‘फिल्म हिंदी में बनाते हैं, बातें अंग्रेजी में करते हैं, स्क्रिप्ट रोमन में देते हैं’: बॉलीवुड के इंग्लिश कल्चर पर भड़के नवाजुद्दीन सिद्दीकी

नवाजुद्दीन सिद्दीकी (फाइल फोटो/ साभार: HT)

बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपनी बेबाकी को लेकर जाने जाते हैं। वे अक्सर बॉलीवुड के दोहरे स्टैंडर्ड पर बोलते रहते हैं। बॉलीवुड में रंगभेद, नेपोटिज्म और रेसिज्म जैसे गंभीर मुद्दों पर अपनी बात रख चुके हैं। अब उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में हिंदी के कम इस्तेमाल को लेकर बॉलीवुड पर निशाना साधा है।

उन्होंने कहा कि हम हिंदी फिल्में बनाते हैं, लेकिन हिंदी भाषा में बात करने में ही शर्म महसूस करते हैं। साउथ में ऐसा नहीं देखा जाता है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने टाइम्स नाउ नवभारत के दिए एक कार्यक्रम में यह बात कही। वे 23 अप्रैल 2022 को टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में ‘एस्पिरेशन टू एक्शन’ नाम के विशेष सत्र में बोल रहे थे।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बगैर किसी का नाम लिए कहा कि फिल्म हिंदी में बनाते हैं और स्क्रिप्ट रोमन में देते हैं। इससे फिल्म के सेट पर थिएटर आर्टिस्ट को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड का नाम बदल कर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री रखना चाहिए।

नवाज ने कहा कि जब उनके पास फिल्म की स्क्रिप्ट आती है तो रोमन में आती है। जिसे समझना मुशकिल हो जाता है। इसके लिए उन्हें देवनागरी में स्क्रिप्ट माँगनी पड़ती है। एक्टर ने कहा, “आप हिंदी में फिल्म बना रहे हो, लेकिन डायरेक्टर भी, असिस्टेंट भी, सारे इंग्लिश में बात कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब सारे अंग्रेजी में बात करते हैं तो इससे आर्टिस्ट की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है। आधी बात समझ आती है और आधी नहीं समझ में आती है। साउथ इंडस्ट्री में सब अपनी भाषा में बात करते हैं, गर्व महसूस करते हैं। तमिल फिल्म बन रही है तो सभी लोग तमिल में बात करेंगे। कन्नड़ फिल्म बन रही है तो सभी लोग कन्नड़ में बात करेंगे… तो एक माहौल बन जाता है। सबको सबकी बातें समझ आती हैं। इससे माहौल बनता है और कुछ अच्छा ही क्रिएट होता है। तभी साउथ की फिल्में हिट होती है। हमारे यहाँ ऐसा नहीं होता है।”

एक्टर ने कहा कि हमारे यहाँ हर कोई अपनी खीर बना रहा होता है और एक्टर चुपचाप खड़ा रहता है। जो अच्छा एक्टर है, थिएटर का एक्टर है, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा, क्योंकि वो अंग्रेजी नहीं जानता। वो इधर-उधर देखता है, उसी के किरदार के बारे में बात कर रहे होते हैं, लेकिन उसे ही समझ नहीं आता। सिद्दीकी ने यह भी कहा कि थिएटर से आने वाले कई प्रतिभाशाली अभिनेता पॉश शहरी पृष्ठभूमि से नहीं आते हैं और वह मॉडर्न इंग्लिश बोलने में सहज नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर सेट पर हर कोई हिंदी में बात करेगा, तो अभिनेता के लिए यह समझना आसान होगा कि परफॉर्मेंस के मामले में उसके लिए क्या जरूरी है।

यह पूछे जाने पर कि क्या आजकल फिल्में राजनीतिक टूल बन गई है, सिद्दीकी ने कहा, “फिल्म तो फिल्म है। सभी प्रकार की फिल्में पहले भी बनीं, अभी भी बन रही हैं और आगे भी बनती रहेंगी। यह दर्शकों पर निर्भर करता है कि वे इसे कैसे देखते हैं, कैसे लेते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि हाल के दिनों में जिस तरह की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं, उससे वह निराश हैं।

गौरतलब है कि गृह मंत्री अमित शाह ने भी 9 अप्रैल 2022 को अंग्रेजी की जगह अधिक से अधिक हिंदी भाषा के के इस्तेमाल पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था, “विभिन्न राज्यों के लोगों को एक-दूसरे से हिंदी में बात करना चाहिए, न कि अंग्रेजी में। अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाया जाए। जब अन्य भाषा बोलने वाले राज्यों के लोग आपस में एक-दूसरे से बात करते हैं, तो यह भारत की भाषा में होना चाहिए।”

शाह ने यह भी कहा था कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए न कि स्थानीय भाषाओं के लिए। उन्होंने कहा कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करके हिंदी को लचीला नहीं बनाते हैं तब तक इसका प्रचार नहीं किया जा सकेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया