जिस फुरकान की मौत के लिए यूपी पुलिस को जिम्मेदार बता रहा ओवैसी एन्ड गिरोह, वो बीमारी के कारण करा रहा था झाड़-फूँक

शामली में जो बीमार फुरकान थाने तक गया ही नहीं उसकी मौत को पुलिस कस्टडी डेथ साबित करने पर तुली ओवैसी की गैंग

सोशल मीडिया पर सोमवार (19 फरवरी, 2024) को एक खबर तेज़ी से वायरल हो रही है। यह खबर शामली में फुरकान उर्फ़ भूरा नाम के युवक की मौत से जुड़ी है। AIMIM पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी सहित तमाम इस्लामी हैंडल इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को निशाना बना रहे हैं। झूठी खबरों के लिए कुख्यात ‘बोलता हिंदुस्तान’ जैसे हैंडलों ने तो इसे पुलिस कस्टडी में हुई मौत करार दे दिया है। ऑपइंडिया ने इस मामले की ग्राउंड लेवल से पड़ताल की।

लगातार भ्रामक खबरों के लिए कुख्यात ‘बोलता हिंदुस्तान’ ने इस खबर को अपने पारम्परिक अंदाज़ में परोसा है। कैप्शन के तौर पर लिखा, “शामली में ‘फरमान’ को थाने ले गई पुलिस। परिजनों का आरोप – 1 घंटे बाद लाश घर फेंकी, पूरे शरीर में निशान।” इसी ट्वीट के नीचे कॉन्ग्रेस नेता राहुल काजल ने तंज कसते हुए लिखा कि ये ‘अमृत काल’ चल रहा है।

AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पार्टी के नेता शौकत अली के ट्वीट को शेयर करते हुए फुरकान के लिए मुआवजा माँगा है। ओवैसी ने UP के DGP से पुलिस वालों की गिरफ्तारी तक की माँग उठाई है और पुलिस पर अपराध करने का आरोप लगाया है। जबकि शौकत अली ने आरोप लगाया है कि चौकी इंचार्ज विनय सिंह अपने साथी सिपाहियों के साथ फुरकान को अपने साथ ले गए और बाद में उसकी लाश घर वापस कर देते हैं।

हल्द्वानी हिंसा पर भी कई आधारहीन ट्वीट करने वाली सदफ आफरीन ने इस मामले में भी इंट्री की है। सदफ ने कस्टडी मौतों में UP पुलिस को पहले नंबर पर बताते हुए फुरकान को बेरहमी से पीटने का आरोप लगाया है।

थाने तक गया ही नहीं था फुरकान

सोशल मीडिया पर चल रहे इस हंगामे के बीच शामली पुलिस का बयान आया है। तमाम भ्रामक दावों का खंडन करते हुए शामली पुलिस ने साफ कहा है कि मृतक फुरकान थाने पर गया ही नहीं था। पुलिस के बयानों के मुताबिक, बिड़ौली चौकी के स्टाफ अदालत का वारंट तामील करवाने 18-19 फरवरी की रात फुरकान के गाँव में गए थे। पुलिस को फारुख नाम के वॉरंटी की तलाश थी। पुलिस फारुख की तलाश में जुटी थी कि इसी दौरान उसके ही परिवार के 34 साल के फुरकान की तबीयत खराब होने लगी। थोड़ी देर बाद फुरकान की मौत हो गई।

पहले से बीमार रहता था फुरकान

अपने आधिकारिक बयान में शामली पुलिस ने यह भी दावा किया है कि फुरकान पहले से बीमार रहता था। हालाँकि, फुरकान के घर वालों द्वारा पुलिस पर लगाए गए प्रताड़ना के आरोपों के बाद मृतक का शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद फुरकान के घर वालों द्वारा लगाए गए आरोपों की असलियत बाहर आ पाएगी। फ़िलहाल पूरे मामले की विस्तृत जाँच के लिए एडिशनल एसपी को निर्देशित किया जा चुका है।

झाड़-फूँक से चल रहा था इलाज

ऑपइंडिया ने स्थानीय स्तर पर इस मामले की जानकारी जुटाई। नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय निवासी ने बताया कि वॉरंटी फारुख की तलाश में गाँव में गई पुलिस को देख कर एक युवक भागने लगा। पुलिस को उस युवक के भागने पर शक हुआ तो उसका पीछा किया गया। पीछा करने पर वहाँ फुरकान मिला। पूछताछ करने पर फुरकान हड़बड़ाने लगा। फारुख के न मिलने पर पुलिस वहाँ से लौट गई। दावा है कि फुरकान अपने ही घर में रुका रहा।

बाद में लगभग 1 से डेढ़ घंटे बाद उसकी मौत हो गई। बताया यह भी गया कि फुरकान के परिजन उसका लम्बे समय से झाड़-फूँक के सहारे से इलाज करवा रहे थे। हालाँकि, मामले की जाँच शामली के एडिशनल एसपी कर रहे हैं। जल्द ही पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी आने वाली है। इसके बाद फ़ुरक़ान की मौत के असल कारणों से पर्दा हट जाएगा।

झिंझाना में पुलिस पर हुए हैं हमले

जिस झिंझाना थाना क्षेत्र का यह मामला बताया जा रहा है वहाँ पहले पुलिस पर कई बार हमले हो चुके हैं। अक्टूबर 2018 में यहाँ पुलिस पर हमला कर के एक होमगार्ड की हत्या कर दी गई थी। इस दौरान सरकारी राइफल भी छीन ली गईं थी। लगभग 11 माह पहले यहाँ के गाँव केरटू में अपराधी जबरूद्दीन की तलाश में दबिश देने आई हरियाणा पुलिस पर भी हमला हुआ था। तब भी पुलिस के हथियार छीन लिए गए थे। तब झिंझाना थाने पर 21 नामजदों सहित कुल 40 आरोपितों पर FIR दर्ज हुई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया