आलोचना बंद कीजिए, धोनी की सलाह महत्वपूर्ण लेकिन उनके बिना भी सक्षम हैं कप्तान कोहली

एमएस धोनी और विराट कोहली- दोनों की कप्तानी की शैली विभिन्न है

रविवार (मार्च 10, 2019) को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए वनडे मैच में भारतीय बल्लेबाजों के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद टीम को हार का सामना करना पड़ा। ओपनर्स रोहित शर्मा और शिखर धवन ने किसी भी भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया वनडे मैच में सबसे बड़ी ओपनिंग साझेदारी (188 रन) कर के ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के पसीने छुड़ा दिए। ऑस्ट्रेलिया के सामने ये स्कोर भी छोटा नज़र आया और उन्होंने 2.1 ओवर रहते जीत दर्ज की। चहल और जाधव ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के पसंददीदा शिकार रहे और दोनों ने 8 रन प्रति ओवर की दर से रन खाए। मोहाली में जीत दर्ज करने के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज बराबर कर लिया है। इन सबके बीच ऋषभ पंत को लेकर ख़ासी चर्चा हुई और विकेट के पीछे उनके ख़राब प्रदर्शन को लेकर फैंस ने उन्हें निशाना बनाया।

ऋषभ पंत युवा विकेटकीपर हैं और उनके पास अनुभव की कमी है। ये अलग बात है कि आज आईपीएल के दौर में नए क्रिकेटर्स भी काफ़ी मैच खेल लेते हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने का मौक़ा मिलता है। अब बदले ज़माने में आपसे शुरू से ही चमत्कारिक प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है। हालाँकि, पिछले कुछ टेस्ट मैचों में पंत का प्रदर्शन अच्छा रहा है और इस मैच में भी उन्होंने 36 रन की पारी खेली लेकिन भारत के पास एमएस धोनी के रूप में एक सक्षम विकेटकीपर बल्लेबाज मौजूद है, जिसके कारण फैंस का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने धोनी को आराम देने के फ़ैसले पर सवाल खड़े किए। इस सिक्के के कई पहलू हैं। आगे बढ़ने से पहले पिछले मैच के शतकवीर शिखर धवन की राय जानते हैं।

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शिखर धवन ने ऋषभ पंत का बचाव करते हुए उनके आलोचकों को फटकार लगाते हुए धोनी से उनकी तुलना न करने की सलाह दी। अगर आईपीएल को हटा कर बात करें तो 500 से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके और क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में सबसे ज्यादा संख्या में मैचों की कप्तानी कर चुके एमएस धोनी जैसे क़द के क्रिकेटर के साथ नए-नवेले ऋषिभ पंत की तुलना को धवन ने नाइंसाफी बताया। धोनी का करियर लम्बा रहा है और उनके करोड़ों फैंस भी हैं लेकिन भारत ने सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर जैसे प्रसिद्धि की चरम सीमा पर पहुँच चुके बल्लेबाजों को देखा है और हमें पता होना चाहिए कि वे भी आलोचना से नहीं बच सके थे। समय आने पर सबको जाना पड़ा।

कई न्यूज़ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि विराट कोहली सिर्फ़ और सिर्फ़ एमएस धोनी की वजह से मैच जीतते हैं और धोनी के बिना उनकी कप्तानी में वो धार नहीं रहती। आलोचक ये कहते समय भूल जाते हैं कि वे क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में से एक की बात कर रहे हैं- जिसकी तकनीक, रणनीति और सोच किसी भी समकालीन बल्लेबाज़ से ऊपर है। रही बात धोनी की उपस्थिति या अनुपस्थिति की तो बता दें कि वे अभी भारतीय टीम के सीनियर खिलाड़ी हैं और उनकी सलाह महत्वपूर्ण ज़रूर है लेकिन ऐसा नहीं है कि उनके बिना कोहली कप्तानी नहीं कर सकते या टीम नहीं जीत सकती। हम वो दौर भी देख चुके हैं जब सचिन की उपस्थिति से धोनी को ख़ासा फ़ायदा मिला करता था और मैच के बीच में वे अक़्सर सचिन की सलाह लिया करते थे। टीम में किसी भी बड़े सीनियर या धोनी अथवा सचिन के क़द के अनुभवी बल्लेबाजों की उपस्थिति से फ़ायदा मिलता ही मिलता है- यह कोई नई बात नहीं है।

