NIA का मज़ाक बनाने वालो! सुतली बम तब तक खतरनाक नहीं है जबतक वो गलत हाथों में नहीं है

NIA की दिल्ली एनसीआर में रेड

आतंकवाद से लड़ने की दिशा में कुछ दिन पहले NIA को एक बहुत बड़ी कामयाबी मिली। ISIS के एक बहुत बड़े मॉड्यूल ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लाम’ के खतरनाक मनसूबों कीभनक पहले ही NIA को लग गई थी। NIA ने यूपी पुलिस के सहयोग से दिल्ली समेत एनसीआर से 16 जगह रेड मारी और 10 लोगों को गिरफ्तार किया।

ख़बर थी कि ये लोग दिल्ली में 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) के पहले हमला करने की तैयारी में थे। इन लोगों के पास मिलने वाले हथियारों में रॉकेट लॉन्चर, 13 पिस्टल, 25 किलो विस्फोटक पदार्थ जैसे पोटैशियम नाइट्रेट, एमोनियम नाईट्रेट, सल्फर आदि मिले थे। इसके अलावा 112 अलार्म क्लॉक और 132 सिम कार्ड, मोबाइल फोन सर्किट, बैटरी और रिमोट कंट्रोल स्विच आदि इनके पास से बरामद हुए थे। फोटो समेट इन चीज़ों की सूची NIA द्वारा मीडिया को बताई गई थी।

इन तस्वीरों में घातक हथियारों के अलावा दिवाली के दिन जलाए जाने वाले सुतली बम और कुछ अन्य पटाखे भी मिले। जिन्हें आधार बनाकर कुछ लोगों ने और कुछ पत्रकारों ने NIA के इस कदम पर उन्हें बोलना शुरू कर दिया। साथ ही, तरह-तरह के कुतर्क दिए जाए जाने लगे कि सुतली बम नुकसानदायक नहीं होता है और इन्हें आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

कुछ लोगों ने NIA पर इस बात का भी इल्ज़ाम लगाया कि वो बेवज़ह आतंक का डर फैलाने की कोशिश कर रही है। साथ ही NIA के इस रेड को बेबुनियादी भी बताने से कुछ लोग नहीं चूके। इन बरामद हुई पिस्टल पर भी कई तंज कसे गए, कहा गया कि ये हाथ से बनाई गई पिस्टल हैं, ऐसे बंदूकों को तो लोकल गैंग द्वारा भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

सुतली बम पर तंज कसने वालों को, पकड़े गए लोगों को बेगुनाह बताने वालों को और NIA की बड़ी कामयाबी को बेबुनियाद बताने वालों को समझने की ज़रूरत है कि इन लोगों के पास से सिर्फ सुतली बम ही बरामद नहीं हुआ है। उनके पास से कई पिस्टल भी मिली हैं, जो हो सकता है लोकल स्तर पर बनवाई गई हों, लेकिन पिस्टल चाहे लोकल हो या फिर अमेरिका की, किसी पर दागने और किसी को मारने के लिए ये बंदूकें काफ़ी हैं। इसके अलावा इनके पास से विस्फोटक पदार्थ, 100 से अधिक अलॉर्म क्लॉक और सिम कार्ड भी मिले हैं। अब सुतली बम को आधार बनाकर NIA पर तंज कसने वालों से सवाल होना चाहिए कि इन लोगों के पास से ये चीज़े आखिर किस उद्देश्य से संभाल के रखी गई थी।

हम लोग बहुत अच्छे से जानते हैं कि आज मोबाइल का विस्तार हमारे देश समाज में कितनी बड़ी तादाद में हो चुका है, ऐसे में रिमोट के जरिए बम विस्फोट कहीं से कैसे भी किया जा सकता है। रही बात दिवाली में फोड़े जाने वाले सुतली बम की तो वो सिर्फ तब तक खतरनाक नहीं हैं जबतक उन्हें इस्तेमाल करने के मंसूबे गलत न हों।

इसके अलावा आतंक का इरादा रखने वाले हर आतंकी को RDX या TNT आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है इसलिए वो लोग अलग-अलग रसायनिक पदार्थों का इस्तेमाल करके बम निर्माण कर सकते हैं और करते ही होंगें। नाइट्रोजन में पाए जाने वाले बहुत से तत्व ऐसे होते हैं, जो IEDs (जुगाड़ से बनाने वाले बम) निर्मित करने में सहायक होते हैं और ये हमें कई उर्वरक और पटाखों के ज़रिए मिल जाते हैं। इसलिए आतंकियों के लिए अमोनियम नाइट्रेट बहुत खास और पसंदीदा होता है क्योंकि ये आसानी से ज्यादा मात्रा में उपलब्ध होने वाला पदार्थ है।

दिवाली पर, शादियों पर, या फिर किसी खुशी के मौके पर किए जाने वाले पटाखे ब्लैक पाउडर और फ्लैश पाउडर आदि से बनते हैं। इन पाउडरों से विस्फोटक पदार्थों का निर्माण होता है, जैसे- पोटाशियम नाइट्रेट, सल्फर, एल्युमीनियम पाउडर आदि। ये सब उन पदार्थों के नाम हैं जो दिवाली के पटाखों में भी इस्तेमाल किए जाते हैं और आतंकियों द्वारा बनाए विस्फोटकों में भी इस्तेमाल किया जाता है। जब ये निश्चित मात्रा में इन पदार्थों के पाउडर को विस्फोटक से जोड़ा जाता है तो ये एक घातक बम में तब्दील हो जाते हैं।

अब इन जानकारियों के आधार पर यदि बात करें तो मालूम पड़ेगा कि ये लोग दर्जन भर बम बनाने की तैयारी कर रहे थे जिसे वो रिमोटों के जरिए और टाइमर के जरिए इस्तेमाल करने वाले थे। ऐसे में अब कहना गलत नहीं हैं कि NIA पर तंज कसने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कहने की कोशिश कर रहे हैं कि इन लोगों पर मिला सामान किसी भी रूप में खतरनाक नहीं है।

इस विषय पर एक रोचक कटाक्ष यहाँ पढ़ें- NIA द्वारा पकड़े आतंकी 25 किलो ‘मसाले’ से चिकन मैरिनेट करने वाले थे

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया