फिल्म ‘The Kerala Story’ चर्चा का विषय बनी हुई है। अभी इसका ट्रेलर आया है, जो YouTube पर भी टॉप पर ट्रेंड कर रहा है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे मुस्लिम युवाओं को प्रशिक्षण देकर हिन्दू-ईसाई युवतियों को फँसा कर उनका इस्लामी धर्मांतरण कराने के लिए भेजा जाता है। निकाह के बाद उनकी तस्करी कर के उन्हें सीरिया भेजा जाता है, आतंकी संगठन ISIS के पास। इस फिल्म के निर्माता विपुल अमृतलाल शाह हैं।
संवेदनशीलता एकतरफा नहीं हो सकती, इसकी आड़ में छिपना बंद करें: ‘The Kerala Story’ के निर्माता विपुल अमृतलाल शाह
उनका कहना है कि ‘The Kerala Story’ वास्तविक घटनाओं पर आधारित है। उन्होंने बताया कि इस चंगुल में फँस चुकी कई लड़कियाँ अफगानिस्तान की जेल में हैं। उन्होंने बताया कि ये ऐसी ही लड़कियों की कहानी है, जो धर्मांतरण के जाल में फँस गईं और उनका जीवन बर्बाद हो गया। उन्होंने बताया कि फिल्म की टीम रिसर्च के दौरान ऐसी लगभग 100 पीड़िताओं से मिली। उनका कहना है कि उनके पास कई वीडियो हैं, जिनमें पीड़िताओं ने अपना दर्द साझा किया है।
बकौल विपुल अमृतलाल शाह, उनका उद्देश्य पीड़ित लड़कियों की कहानी दिखाना है, ये लोगों के ऊपर है कि वो इसे ‘लव जिहाद’ नाम दें या कुछ और। उन्होंने कहा कि हमें इस चीज के पीछे छिपना बंद कर देना चाहिए कि कोई मुद्दा बहुत संवेदनशील है और इससे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ेगा। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसे अपराध करने वाले इस बारे में सोचते हैं? वो बस अपने एजेंडे के अनुरूप काम करते हैं। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता एकतरफा नहीं हो सकती, कोई कुछ करेगा तो कोई उसकी पोल भी खोलेगा।
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने सती प्रथा का उदाहरण देते हुए कहा कि ये गलत था तो हिन्दुओं ने इसे हटाया, इसके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले भी हिन्दू थे। उन्होंने उम्मीद जताई कि ताज़ा घटनाओं पर मुस्लिम समुदाय आगे आकर निंदा करेगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा किसी फिल्म को लेकर कुछ स्टैंड लेने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्टैंड लें, लेकिन पीड़ित लड़कियों को मत भूलें। बता दें की विपुल शाह इस फिल्म के निर्माता हैं, जबकि निर्देशक सुदीप्तो सेन हैं।
कौन हैं ‘The Kerala Story’ के निर्माता विपुल अमृतलाल शाह
विपुल अमृतलाल शाह 1999-2002 के बीच सोनी टीवी पर आए सीरियल ‘एक महल हो सपनों का’ का निर्देशन कर के चर्चा में आए थे। ये सीरियल 1000 एपिसोड तक पहुँचा। गुजरती फिल्म ‘दरिया छोरू (1999)’ ने उन्हें अपने गृह राज्य में स्थापित किया। 2002 में आई ‘आँखें’ बॉलीवुड में बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म थी, जिसमें अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और सुष्मिता सेन थे। अक्षय-अमिताभ और प्रियंका चोपड़ा को लेकर उन्होंने 2005 में ‘वक्त: द रेस अगेंस्ट टाइम’ बनाई।
लेकिन, उनके करियर की सबसे बड़ी फिल्म 2007 में रिलीज हुई ‘नमस्ते लंदन’ रही, जिसमें अक्षय कुमार और कटरीना कैफ के अलावा ऋषि कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे। उनकी अगली फिल्म में अक्षय कुमार और सलमान खान थे, लेकिन ‘लंदन ड्रीम्स (2009)’ सफल नहीं रही। 2010 में उन्होंने अक्षय कुमार-ऐश्वर्या राय के साथ ‘एक्शन रिप्ले’ बनाई। 2018 में आई अर्जुन कपूर-परिणीति चोपड़ा की ‘नमस्ते इंग्लैंड’ बतौर निर्देशक बॉलीवुड में उनकी अंतिम फिल्म थी।
यहाँ ये जानने ज़रूरी है कि ‘आँखें’ के अलावा बाकी फिल्मों के प्रोड्यूसर भी वही थे। इसके अलावा जॉन अब्राहम की ‘फ़ोर्स’ और विद्युत जामवाल की ‘कमांडो’ सीरीज की फिल्मों के निर्माता भी वही हैं। अक्षय कुमार की सुपरहिट फिल्म ‘सींग इज किंग (2008)’ का निर्माण भी उन्होंने ही किया था। ‘कमांडो’ की 3 फ़िल्में आ चुकी हैं और ‘फ़ोर्स’ की तीसरी बन रही है। उन्होंने OTT सीरीज ‘Human (2022)’ का भी निर्देशन किया, जिसमें उनकी पत्नी शेफाली शाह थी।
शेफाली शाह थिएटर, फिल्म इंडस्ट्री और टीवी की एक बड़ी एक्ट्रेस रही हैं। ‘सत्या (1998)’ का गाना ‘कुड़ी सपने में मिलती है’ उन पर फिल्माया गया था। स्टार प्लस पर आने वाले महेश भट्ट कृत ‘कभी कभी (1997)’ से उन्हें पहचान मिली। OTT पर उन्होंने ‘दिल्ली क्राइम (2019)’ के माध्यम से अपनी छाप छोड़ी। ‘The Last Year (2009)’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। ‘दिल धड़कने दो (2015)’ में उन्होंने अनिल कपूर की पत्नी का किरदार अदा किया था, जिसके लिए उन्हें कई अवॉर्ड्स मिले थे।