Swatantra Veer Savarkar: रणदीप हुड्डा लेकर आ रहे वीर सावरकर का वो इतिहास, जिसे दबाया गया, निर्माता बोले – ‘मिलना चाहिए था भारत रत्न’

फिल्म का टैग लाइन है - “हिंदुत्व धर्म नहीं, इतिहास है…" (फोटो साभार: रणदीप हुड्डा का ट्विटर)

देश की आजादी के महान नायकों में से एक वीर सावरकर की शनिवार (28 मई 2022) को 139वीं जयंती है। इस मौके पर उनके जीवन पर बन रही फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर (Swatantra Veer Savarkar) का पहला लुक रिलीज कर दिया गया। इसमें रणदीप हुड्डा एक्टर हैं।

रणदीप हुड्डा ने ट्विटर पर 30 सेकंड का एक मोशन पोस्टर साझा किया। इसमें फ्रंट में वीर सावरकर के रूप में खुद रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda in Swatantra Veer Savarkar) की तस्वीर है और बैकग्राउंड में ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा…’ की म्यूजिक बज रही है। पोस्ट के साथ उन्होंने लिखा:

“स्वतंत्रता और आत्म-बोध के लिए भारत के संघर्ष के सबसे गुमनाम नायकों में से एक को सलाम। आशा करता हूँ कि एक सच्चे क्रांतिकारी के पदचिन्हों पर चलने की चुनौती पर खरा उतर कर उनकी असली कहानी बता सकता हूँ, जिन्हें इतने लंबे समय तक दबा कर रखा गया था। #VeerSavarkarJayanti”

उल्लेखनीय है कि एक्टर रणदीप हुड्डा महेश मांजरेकर द्वारा निर्देशित अगली फिल्म ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ में वीर सावरकर का रोल निभा रहे हैं। वीर सावरकर स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ एक समाज सुधारक, लेखक, कवि, इतिहासकार, राजनीतिक नेता और दार्शनिक भी थे। फिल्म के फर्स्ट लुक के मोशन पोस्टर में टैग लाइन दिया गया है “हिंदुत्व धर्म नहीं, इतिहास है…”

फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने रणदीप हुड्डा की आगामी फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर में वीर सावरकर के रूप में रणदीप हुड्डा का पहला लुक साझा किया। इस फिल्म के प्रोड्यूसर आनंद पंडित और संदीप सिंह हैं, जबकि सह-प्रोड्यूसर रूपा पंडित और सैम खान हैं।

गौरतलब है कि है कि पिछले महीने ही शहीद दिवस के मौके पर रणदीप हुड्डा ने इंस्टाग्राम के जरिए ऐलान किया था कि वो महेश मांजरेकर की फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर में वीर सावरकर की भूमिका निभाएँगे। इस फिल्म के लिए एक्टर ने अपना 10 किलो वजन कम किया है। अभी अगले 2 महीने में उन्हें 12 किलो और मतलब उन्हें कुल मिलाकर 22 किलो वजन कम करना है।

वीर सावरकर पर बन रही फिल्म को लेकर इसके प्रोड्यूसर संदीप सिंह कहते हैं कि वो इसके लिए दो साल से कोशिशें कर रहे थे। संदीप सिंह इस बात को मानते हैं कि भारतीय इतिहास ने वीर सावरकर को कभी भी वो सम्मान नहीं दिया, जिसके वो अधिकारी थे। उन्हें भारत रत्न या फिर नोबल पुरस्कार दिया जाना चाहिए था।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इतिहास वीर सावरकर के प्रति कभी दयालु नहीं रहा है। वीर सावरकर को 1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद लगातार सरकारों द्वारा तिरस्कार और अवमानना ​​​​का पात्र बनाया गया। उन्हें गाँधी की हत्या में भी झूठा फँसाया गया था, लेकिन बाद में उनके खिलाफ सबूतों की कमी के लिए उन्हें बरी कर दिया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया