केंद्र में हो BJP तो कंट्रोल में रहती है कीमतें, कॉन्ग्रेस राज में बढ़ती है महँगाई : आँकड़े झूठ नहीं बोलते, इसलिए 1991 से लेकर अब तक के नंबर्स आपके लिए

कॉन्ग्रेस सरकार में बढ़ती है महँगाई, BJP के सत्ता में आते ही कीमतों पर कंट्रोल (फोटो साभार: Bing AI)

मौसमी सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते विपक्ष महँगाई का ढिंढोरा पीट रहा है। शुक्रवार (7 जुलाई 2023) को कॉन्ग्रेस का समर्थन करने वाले कई सोशल मीडिया हैंडल्स ने ‘ModiFlation’  हैशटैग के साथ महँगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। दावा किया जा रहा है कि PM मोदी के सत्ता सँभालने के बाद से महँगाई में 2-3 गुना की बढ़ोतरी हुई है। साल 2013 की महँगाई से तुलना करते हुए कॉन्ग्रेस और उनके समर्थक यह कह रहे हैं कि BJP सरकार महँगाई रोकने में नाकाम रही है।

बीते कुछ हफ्तों में महँगाई बढ़ने की बात तेजी से हो रही है। हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं है कि मानसून के दौरान सब्जियों की कीमत बढ़ी हो। दरअसल, भारी बारिश के चलते किसान अपनी सब्जियाँ बाजार तक नहीं पहुँचा पा रहे हैं। साथ ही जो सब्जियाँ बाजार में पहुँचती हैं वे मौसम की मार के चलते जल्द ही खराब भी हो रही हैं। ऐसे में कीमतों का बढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन राजनीतिक पार्टियों और उनके समर्थकों को यह ‘आपदा में अवसर’ की तरह नजर आ रहा है। इसलिए वे ‘मौसमी महँगाई’ का शोर मचाकर केंद्र सरकार पर निशाना साधने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या सच में महँगाई बढ़ गई है?

महँगाई-महँगाई के शोर के बीच के आँकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि बीजेपी के सत्ता में रहते हुए महँगाई में कमी आई है। वहीं, कॉन्ग्रेस के सत्ता में आते ही कीमतें में इजाफा होना शुरू हो जाता है। बीते 10 वर्षों में भी महँगाई दर में कमी ही देखने को मिली है। महँगाई बढ़ने और घटने की सच्चाई जानने के लिए ऑपइंडिया ने साल 1991 से लेकर अब तक के विश्व बैंक के आँकड़ों का अध्ययन किया है। दूसरे शब्दों में कहें तो मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री बनने से लेकर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल तक के आँकड़ें देखे हैं।

इन आँकड़ों के अनुसार, साल 1991 से लेकर 1995 तक कॉन्ग्रेस सत्ता में थी। इस दौरान 1991 में महँगाई दर 13.90% रही। वहीं 1992 में 11.80%, 1993 में 6.33%, 1994 और 1995 में महँगाई दर 10.20 प्रतिशत थी। साल 1996 में जनता दल के सत्ता में आते ही महँगाई दर 10% के नीचे पहुँच गई। उस साल महँगाई दर 8.98 प्रतिशत थी। वहीं साल 1997 में घटते हुए 7.16 प्रतिशत पहुँच गई।

जब केंद्र में रहती है बीजेपी तो नियंत्रण में रहती है महँगाई, स्रोत: वर्ल्ड बैंक

मार्च 1998 में सत्ता बीजेपी के हाथों में आई। इस साल महँगाई दर बढ़कर 13.20% पहुँच गई। लेकिन, बाद के वर्षों में बीजेपी ने महँगाई पर ऐसा कंट्रोल किया कि एक बार भी 5% के आँकड़ों को पार नहीं कर सकी। जहाँ 1998 में महँगाई 13% से अधिक थी, वहीं 1999 में यह तेजी से गिरकर 4.67% पर पहुँच गई। इसके बाद 2000 में 4.01%, 2001 में 3.78%, 2002 में 4.30%, 2003 में 3.81% और 2004 में 3.77% रही।

इसके बाद, कॉन्ग्रेस सत्ता में आई और ‘महान अर्थशास्त्री’ मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया। साल 2005 मनमोहन सिंह के कार्यकाल का पहला वर्ष था। इस साल महँगाई दर बढ़कर 4.25% पहुँच गई। वास्तव में साल 1991 के बाद से कॉन्ग्रेस के सत्ता में रहते हुए पहली और आखिरी बार हुआ था कि महँगाई दर 5% के नीचे रही हो। साल 2006 में महँगाई 5.8% पहुँच गई। इसके बाद लगातार बढ़ते हुए 2007 में 6.37%, 2008 में 8.35%, 2009 में 10.90%, 2010 में 12%, 2011 में 8.91%, 2012 में 9.48% और 2013 में 10% रही।

मई 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। इसके कुछ महीनों बाद ही महँगाई 10% से घटकर 6.67% पर पहुँच गई। वहीं 2015 में, 5 प्रतिशत से नीचे यानी 4.91% हो गई। इसके बाद 2016 में महँगाई दर 4.95%, 2017 में 3.33%, 2018 में 3.94% और 2019 में 3.73% रही।

साल 2020 में पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही थी। ऐसे समय में तमाम देशों में महँगाई बढ़ना लाजिमी था। लेकिन भारत में अर्थव्यवस्था और महँगाई दोनों पर नियंत्रण बनाए रखा गया। वास्तव में उस साल महँगाई दर 6.62% रही। इसके बाद 2021 में 5.13%, 2022 में 6.70% रही। वहीं साल 2023 के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया का अनुमान है कि महँगाई दर 5.1% रहेगी।

इन आँकड़ों से स्पष्ट पता चलता है भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के केन्द्र की सत्ता में रहते हुए महँगाई ज्यादातर समय 5% के नीचे ही रही। वहीं 2014 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के सत्ता में आने के बाद महँगाई न केवल 5% के ऊपर रही बल्कि 10 और 12% के आँकड़ों को भी पार गई।

कॉन्ग्रेस के सत्ता में रहते हुए साल 2010 में महँगाई दर 12% पहुँच गई थी। ऐसे समय में बॉलीवुड फिल्म ‘पीपली लाइव’ में भी महँगाई के चलते देश की हालत दिखाई गई थी। यही नहीं फिल्म का गाना ‘सखी सैंया तो खूब ही कमात हैं, महँगाई डायन खाए जात है’, लंबे समय तक लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ था। दरअसल, तब महँगाई दर आज की तुलना में करीब ढाई गुना अधिक थी। बेशक आज टमाटर समेत अन्य मौसमी सब्जियों के चलते ‘मौसमी महँगाई’ अधिक नजर आ रही है। लेकिन आँकड़ों को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि महँगाई का यह शोर सिर्फ राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए मचाया जा रहा है। बीते 10 वर्षों की महँगाई की सच्चाई यह है कि साल 2013 में महँगाई 10% थी और इस साल के अंत तक 5.1% रहने का अनुमान है। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया