Monday, May 19, 2025

सामाजिक मुद्दे

अगर ज्योति मल्होत्रा मुसलमान होती… आज शोर मचाने वाले ‘इकोसिस्टम’ ही डाल रहा होता पर्दा, खेल रहा होता विक्टिम कार्ड

वामपंथी और इस्लामी कट्टरपंथी ज्योति के नाम की आड़ में प्रोपेगेंडा चला रहे हैं, दावा कर रहे हैं कि अगर ज्योति मुस्लिम होती तो नरेटिव अलग होता।

1 महिला ने 8 पर किया रेप का केस, सारे निकले फर्जी… गैंगरेप का 1 केस निकला ‘निजी दुश्मनी’ में फँसाने की साजिश: क्या...

वक्त आ गया है कि हमारा देश जेंडर न्यूट्रल लॉ अपनाए , न्याय ऐसा हो जो लिंग के आधार पर न हो, बल्कि सच्चाई और निष्पक्षता पर आधारित हो।

‘ड्रम में राजा’… मुस्कान-साहिल ने केवल सौरभ को ही काटकर सील नहीं किया, इस संवेदनहीन समाज को भी कर दिया है बेपर्दा: कुछ तो...

मेरठ का सौरभ हत्याकांड समाज में मजाक बनाकर रह गया। इससे सोशल मीडिया की मानसिकता पर सवाल उठाए गए। लोगों ने जमकर रील्स, मीम्स शेयर की।

कभी हथौड़ा लेकर ‘शक्ति प्रदर्शन’, कभी शिक्षकों से बदसलूकी: गली के गुंडों की फोटोकॉपी बने छात्र नेता, अब बिगड़ैल राजनीति पर अंकुश समय की...

जो प्रत्याशी या संगठन धनबल और बाहुबल का इस्तेमाल नहीं करता, या उसके इस्तेमाल में झिझकता है; उसे कमजोर मान लिया जाता है। पूरी चुनावी व्यवस्था इतनी दूषित हो चुकी है कि सही और सकारात्मक  साधनों से लड़कर चुनाव जीतना लगभग असंभव है।

खतरे में है हर हिंदू, सरकारी सुरक्षा के भरोसे हम जीवनभर नहीं बैठ सकते… पर कवर्धा का ‘सुरक्षा मॉडल’ आत्मसात तो कर ही सकते...

कवर्धा के ​हिंदू जिस तरह दुर्गेश देवांगन के परिवार की ढाल बने, क्या उसी तरह हर पीड़ित हिंदू परिवार का हम बन सकते हैं सुरक्षा कवच?

दरगाह की डेग से चर्च की वाइन तक में दिखती है ‘सेवा’, पर नजर नहीं आता संतों-मंदिरों का परोपकार… क्योंकि हम मजहब देख नहीं...

पहली बार नहीं है जब हिंदू संत या धार्मिक संगठन किसी तरह के परोपकारी कार्य कर रहे हो, सालों से ऐसा हुआ, लेकिन वामपंथियों ने कभी उसका प्रचार नहीं होने दिया।

गली-गली घूम रहे लव जिहादी, शहर दर शहर पसर रहे ‘मुस्लिम गैंग’: अजमेर से ब्यावर तक हिंदू बच्चियों के शिकार का मॉडल वही, कब...

छोटी उम्र की लड़कियों को लालच देकर फँसाना हमेशा से ऐसे गिरोहों के लिए आसान रहा है। कारण कई होते हैं। छोटे उम्र में लड़कियाँ नहीं समझ पातीं कि ऐसी स्थिति में फँसने पर उन्हें डील कैसे करना है।

उमर खालिद को जमानत नहीं मिली… क्योंकि कपिल सिब्बल चाहते ही नहीं थे: डीवाई चंद्रचूड़ ने बता दी कोर्ट में पचड़े डालने वाली बात,...

उमर खालिद को बेल न मिल पाने की वजह सुप्रीम कोर्ट नहीं बल्कि वो खुद और उनके वकील कपिल सिब्बल का रवैया है जो 'फोरम शॉपिंग' के लिए मामले को एडजर्न कराते रहे।

पुरुष भी होते हैं क्रूरता के शिकार… दिल्ली HC का ये सिर्फ फैसला नहीं, बल्कि आंदोलन की शुरुआत: समाज भी बदले अब सोच, मर्दों...

दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि पुरुष भी महिलाओं की तरह क्रूरता और हिंसा से समान सुरक्षा के हकदार हैं।

धार्मिक विवादों की समय से सुनवाई के लिए जरूरी है रिलीजियस ट्रिब्यूनल: कोर्ट और सरकार को अब इस दिशा में सोचने की क्यों है...

केंद्र की मोदी सरकार एवं अन्य राज्य सरकारों को धार्मिक स्थलों से संबंधित विवादों के समाधान के लिए एक अलग ट्रिब्यूनल की स्थापना करनी चाहिए।

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