बचपन में पिता का साया उठा, माँ ने किया लालन-पालन: जानिए कौन हैं शीना रानी, जिनके नेतृत्व में अग्नि-5 का हुआ सफल परीक्षण

अग्नि-5 एवं शीना रानी (साभार: NBT/हर जिंदगी)

भारत ने ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के तहत अग्नि-5 मिसाइल का सोमवार (11 मार्च 2024) को सफल परीक्षण किया। लगभग 5,000 किलोमीटर की रेंज वाली यह अंतर-महाद्वीपीय मिसाइल ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल’ (MIRV) टेक्नोलॉजी के साथ देश में विकसित की गई। इसमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की वैज्ञानिक शीना रानी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

इस पूरे प्रोजेक्ट को DRDO की महिला वैज्ञानिक शीना रानी ने लीड किया है। वरिष्ठ वैज्ञानिक शीना रानी की सफलता को देखते हुए को लोगों ने उन्हें ‘दिव्य पुत्री’ नाम दिया है। हैदराबाद के DRDO की हाईटेक लैब में कार्यरत 57 वर्षीय शीना रानी के काम के प्रति लगन और उत्साह के कारण उनके सहकर्मी उन्हें ‘पावरहाउस ऑफ एनर्जी’ के नाम से भी बुलाते हैं।

केरल के तिरुवनंतपुरम की रहने वाली शीना रानी ‘अग्नि पुत्री’ के नाम से प्रसिद्ध मशहूर मिसाइल वुमेन टेसी थॉमस के नक्श-ए-कदम पर चलती हैं। टेसी थॉमस ने अग्नि सीरीज की मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अब शीना रानी उसी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। शीना भारत के ‘मिसाइल मैन’ कहे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को आदर्श मानती हैं।  

शीना रानी का जन्म केरल के तिरुवनंतपुरम में हुआ है। जब वह 10वीं कक्षा में थीं तब उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद उनकी माँ ने उनका पालन-पोषण किया। शीना रानी का कहना है कि माँ ही उनकी और उनकी बहन के जीवन की स्तंभ हैं। उन्होंने तिरुवनंतपुरम के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की है। उन्हें कंप्यूटर विज्ञान में भी विशेषज्ञता हासिल है।

शीना रानी ने भारत की अग्रणी नागरिक रॉकेटरी प्रयोगशाला, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में आठ वर्षों तक काम किया। साल 1998 में राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद वह DRDO से जुड़ी थीं। साल 1999 से वह अग्नि मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ी हुई हैं। MIRV तकनीक वाली अग्नि-5 मिसाइल के विकास में शीना रानी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।

शीना रानी का कहना है, “मैं DRDO की एक प्राउड मेंबर हूँ, जो भारत की रक्षा में मदद करती है।” उनके पति पी.एस.आर.एस. शास्त्री ने भी मिसाइलों पर DRDO में उनके साथ काम किया है। साल 2019 में इसरो द्वारा लॉन्च किए गए कौटिल्य उपग्रह के प्रभारी भी थे। उन्हें भारत के मिसाइल मैन, पूर्व डीआरडीओ प्रमुख और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरणा मिली थी।

दरअसल, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने भी अपना करियर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से ही शुरू किया था। इसके बाद वह इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का नेतृत्व करने के लिए DRDO में शामिल हुए थे। इस दौरान शीना रानी और उनके पति को डॉक्टर कलाम के साथ काम करने का मौका मिला था।

बताते चलें कि MIRV तकनीक सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन के पास ही है। इस मिसाइल को जमीन से या समुद्र से या फिर पनडुब्बी से भी लॉन्च किया जा सकता है। MIRV तकनीक की खास बात ये है कि इसकी मदद से कई हथियार ले जाए जा सकते हैं और अलग-अलग स्पीड और अलग-अलग दिशाओं में इन हथियारों से टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है। 


ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया