Friday, October 11, 2024

विचार

बिहार में ईसाई धर्मांतरण की ग्राउंड रिपोर्ट, YouTube ने डिलीट किया वीडियो: क्या फेसबुक भी उड़ा देगा, बिग टेक कंपनियों की वामपंथी पॉलिसी कब...

पहली बार नहीं है कि किसी मामले को लेकर बड़ी टेक कंपनियों के वामपंथी रवैये पर सवाल खड़ा किया जा रहा हो। इनका प्रभाव फेसबुक पोस्ट से लेकर इंस्टा की रीच तक पर आप देख सकते हैं।

मैरिटल रेप: ये कौन तय करेगा कि कब बलात्कार हुआ? ‘वैवाहिक संस्था’ की हत्या का कहीं कारण ना बन जाए यह कानून

मैरिटल रेप को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। अगर इसे आपराधिक घोषित कर दिया जाता है तो इससे वैवाहिक संस्था को नुकसान पहुँचेगा।

इतना तो गिरगिट भी नहीं बदलता रंग, जितने विनेश फोगाट ने बदल लिए

विनेश फोगाट का बयान सुनने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कि राजनीति में आने के बाद विनेश कितनी सच्ची और कितनी झूठी हो गई हैं।

मुबारक हो बिहार! ‘कमाई’ का सीजन आ गया है…

दुर्भाग्य देखिए कि जो बिहार अपनी राजनीतिक चेतना पर इठलाता है, उसके लिए बाढ़ कभी भी राजनीतिक विमर्श का मुद्दा नहीं रहा। न है। न होने की उम्मीद है।

जम्मू-कश्मीर से लखनऊ तक मातम मना रहे भारत के धर्मांतरित मुस्लिम, हिजबुल्लाह के आतंकी सरगना नसरल्लाह से इनका रिश्ता क्या?

यदि 'उम्माह' से इसका वास्ता होता तो इस्लामिक वर्ल्ड में नसरल्लाह की मौत पर जश्न नहीं मनता। अरब देश हों या सीरिया… सुन्नी खुलकर जश्न मना रहे।

जातिगत आरक्षण: जरूरतमंदों को लाभ पहुँचाना उद्देश्य या फिर राजनीतिक हथियार? विभाजनकारी एजेंडे का शिकार बनने से बचना जरूरी

हमें सोचना होगा कि जातिगत आरक्षण के जरिए क्या हम वास्तव में जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं या फिर हम एक नई जातिगत विभाजन की नींव रख रहे हैं?

तिरुपति बालाजी प्रसाद में चर्बी: 189 साल पहले रची गई साजिश का नतीजा, आज भी भोग रहा हिंदू समाज

सनातन आस्था के सबसे बड़े केन्द्र तिरुपति बालाजी के प्रसादम् में गाय और सुअर की चर्बी की मिलावट का मामला बेहद निंदनीय और गहरा षड्यंत्र है।

अर्चना तिवारी ‘पत्रकार’ नहीं, उस पर एक्शन ले कश्मीर पुलिस, क्योंकि उससे बात करते ही बाहर आ जाता है कश्मीरियों का ‘जहर’: यास्मीन खान...

अर्चना तिवारी के सवालों के जवाब में कश्मीरी मुसलमान जो जवाब दे रहे हैं वो लोगों तक न पहुँचें इसलिए यास्मीन खान चाहती हैं कि अर्चना तिवारी को गिरफ्तार किया जाए।

झूठे मामलों की वजह से कोर्ट पर दबाव, पति और ससुराल पक्ष को प्रताड़ना: जानिए घरेलू हिंसा से जुड़े कानून की समीक्षा क्यों है...

जिस तरह से विवाहित महिलाओं की हितों की रक्षा के लिए महिला आयोग है, उसी तरह पुरुषों को प्रताड़ना से बचाने के लिए पुरुष आयोग बने।

गुलाम भारत में अंग्रेज नहीं खिला पाए चर्बी, स्वतंत्र भारत में तिरुपति के बीफ वाले लड्डू खिला दिए: क्या दक्षिण से उठेगी सनातन रक्षा...

ये हिंदू हैं विश्वास पर इतना बड़ा आघात हो गया और ये शांत हैं... सोशल मीडिया परअपना विरोध दिखा रहे हैं। क्या अगर ये किसी और मजहब के लोगों के साथ होता तो उनकी प्रतिक्रिया ऐसी होती।

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