‘मुस्लिम जमींदार ने गोहत्या करने को कहा, बनिया ने उसे ही मौत के घाट उतार दिया’: 88 साल बाद वायरल हो रही खबर, कराची की घटना और ‘गंगा-जमुनी तहजीब’

हिंदू बनिया और मुस्लिम जमींदार की 1934 वाली कहानी हो रही वायरल (फाइल/प्रतीकात्मक चित्र)

भारत में बैठे कुछ बुद्धिजीवी आज पाकिस्तान और पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथीयों के लिए प्रेम व भाईचारे की बातें करते हैं। उन सभी लोगों को हम आज 1934 की उस घटना के बारे में बताना चाहते हैं, जिसे ‘गंगा-जमुनी तहबीज’ के नीचे सालों पहले दबा दिया गया था और अब तक दबाए रखा गया। यह घटना कराची के एक मुस्लिम जमींदार और हिंदू बनिया की मौत की है।

इस घटना की चर्चा इतने सालों के बाद तब शुरू हुई, जब सोशल मीडिया पर एक समाचार क्लिपिंग वायरल होने लगी। इस समाचार क्लिपिंग में कराची के हिंदू बनिया साहूकार और मुस्लिम जमींदार के बीच हुए विवाद का जिक्र है, जिसमें बनिया को एक गाय की हत्या करने को कहा गया था। सोशल मीडिया पर क्लिपिंग को ‘धनी मारवाड़’ यूजर आईडी से शेयर किया गया है।

इसी समाचार क्लिपिंग के अनुसार, कराची के एक बनिया साहूकार ने एक मुस्लिम जमींदार को कुछ पैसे उधार दिए। इसे वापस लेने के लिए जब बनिया जमींदार के पास गया तो उसने बनिया से एक गाय की तलवार से हत्या करने को कहा। मगर बनिया ने गाय की हत्या नहीं की, बल्कि उस मुस्लिम जमींदार को ही चाकू मार दिया।

जमींदार पर अचानक हुए इस हमले से उसकी मौत हो गई, वहीं बनिया ने जमींदार की हत्या करने के बाद उसके दो आदमियों को भी मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद हिंदू बनिया ने आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन गोहत्या नहीं की। (ऑपइंडिया इस घटना की ऑपइंडिया पुष्टि नहीं करता है)

गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। एक यूजर ने इसको लेकर कॉन्ग्रेस पर ही सवाल खड़ा किया और लिखा, “1947 में कॉन्ग्रेस ने इस तरह के बनियों को छोड़ दिया। सिंध का विभाजन होना चाहिए था, या एक हिस्सा जोधपुर राज्य में मिला दिया जाना चाहिए था, जैसा कि महाराजा ने माँग की थी।”

वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, “असुरों को मारना अच्छा है, जो निर्दोष जानवरों को मारना चाहते हैं। यह धर्म है अधर्म नहीं…”

एक ओर यूजर ने बनिया को सलाम देते हुए लिखा, “यह हिंदू आत्मा है, जो हममें चलाती रहती है। एक म्लेच्छ का वध करने के लिए सलाम।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया