FIFA वर्ल्ड कप जीता अर्जेंटीना ने, लेकिन ट्रॉफी जाएगी स्विट्जरलैंड! जिस ट्रॉफी को चूम रहे थे, उसे अपने देश नहीं ले जा पाएगी मेसी की टीम

फीफा ट्रॉफी के साथ लियोनेल मेसी (फोटो साभार: Mint)

रविवार (18 दिसंबर, 2022) को फीफा विश्व कप (FIFA World Cup) के फाइनल में अर्जेंटीना ने फ्रांस को हराकर विश्व विजेता का खिताब अपने नाम किया। आपने विश्व कप जीतने के बाद लियोनेल मेसी (Lionel Messi) को फीफा ट्रॉफी उठाते हुए देखा होगा। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि मेसी यह ट्रॉफी अपने घर नहीं ले जा सकते।

फीफा ट्रॉफी के इतिहास को देखें तो, विजेता को साल 1930 से 1970 तक ऑफिशियल ट्रॉफी दी जाती थी। फीफा के तीसरे अध्यक्ष रहे जूल्स रिमेट के नाम पर इस ट्रॉफी को जूल्स रिमेट ट्रॉफी भी कहा जाता था। रिमेट ने ही साल 1928 में फुटबॉल विश्व कप की योजना बनाई थी। आज हम जो ट्रॉफी देख रहे हैं, वह 48 साल पुरानी है। दरअसल, यह ट्रॉफी साल 1974 से ट्रेंड में आई।

दरअसल, फीफा विश्वकप विजेता को ऑफिशियल या ओरिजिनल ट्रॉफी की जगह एक ऐसी ट्रॉफी दी जाती है जो ऑफिशियल ट्रॉफी की तरह ही दिखती है। यह एक डमी ट्रॉफी होती है जो ब्रॉन्ज की होती है और उस पर सोने की परत की जाती है। इस ट्रॉफी को 18 कैरेट सोने से तैयार किया जाता है, जिसका वजन 6 किलो से ज्यादा होता है। इस ट्रॉफी को विश्व कप ट्रॉफी की जगह विश्व कप विजेता ट्रॉफी कहा जाता है।

क्यों नहीं दी जाती असली ट्रॉफी

दरअसल, साल 1974 से पहले तक फीफा का नियम यह था कि जिस देश ने तीन बार विश्व कप जीता हो वह ओरिजिनल ट्रॉफी रख सकता था। यहाँ तक कि साल 1970 में तीसरी बार फीफा विश्व कप जीतने वाली ब्राजील को भी ऑरिजिनल जूल्स रिमेट ट्रॉफी दी गई थी। हालाँकि, अब जूल्स रिमेट ट्रॉफी की जगह रेप्लिका या डमी ट्रॉफी देने के पीछे की वजह यह है कि इंग्लैंड में हुए साल 1966 के विश्व कप में फीफा ट्रॉफी चोरी हो गई थी। हालाँकि, फिर इस ट्रॉफी को एक कुत्ते ने लंदन में ही ढूँढ़ निकाला था।

इसके बाद साल 1974 के फीफा विश्व कप से असली ट्रॉफी की जगह डमी ट्रॉफी देने का नियम शुरू किया गया था। हालाँकि, फीफा विश्व कप विजेता को जीत के बाद जश्न मनाने के लिए यह ट्रॉफी दी जाती है। लेकिन, इसके बाद यह ट्रॉफी स्विटरजरलैंड के ज्यूरिख में स्थित फीफा हेडक्वार्टर में रख दी जाती है।

1983 में भी चोरी हुई थी ट्रॉफी

ब्राजील ने साल 1974 में फीफा जीता था। यह ट्रॉफी ब्राजीली फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष ने रियो डी जेनेरो में एक बुलेटप्रूफ काँच की अलमारी में रखी थी। लेकिन, 19 दिसंबर, 1983 को चोरों ने हथौड़े से उस अलमारी का पिछला हिस्सा तोड़ कर ट्रॉफी निकाल ली। इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया। उन पर, मुकदमा भी चला, लेकिन ट्रॉफी नहीं मिली। ऐसा कहा जाता है कि चोरों ने इस ट्रॉफी को पिघला कर इसका सोना बेंच दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया