माँ सीता और भगवान हनुमान का अपमान, ममता बनर्जी के ऑफिसर ने बनाई फिल्म: CBFC ने चलाई कैंची

विवादों में बंगाली फिल्म आशारे गोप्पो (फोटो साभार: FGN News)

धार्मिक भावनाओं को लेकर फिल्मों में खेल किए जाने का इतिहास बहुत पुराना है। क्रिएटिविटी के नाम पर कभी भगवान शिव का मजाक बनाया जाता है तो कभी भगवान को च्विंगम खाते हुए दिखाया जाता है। लेकिन अब इसी क्रम में एक बंगाली फिल्म भी विवादों में आ गई है। राज्य सरकार के अधिकारी द्वारा निर्देशित और रुद्रनील घोष, पायल सरकार और अबीर चटर्जी द्वारा अभिनीत फिल्म विवादों में है। फिल्म में सीता और हनुमान को निरूपित करने के लिए प्रयोग किए गए ‘सीते’ और ‘होनू’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल को लेकर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय (CBFC) ने आपत्ति जताई है। सीबीएफसी ने फिल्म ‘आशारे गोप्पो’ (Aasharey Goppo) में इन शब्दों को म्यूट करने के लिए कहा है।

सोमवार (25 अप्रैल, 2022) को एक सुनवाई में, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने ‘आशारे गोप्पो’ के निदेशक को चार संशोधन करने के लिए कहा, जिसमें दो शब्दों को म्यूट करना भी शामिल है। सुनवाई का हिस्सा रहे CBFC सलाहकार पैनल के सदस्य पार्थ सारथी चौधरी के अनुसार, फिल्म के लिए U/A प्रमाणन की सिफारिशें की गई थीं। उनका कहना है कि इन शब्दों का इस्तेमाल ‘अपमानजनक’ संदर्भ में किया गया था।

वहीं फिल्म के सीन पर कैंची चलने को लेकर निर्देशक अरिंदम चक्रवर्ती ने नाराजगी जताते हुए सीबीएफसी को ‘हास्यास्पद’ करार दिया। निर्देशक चक्रवर्ती ने कहा, “वे अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और उन्हें सिनेमा के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हम एक कॉमेडी फिल्म बना रहे हैं, जिसमें दोहरे अर्थ वाले संवाद हैं। सीन में ये दो शब्द दिखाई देते हैं वह दिखाता है कि ‘रामायण’ एक सीरियल के लिए शूट की जा रही है। मैंने उनसे ‘होनू’ के बजाय हनुमान शब्द की अनुमति देने का अनुरोध किया। मैंने उनसे पूछा कि क्या मेरा संवाद रामायण को विकृत कर रहा है। लेकिन मुझसे कहा गया था कि मैं अपनी बात नहीं रख सकता।” इसी तरह उन्होंने सीते शब्द पर भी सफाई दी।

इसके साथ ही फिल्म के अभिनेता रुद्रनिल ने कहा कि सीबीएफसी के लोग फिल्म को प्रमाणित करते समय हमेशा अपने व्यक्तिगत विचार थोपते हैं। बता दें कि रुद्रनिल और पायल दोनों ने भाजपा के टिकट पर 2021 का बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन जीतने में सफलता नहीं हासिल कर पाए थे।

वहीं पार्थ सारथी चौधरी ने कहा कि सीबीएफसी ने ‘होनू’ और ‘सीते’ शब्दों को म्यूट करने की सिफारिश इसलिए की क्योंकि वे दिशानिर्देश 2 (XII) का उल्लंघन करते हुए पाए गए। सिफारिश में कहा गया है कि बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि नस्लीय, धार्मिक या अन्य समूहों की अवमानना ​​​​करने वाले दृश्य या शब्द प्रस्तुत नहीं किए जा सकते। उन्होंने कहा कि उन्हें यह दृश्य हिंदू देवी सीता और भगवान हनुमान के प्रति बेहद अपमानजनक लगा। जिम्मेदार पैनल सदस्यों के रूप में, उन्होंने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम को ध्यान में रखते हुए काम किया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया