रिसर्च के लिए लैब भेजा जाएगा राहुल गाँधी का अमोघ वस्त्र, ‘हाथ’ की जगह सुपर ह्यूमन का ‘टीशर्ट’ होगा कॉन्ग्रेस का चुनाव चिह्न!

राहुल गाँधी के टीशर्ट की प्रदर्शनी लगा सकते हैं कॉन्ग्रेसी!

‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ है टाइप से ‘राहुल गाँधी को ठंड क्यों नहीं लगती’ वाला प्रश्न इस समय उफान पर है। या यूँ कहें कि कॉन्ग्रेसियों ने इसे जबरन एक जरूरी प्रश्न बना दिया है। इसकी वजह है राहुल गाँधी का वह ‘सफेद टीशर्ट’, जिसे वह अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में पहन रहे हैं। हो सकता है कॉन्ग्रेसी भविष्य में इस टीशर्ट की प्रदर्शनी लगाएँ। इस टी-शर्ट को ‘ठंड से बचने का अचूक उपाय’ बताएँ। इसकी नीलामी कर करोड़ों कमाएँ।

कॉन्ग्रेसी अपने आराध्य ‘राहुल गाँधी’ की तुलना भगवान श्रीराम से भी कर चुके हैं। ऐसे में उनके द्वारा पहने गए अमोघ वस्त्र ‘टीशर्ट’ को रिसर्च के लिए लैब भी भेजा जा सकता है। बुधवार को कॉन्ग्रेसियों ने इस टीशर्ट को ट्विटर पर ट्रेंड करा दिया था मानो टीशर्ट न हुआ कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा हो गया। इसी टीशर्ट के बहाने कॉन्ग्रेसी राहुल को सुपर ह्यूमन तक बता रहे हैं। सलमान खुर्शीद ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह ठंड से ठिठुर रहे हैं और जैकेट पहन रहे हैं, लेकिन राहुल राहुल गाँधी सुपर ह्यूमन हैं। राहुल गाँधी टीशर्ट में बाहर जा रहे हैं।

कॉन्ग्रेसी राहुल के टीशर्ट को लेकर इतने आह्लादित हो चुके हैं कि किसी दिन यह भी खबर आ सकती है कि पार्टी ने चुनाव आयोग में अपने चुनाव चिह्न को बदलने के लिए आवेदन किया है। आवेदन में कॉन्ग्रेसी यह गुहार लगा रहे हैं कि वह अपना चुनाव चिह्न ‘हाथ’ से बदलकर ‘राहुल गाँधी का टीशर्ट’ करना चाहते हैं।

कॉन्ग्रेस के स्थापना दिवस पर बुधवार (29 दिसंबर 2022) को राहुल कॉन्ग्रेस दफ्तर पहुँच गए थे। कड़ाके की ठंड में वह अपने सफेद दिव्य टीशर्ट पहनकर दफ्तर पहुँचे थे। ऐसे में उनसे किसी ने इस टीशर्ट के बारे सवाल पूछ लिया। उन्होंने कहा कि अभी टीशर्ट ही चल रहा है। जब टीशर्ट नहीं चलेगा, तब देखेंगे। राहुल गाँधी की बात से तो यही समझ आया कि वह इस ठंड इसी टीशर्ट के साथ सार्वजनिक जगहों पर दिखाई देंगे।

उन्हें टीशर्ट पहनने के बाद ठंड लगती है या नहीं से बड़ा सवाल यह है कि वह 52 साल की उम्र में यह दिखावा क्यों कर रहे हैं। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान उनसे पूछा गया था कि वह यह टीशर्ट क्यों पहन रहे हैं। उन्होंने कहा था कि देश के गरीबों, किसानों, छात्रों से यह बात क्यों नहीं पूछी जाती कि उन्हें क्यों ठंड नहीं लगती? अब उन्हें कौन बताए कि इनलोगों को ठंड लगती है और वे गर्म कपड़े भी पहनते हैं।

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