रात ‘कुली’ एक ख्वाब में आया, आँख खुली तो बिल्ला पहन ‘बोझा’ उठाते पाया: बस 30 नंबर से चूक गए राहुल गाँधी; क्योंकि चच्चा अमिताभ ने बाँध लिया था 786

कुली बनकर भी 30 नंबर से चूक गए राहुल गाँधी

मैडम (इटली वाली) की कसम! मैं मधुशाला नहीं गया था। मैंने मधुपान भी नहीं किया। बस मधुशाला पढ़ते-पढ़ते आँख लग गई। सपनों में हरिवंश राय बच्चन के पुत्र अमिताभ ही अवतरित हो गए। वो भी ‘कुली’ वाले अंदाज में। कानों में गूँजने लगा उनका वह डॉयलॉग जो सलीम-जावेद ने लिखा था;

बाजू पर 786 का बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूँ, काम करता हूँ कुली का और नाम है इकबाल

अमिताभ से याद आ गए उनके दोस्त राजीव। वही राजीव जिनके 53 वर्षीय ‘युवा’ बेटे हैं राहुल गाँधी। खयाल आया कि अगर अमिताभ की जगह राहुल कुली होते तो उनके लिए सलीम-जावेद कुछ इस तरह डॉयलॉग लिखते;

बाजू पर 756 का बिल्ला, वायनाड का खाता हूँ, काम है परदेश में देश की बुराई करना और नाम है जननायक

लौंडो को स्वप्न में दोष होता है। मेरे सपनों में कैलेंडर बदलता है। सो मैं सोते-सोते ही जून, 2024 में पहुँच गया। पाया कि लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की बड़ी जीत के बाद नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं। भाजपा की जीत की आँधी में विपक्ष के बड़े-बड़े दिग्गज चुनाव हार चुके हैं। क्या कॉन्ग्रेस, क्या TMC, क्या सपा, बसपा, AAP और डीएमके सभी को मुँह की खानी पड़ी है।

पत्रकार होने के नाते शपथ ग्रहण समारोह कवर करने के लिए मुझे अचानक ट्रेन से दिल्ली के निकलना पड़ रहा है। अल सुबह मेरी ट्रेन आनंद विहार स्टेशन पहुँच चुकी है और मैं कुली की तलाश कर रहा हूँ। सैकड़ों की तादात में मौजूद कुली यात्रियों से सामान उठाने के लिए बातचीत करते नजर आ रहे हैं। इस दौरान सफेद कुर्ता और पायजामा पहने कुछ लोग झुंड बनाकर एक कुली को घेर कर खड़े हैं। ‘कॉन्ग्रेस जिंदाबाद…राहुल गाँधी जिंदाबाद…’ जैसे नारे गूँज रहे होते हैं।

मुझे लगा कि कॉन्ग्रेस का कोई बड़ा नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आया होगा। इसलिए उनके समर्थक नारेबाजी कर रहे हैं। यह मेरे लिए भी अच्छे मौके की तरह था। शपथ ग्रहण समारोह कवर करने आया था और विपक्ष के बड़े नेता का बयान भी मिल जाए, इससे बेहतर क्या ही हो सकता है। मैंने फट से माइक निकाला और मोबाइल का कैमरा चालू कर चल दिया भीड़ की ओर…।

हाथ में कॉन्ग्रेस का झंडा लिए कई खलिहर अब भी एक कुली को घेरे खड़े थे। कुछ अति खलिहर उसके साथ सेल्फी ले रहे थे। करीब पहुँचते ही मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। ये कुली सिर्फ एक कुली नहीं, बल्कि कॉन्ग्रेस के ‘चिर युवा’ राहुल गाँधी थे। काला पैंट, दाग-धब्बे लगी हुई सफेद टीशर्ट और उस पर कुली की पहचान बताती लाल शर्ट पहने राहुल एक सूटकेस पर बैठे हुए थे।

राहुल गाँधी अपने चिर परिचित अंदाज में कॉन्ग्रेस समर्थकों के बीच अडानी और अंबानी को कोस रहे थे। लोकतंत्र पर हमला, संविधान बदलने की कोशिश और चीन ने जमीन हड़प ली जैसे वाक्यों का बार-बार दौरा पड़ रहा था। सीधे शब्दों में कहूँ तो राहुल के शब्द और लहजा पुराना था। बस कपड़े दूसरे थे।

मैं मन ही मन राहुल की इस स्थिति के लिए भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहरा रहा था। तभी पिताजी की जोरदार लात से मेरी नींद खुल जाती है। पिताजी जोरदार फटकार लगाते हुए कहते हैं, “रे नालायक घड़ी देखी 11 बज गए हैं। अब भी सोता ही रहेगा, उठा जा।” विपक्षी पार्टी के बड़े नेता का बयान लेने का मेरा सपना, असल में स्वप्न दोष निकला, क्योंकि घर के कैलेंडर में भी तारीख 21 सितंबर 2023 की थी।

मायूस हो टीवी ऑन किया। अरे ये क्या! क्या टीवी वाले भी स्वप्न दोष में चल रहे हैं!! ये क्या देख लिया रे बाबा!!! थोबड़े पर झट से एक मग पानी डाला। आँखें चियार कर टीवी पर देखा। टीवी पर तो सपना ही हकीकत था। राहुल गाँधी कुली बने हुए थे। सोशल मीडिया पर भी उनकी सिर पर ट्रॉली बैग उठाए फोटो वायरल थी। चक्के वाली वही ट्रॉली जो हम खींचकर ले जाते हैं, राहुल ‘बोझे’ की तरह उठाकर चल रहे थे।

बोझ उठाए राहुल की चाल कोई ‘कुली नंबर वन’ वाली नहीं थी। यह हर उस कॉन्ग्रेसी की चाल थी जो 2014 से ‘राहुल बोझा’ उठाकर चल रहे हैं। जिनके स्वप्न में हर रात दोष आता है और वे लाल किले से राहुल को देश को संबोधित करते दिखते हैं। काश चच्चा अमिताभ ने 786 वाला बिल्ला न बाँधा होता… आज भतीजे की बाँह पर 756 नहीं होता। यह केवल 30 नंबर से चूकना नहीं है। यह 2024 में कॉन्ग्रेस के गिरकर 30 पर आने के लक्षण तो नहीं!

आकाश शर्मा 'नयन': हिन्दू, हिन्दू भाई-भाई