पंत और धोनी की तुलना पर धवन की फटकार

विराट कोहली और एमएस धोनी की कप्तानी की शैली अलग-अलग है। उनकी फील्ड सेटिंग भी काफ़ी हद तक अलग है। राँची में हुए मैच में एमएस धोनी ने काफ़ी धीमी बैटिंग की थी और नागपुर में तो वे गोल्डन डक का शिकार हुए थे। धोनी की धीमी बल्लेबाजी कुछ स्थितियों में चिंता का विषय बन जाती है। हाँ, विकेट के पीछे वे अभी भी तेज-तर्रार हैं और बिजली माफिक चमकते हैं। लेकिन, अगर युवा विकेटकीपर बलबाज़ों को अभी से ही अच्छी तरह मौक़ा नहीं दिया गया तो उनके वनडे से रिटायर होते ही टीम संकट में फँस जाएगी। इसीलिए ज़रूरी है कि पंत जैसे क्रिकेटर्स को मौके दिए जाएँ और वो भी धोनी के रहते ताकि वे धोनी से काफ़ी कुछ सीख सकें। इसीलिए उनको आराम देने पर हंगामा मचाना सही नहीं है। यह भारतीय टीम के अच्छे भविष्य के लिए है। धोनी के साथ ड्रेसिंग रूम साझा कर पंत जैसे नए विकेटकीपर बल्लेबाज़ों को काफ़ी कुछ सीखने को मिलेगा।

अब बात करते हैं कोहली की कप्तानी की। ये कहना बिलकुल सही नहीं है कि उनकी कप्तानी सिर्फ़ और सिर्फ़ धोनी पर निर्भर है क्योंकि टेस्ट मैचों की कप्तानी में विराट कोहली के जीत का औसत एमएस धोनी से बेहतर है और उन्होंने धोनी के रिटायरमेंट के बाद कप्तानी करनी शुरू की। टेस्ट मैचों में कप्तान की रणनीति, सोच और क्षमता की अच्छी-ख़ासी परीक्षा होती है और विराट कोहली अगर उनमें सफल हुए हैं तो एकाध वनडे मैचों में धोनी के बिना मिली हार को लेकर उनको निशाना नहीं बनाया जा सकता। सावधान रहें, क्योंकि आप लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीतने वाले कप्तान की बात कर रहे हैं। यह कारनामा कोहली के अलावा सिर्फ़ करिश्माई ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ही कर सके हैं। विराट कोहली को धोनी की सलाह की ज़रूरत तो है लेकिन उनकी कप्तानी धोनी के बिना शून्य है, यह थोड़ा बचकाना सा स्टेटमेंट है।

2019 के आँकड़ों की बात करें तो एमएस धोनी ने कई बार नॉटआउट रह कर टीम की नैया पार लगाई है और पिछले दिनों के अपने ख़राब रिकार्ड्स में अच्छा सुधार किया है। लेकिन, उनकी स्ट्राइक रेट अभी भी चिंता का विषय है। धोनी को 2019 विश्व कप खेलना है और उनकी फिटनेस को ध्यान में रखते हुए ज़रूरी है कि उन्हें सही समय पर आराम देते रहा जाए। धोनी की जगह पंत जैसे एक विकेटकीपर बल्लेबाज़ को मौक़ा देना ज़रूरी है ताकि विश्व कप या महत्वपूर्ण सीरीज के दौरान अगर धोनी फिट नहीं रहते हैं तो टीम में उनकी कमी पूरी की जा सके। इसीलिए, अधीर मत होइए क्योंकि यह टीम के भले के लिए है।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.