जहाँ हुए बलिदान मुखर्जी…: आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पहली जयंती

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार के मुताबिक़ डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु 23 जून 1953 के दिन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी। कोई नहीं जानता कि सच क्या है, लेकिन यही जानकारी आधिकारिक तौर पर उस दौरान दी गई जब जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे।

हमारे लिए यह जान पाना लगभग नामुमकिन है कि नेहरू जी इस मुद्दे पर सच कह रहे थे या नहीं? लेकिन हम एक बात बहुत अच्छे से जान सकते हैं कि डॉ. मुखर्जी का सपना उनके साथ ख़त्म नहीं हुआ। उनका सपना पूरे 60 साल तक हमारे दिलों में मौजूद था और पिछले साल 5 अगस्त के दिन उनका यह सपना पूरा हुआ। जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया और देश की अटूट इकाई के तौर पर स्थापित किया गया।  

आज उन्हीं डॉ. मुखर्जी की जयंती है और यह कई मामलों में ख़ास है। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटने के बाद पहली जयंती। शायद इसी दिन के लिए डॉक्टर मुखर्जी ने कहा था 

एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे

उस दौर में हिन्दू महासभा और जनसंघ जैसे संगठन राजनीतिक दृष्टिकोण से उतने प्रभावी नहीं थे, लेकिन उनका एक सपना ज़रूर था। यह वह वक्त था जब न विरोध में प्रतिष्ठा थी न पैसा। न मीडिया के चीयरलीडर्स विरोध की आवाज को अपना कंधा देने को तत्पर थे। न कोई शाही स्वागत था न अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार। वह इस क्षेत्र में अपनी मर्ज़ी से आए थे और उनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ त्याग था, अंतिम समय तक उन्होंने केवल यही किया।  

डॉ. मुखर्जी ने अपने सपने के लिए हर सरकार का डट कर सामना किया। इसके लिए उन्होंने श्रीनगर तक का सफ़र तय किया और वहीं बलिदान हो गए। वहीं से एक नारा भी निकल कर आया, ऐसा नारा जो दशकों तक लोगों की ज़ुबान पर रहा,

जहाँ हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है 

पिछले साल रायपुर की एक जनसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने लाखों लोगों की भीड़ के सामने यह नारा दोहराया था।  यहाँ तक की पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज के अंतिम ट्वीट में इसी बात का ज़िक्र था।  

स्व. सुषमा स्वराज का अंतिम ट्वीट

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का कहना था कि मेरा लक्ष्य आपको भावुक करना नहीं है। हम सभी का अपनी देश की मिट्टी पर भरोसा होना चाहिए, एक दिन हम सभी ख़त्म हो जाएँगे।  हमारे पूर्वजों ने हमें यह ज़मीन दी है, हमें इसे आने वाली पीढ़ियों के हित में सुरक्षित रखना होगा। इस प्रजातंत्र के तले हमारा देश है, जो समय जितना ही पुराना है। भारत का प्रजातंत्र इसकी सबसे नई अभिव्यक्ति है।

यह तथ्य समझने के बाद एक बात साफ़ हो जाती है कि भारत को खोजने के लिए यहाँ से बाहर जाने वाले लोग, भारत को कभी समझ ही नहीं सकते हैं। सबसे अहम बात यही है कि हम अपने देश की ज़मीन किसी भी सूरत में किसी और के नाम नहीं कर सकते हैं।  

इस देश के लोगों का इस पर अटूट विश्वास है, यह किसी ज़िम्मेदारी से कम नहीं है कि उनके लिए जो सबसे बेहतर हो वही किया जाए। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटना इस देश के हर नागरिक के लिए उठाया गया सराहनीय कदम है।    

Abhishek Banerjee: Abhishek Banerjee is a columnist and author.