ब्राजील से आए एक श्रद्धालु ने कहा, "मैं योग करता हूँ और मैं मोक्ष की तलाश में हूँ। भारत विश्व की धर्म की राजधानी है। मैं पहले वाराणसी गया था और अब यहाँ आया हूँ।"
स्वामी विवेकानंद को लेकर गाँधी जी ने कहा था- "मैंने उनके कार्यों को बड़े गहरे से अध्ययन किया है, और उन्हें पढ़ने के बाद, जो प्रेम मुझे अपने देश के लिए था, वह हजार गुना बढ़ गया।"
कुंभ 1954 के दूसरे शाही स्नान (मौनी अमावस्या) में खुद नेहरू के शामिल होने के फैसले ने प्रयाग में लाशों के ढेर लगा दिए। भगदड़ में करीब 1000 लोगों की जान गई।