इस्लामी कमांडर कुंजली मरक्कर IV पर आधारित फिल्म के रिलीज होने से पहले विवाद: जानिये क्यों?

प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार: Filmibeat)

विवादास्पद मलयालम फिल्म ‘मरक्कर: अरबिकाडालिन्ते सिंघम’ (Marakkar: Arabikkadalinte Simham) इस साल 2 दिसंबर को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार है। यह फिल्म कालीकट के ज़मोरिन (वंशानुगत शासक) के चौथे मुस्लिम नौसैनिक प्रमुख (कुंजली मरकर) मोहम्मद अली की ‘वीरता’ पर आधारित है। यह अब तक की सबसे महंगी मलयालम फिल्म है, जिसका निर्माण ₹100 करोड़ के बजट में किया गया है।

फिल्म को रिलीज होने में तकरीबन 3 सप्ताह बाकी है, मगर ‘महिमामंडन’ को लेकर इससे पहले ही फिल्म कुंजली मरक्कर IV विवादों में घिर गई है। कामथ (@durga_dasa) नाम के एक ट्विटर यूजर ने बताया कि फिल्म में कुंजली मरक्कर चतुर्थ का महिमामंडन किया गया है, जिसने ज़मोरिन को धोखा दिया और बीजापुर सुल्तान एवं अन्य इस्लामवादियों की मदद से मालाबार में इस्लामी शासन स्थापित करने की कोशिश की।

कुंजली मरक्कर IV: हिंदू समूथिरियों के साथ विश्वासघात और पतन

स्वतंत्र में छपे एक रिसर्च आर्टिकल के अनुसार, ज़मोरिन (जिसे समुथिरी भी कहा जाता है) केरल के दक्षिणी मालाबार क्षेत्र में कालीकट साम्राज्य के वंशानुगत शासक थे। 16वीं शताब्दी के दौरान इस हिंदू सम्राट ने मुसलमानों को राज्य के भीतर पूर्ण स्वतंत्रता के साथ बसने और इस्लाम का प्रचार करने की अनुमति दी थी। समुथिरी ने मजबूत पुर्तगाली नौसेना के हमलों से बचने के लिए 1507 और 1600 के बीच राज्य में चार मुस्लिम नौसैनिक कमांडरों (जिन्हें कुंजली मरक्कर भी कहा जाता है) को नियुक्त किया था।

मलयालम फिल्म ‘मरक्कर: अरबिकाडालिन्ते सिंघम’ मोहम्मद अली की ‘वीरता’ पर आधारित है, जो 1595-1600 के बीच कुंजली मरक्कर IV थे। कुंजली मरक्कर दक्षिणी मालाबार क्षेत्र में उसके वीरता और ‘स्वतंत्रता सेनानी’ के रूप में जाना जाता है। हालाँकि लोगों को यह ज्ञात नहीं है कि उसने समुथिरी को धोखा दिया था। पुर्तगालियों को हराने के बाद कुंजली मरक्कर चतुर्थ अहंकारी हो गया और उसने खुद को मालाबार मुसलमानों का ‘स्वतंत्र शासक’ घोषित कर दिया।

इतिहासकार केवी कृष्णा अय्यर कहते हैं, “पहले का अंतर्निहित आत्मविश्वास और वफादारी ईर्ष्या, भय और अनिश्चितता के साथ धीरे-धीरे क्षीण हो गई थी। इसके अलावा, मोपला नायक का व्यवहार भी संकट पैदा करने वाला था। सफलता का नशा उसके सिर पर छा गया। वह खुद को मूरों का बादशाह और भारतीय समुद्रों का स्वामी बनने और कालीकट से जहाजों को रास्ता देने को लेकर विवेकहीन था। उसने ज़मोरिन के हाथियों में से एक की पूँछ काटने का भी दुस्साहस किया था। जब उससे इस बारे में पूछने के लिए नायर को भेजा गया तो उसने उसका अपमान कर जले पर नमक छिड़क दिया।”

स्वतंत्र में बताया गया है कि इस नौसैनिक कमांडर ने न केवल समुथिरी के अधिकार को चुनौती दी, बल्कि कालीकट साम्राज्य की प्रजा पर भी हमला किया था। मोहम्मद अली खुद को भारतीय समुद्र के भगवान और मोपलाओं का राजा मानता था। समुथिरी ने पुर्तगालियों के साथ एक संधि की और कुंजली मरक्कर चतुर्थ को हराया और मुस्लिम नौसैनिक कमांडरों की गाथा को यहीं समाप्त कर दिया। 500 साल बाद उसी मोहम्मद अली के विश्वासघात को आगामी फिल्म ‘मरक्कर: अरबिकाडालिन्ते सिंघम’ के रूप में सेलीब्रेट किया जा रहा है।

ट्विटर उपयोगकर्ता कामंथ (@durga_dasa) ने दीपा थॉमस का एक आर्टिकल साझा किया था, जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि कुंजली मरक्कर IV देशभक्त या साम्राज्यवाद विरोधी नहीं था, जैसा कि मीडिया में प्रचारित किया गया था। दीपा थॉमस ने कहा था कि यह बताने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि मोहम्मद अली ने धर्म को देखते हुए हिंदू समुथिरी को धोखा दिया था।

कामथ ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे मलयाली निर्देशक प्रियदर्शन और अभिनेता मोहनलाल ने अपने हिंदू नायर वंश के संबंध में फिल्म ‘मरक्कर: अरबिकाडालिन्ते सिंघम’ बनाई थी, जिसे मालाबार इस्लामवादियों के हाथों नरसंहार का सामना करना पड़ा था।

कुंजली मरक्कर चतुर्थ के परिवार ने फिल्म के खिलाफ जताई थी आपत्ति

पिछले साल मार्च में इस्लामवादी कुंजली मरक्कर IV के एक वंशज ने मलयालम फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए केरल उच्च न्यायालय का रुख किया था। याचिकाकर्ता मुफीदा अराफात मराक्कर ने फिल्म निर्माताओं पर इतिहास के विकृत संस्करण को चित्रित करने और मुस्लिम नौसेना कमांडर को ‘विकृत परिप्रेक्ष्य’ में पेश करने का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि 16वीं शताब्दी के इस इस्लामी कमांडर को एक रोमांटिक हीरो और ‘महिलाओं के साथ गाना गाने वाले डांसर के रूप में’ प्रस्तुत किया गया है। 

याचिका में कहा गया था, “फिल्म कुंजली मरक्कर में उनकी विकृत पोशाक को दिखाया गया है। वह एक धर्मपरायण मुस्लिम थे और उनका पहनावा अपने समय के मजहबी सिद्धांतों के अनुसार था। लीफलेट में उन्हें पगड़ी में भगवान गणपति की एक तस्वीर को दिखाया गया है। जैसा कि पुर्तगाली इतिहासकारों द्वारा बताया गया है, कुंजली मरक्कर और उनके 40 लेफ्टिनेंटों को पुर्तगालियों द्वारा ईसाई धर्म अपनाने पर क्षमा का वादा किया गया था, लेकिन उन्होंने धर्मांतरण के बजाय मृत्यु का विकल्प चुना। फिल्म में कल्पना को कुछ हद तक अनुमति दी जा सकती है, लेकिन मूल इतिहास को विकृत करने की नहीं।”

याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि मोहम्मद अली कुँवारा था और उसका कोई प्रेम प्रसंग नहीं था। उसने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) पर बिना सोचे-समझे फिल्म को U/A सर्टिफिकेट देने का आरोप लगाया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया