‘महाराष्ट्र में मुस्लिम की लिंचिंग’: स्वीडन की यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले ट्रोल अशोक स्वैन ने भारत को बदनाम करने के लिए फैलाया झूठ, हिन्दुओं से करता है घृणा

अशोक स्वैन भारत में मुस्लिमों की लिंचिंग के बारे में दुष्प्रचार करता है (फोटो साभार: hmoob.in/वीडियो का स्क्रीनशॉट)

हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलने वाले, फेक न्यूज के लिए कुख्यात हिंदूफोबिक अशोक स्वैन (Ashok Swain) ने एक बार फिर भारत को बदनाम करने के लिए झूठ का सहारा लिया। हाल ही में अशोक ने भारत में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया।

अशोक स्वैन ने सोशल मीडिया से फैलाया झूठ

स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय में प्रोफेसर स्वैन ने भीड़ द्वारा एक व्यक्ति को पीटने वाले इस वीडियो को साझा करते हुए इसे सांप्रदायिक रंग दिया। उन्होंने लिखा, “एक और दिन, एक और लिंचिंग। भारत के महाराष्ट्र में एक और मुस्लिम व्यक्ति की लिंचिंग की जा रही है।”

इसके बाद एक और ट्वीट में स्वैन ने कहा कि शुक्र है कि इस क्रूरतापूर्वक हमले में वह आदमी बच गया। अब वह अस्पताल में है।

वहीं, बताया जा रहा है कि वायरल वीडियो में दिख रहे व्यक्ति पर मुस्लिम होने के कारण हमला नहीं किया गया था, बल्कि भीड़ ने चोर होने के शक में उसकी पिटाई की है। पिटाई का वीडियो इंटरनेट पर वायरल होने के बाद स्थानीय पुलिस ने इस घटना में शामिल 5 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस के मुताबिक, यह घटना 1 दिसंबर, 2022 को महाराष्ट्र के पेल्हार इलाके में हुई।

उधर, पुलिस ने उस व्यक्ति के खिलाफ भी चोरी के आरोप में केस दर्ज किया है। पुलिस ने बताया, “चार दिन पहले पालघर के नालासोपारा के पेल्हर इलाके में लोगों ने एक चोर को बुरी तरह से पीटा था। उसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिस शख्स को पीटा जा रहा था, उसके खिलाफ चोरी के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। वहीं पाँच अन्य लोगों को चोर की पिटाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।”

आपको बता दें कि यह कोई पहला मामला नहीं, जिसके बारे में झूठ फैलाया गया हो। इससे पहले भी कई ऐसे घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। इस मामले में भीड़ ने चोरी के संदेह में उस व्यक्ति पर हमला किया, इसलिए नहीं कि वह एक मुस्लिम था, जैसा कि अशोक स्वैन ने आरोप लगाया है। स्वैन ने बिना सोचे समझे भारत में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए इस घटना के बारे में झूठा दावा करते हुए ट्वीट किया, जिसे ट्विटर पर हजारों लोगों ने देखा और रीट्वीट किया।

गाजियाबाद की फर्जी खबर

यह घटना गाजियाबाद की फर्जी घटना से काफी मिलती-जुलती है, जिसमें एक मुस्लिम के साथ मारपीट का म्यूट वीडियो इंटरनेट पर शेयर किया गया। मोहम्मद जुबैर, सबा नकवी और कई अन्य लोगों ने वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया कि ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से इनकार करने पर बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति पर हमला किया गया। गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले में सच्चाई बताई थी। पुलिस ने बताया था कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की जब पुलिस ने जाँच की तो पाया कि पीड़ित अब्दुल समद बुलंदशहर से लोनी बॉर्डर स्थित बेहटा आया था।

वो एक अन्य व्यक्ति के साथ मुख्य आरोपित परवेश गुज्जर के घर बंथना गया था। वहीं पर कल्लू, पोली, आरिफ, आदिल और मुशाहिद आ गए। वहाँ पर बुजुर्ग के साथ मारपीट शुरू कर दी गई। अब्दुल समद ताबीज बनाने का काम करता था। आरोपितों ने बताया था कि उसके ताबीज से उनके परिवार पर बुरा असर पड़ा। अब्दुल समद गाँव में कई लोगों को ताबीज दे चुका था। आरोपित उसे पहले से ही जानते थे।

जुनैद खान की हत्या को सांप्रदायिक रंग दिया

जुनैद खान की हत्या को भी वामपंथी लॉबी ने सांप्रदायिक रंग दिया। उदारवादियों ने आरोप लगाया कि उस व्यक्ति को मुस्लिम होने के कारण पीट-पीटकर मार डाला गया था। हालाँकि, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि खान की हत्या ट्रेन की सीट को लेकर हुए झगड़े में की गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया