जानिए क्या है अंतर, कैसे होती है गणना… क्यों इस बार प्रयागराज में लग रहा है महाकुंभ

प्रयागराज में माघ अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं और गुरु मेष राशि में होता है। इस खगोलीय गणना का सटीक पालन आज भी किया जाता है।

भारत स्वतंत्र हुआ, पर कैद ही रह गया पुराणों का अक्षयवट: पहली बार प्रयागराज महाकुंभ में हिंदू कर सकेंगे दर्शन, अकबर का लगाया प्रतिबंध...

कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक एवं सांस्कृतिक समागम है, जो पूर्णत: वैज्ञानिक अवधारणाओं पर आधारित है।

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