गुनहगार एंडरसन को भगाया, यार शहरयार को छुड़ाया: भोपाल हादसों पर बनी KK मेनन की ‘The Railway Men’, 25000 मौतों के बाद राजीव गाँधी की सौदेबाजी

'The Railway Men' में टिकट कलेक्टर की भूमिका में केके मेनन, राजीव गाँधी ने भोपाल गैस त्रासदी के गुनहगार को छोड़ दिया था (फोटो साभार: Netflix/India Today)

“सच ये है कि हम न जान लेने वालों को सज़ा देते हैं और न जान लेने वालों को शाबाशी” – केके मेनन की नई वेब सीरीज का ये डायलॉग कई राजनेताओं को असहज कर देगा। भोपाल गैस त्रासदी पर Netflix 4 एपिसोड की वेब्स सीरीज लेकर आया है, जिसमें केके मेनन के अलावा दिव्येंदु शर्मा, जूही चावला और आर माधवन भी दिखाई देंगे। इसका ट्रेलर जारी किया जा चुका है। इस वेब सीरीज का नाम है ‘The Railway Men’, ये कहानी है उन रेलवे कर्मचारियों की जिन्होंने कई लोगों की जान बचाई।

केके मेनन की ‘The Railway Men’ का ट्रेलर जारी

‘द रेलवे मेन’ के ट्रेलर में इसका चित्रण किया गया है कि कैसे ‘यूनियन कार्बाइड’ की फैक्ट्री में आग लगी और फिर फैक्ट्री के विदेशी मालिक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। फैक्ट्री का एक मैनेजर बताता है कि कंपनी वालों को 2 साल से इन सबका पता था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। उस समय कैसी भयंकर स्थिति थी, गैस लीक के पीड़ितों के लिए कोई दवा तक नहीं थी, संकट था कि इतने लोगों को कैसे बचाया जाएगा। ये भी दिखाया गया है कि कैसे नेताओं को कंपनी का विदेशी मालिक स्पष्ट कहता है कि ये गैस जानलेवा नहीं है, कंपनी का यही स्टैंड है।

‘The Railway Men’ के बारे में एक और बड़ी बात बता दें कि इसमें दिवंगत अभिनेता इरफ़ान खान के बेटे बाबिल भी काम कर रहे हैं। केके मेनन ने इसमें एक टिकट कलेक्टर का रोल अदा किया है। वेब सीरीज के क्रिएटर और निदेशक शिव रावली ने कहा कि ये मानवीय भावनाओं की कहानी है। किस तरह कुछ रेलवे कर्मचारियों ने अपनी जान पर खेल कर पीड़ितों की जान बचाई, ये कहानी उसे ही दर्शाती है। न कोई संसाधन, न कोई सहायता – फिर भी ये लगे रहे।

कंपनी के मालिक वॉरेन एंडरसन को राजीव गाँधी सरकार ने भगा दिया

अब बात जब भोपाल गैस त्रासदी की आती है तो ये जानना ज़रूरी है कि आखिर हुआ क्या था। ये हादसा है 1984 का, जिस साल इंदिरा गाँधी की हत्या हुई थी और उनके बेटे राजीव प्रधानमंत्री बने थे। 2-3 दिसंबर की रात यहाँ ‘यूनियन कार्बाइड’ की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीले गैस का रिसाव हुआ। कहा जाता है कि भोपाल के गुनहगार वॉरेन एंडरसन की आजादी के बदले अमेरिका ने राजीव गाँधी के यार आदिल शहरयार को रिहा किया था।

वॉरेन एंडरसन ही इस कंपनी का अध्यक्ष था। सुप्रीम कोर्ट ने भी 15,000 से अधिक लोगों की मौत की बात मानी थी, हालाँकि आँकड़े इससे कहीं अधिक हैं और अनाधिकारिक आँकड़े 25,000 मौतों तक जाते हैं। बस दिखावे के लिए गिरफ़्तारी के बाद वॉरेन एंडरसन को छोड़ दिया गया और दिल्ली से वो अमेरिका के लिए उड़ गया। आरोप है कि अपने दोस्त शहरयार को छुड़ाने के लिए राजीव गाँधी ने ये सौदा किया। आदिल शहरयार ने रिहा होते ही करोड़ों डॉलर की कंपनी खड़ी कर ली, फिर 1990 में उसकी रहस्यमयी मौत भी हो गई थी।

उस समय सरकार क्या कर रही थी? राजीव गाँधी PMO के सौंदर्यीकरण में व्यस्त थे। हर्बर्ट बेकर एक ब्रिटिश शिल्पकार था। इसे ही सचिवालय के सौंदर्यीकरण का दायित्व सौंपा गया था। जितने रुपए राजीव गाँधी ने अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए PMO को डिजाइन करने में खर्च किए उसका आधा भी उन्होंने उन मासूमों पर खर्चा करना ज़रूरी नहीं समझा। आजकल कॉन्ग्रेस के लोग एक वीडियो भी खूब शेयर करते हैं, जिसमें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन राजीव गाँधी के लिए छाता उठाए उन्हें सम्मान देते हुए दिखते हैं।

दरअसल, इसके पीछे भी इसी सौदेबाजी वाला राज़ छिपा है। दावा किया जाता है कि वॉरेन एंडरसन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति रेगन ने स्वयं राजीव गाँधी को फोन किया था और उनसे बात करके सुनिश्चित किया था कि एंडरसन को वे सुरक्षित अमेरिका भिजवाएँ। आदिल शहरयार वही शख्स है, जिसे फ्लोरिडा की अदालत ने कई बार धोखाधड़ी का दोषी करार दिया था और उसी को छोड़ने के बदले एंडरसन को जाने दिया गया। आज यही कॉन्ग्रेस पार्टी बड़ी-बड़ी बातें करती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया