कहीं सरेआम उतारी गई आबरू, तो कहीं जानलेवा हमला: वो 10 मामले, जब स्कूल में ‘हिजाब’ के कारण शिक्षकों ने देखा कट्टरपंथियों का खौफनाक चेहरा

हिजाब के कारण जब शिक्षकों पर हुआ हमला (तस्वीर साभार: हिंदुस्तान टाइम्स )

पश्चिम बंगाल के एक स्कूल से कुछ दिन पहले एक मामला सामने आया था जिसमें एक टीचर को कट्टरपंथी भीड़ स्टाफ रूम में घुसकर मार रही थी। टीचर की गलती बस इतनी थी कि उन्होंने क्लास के दौरान बाहर घूम रही हिजाबी छात्रा के कान खींच उसे डाँट लगा दी थी और इसी दौरान उसका हिजाब नीचे सरक गया था। स्कूल के माहौल के लिहाज से देखें तो बात इतनी बड़ी नहीं थी। लेकिन उस छात्रा ने इस बात को अपने अभिभावकों के सामने ऐसे पेश किया जैसे ये मुद्दा ‘हिजाब’ को लेकर हुआ विवाद था। फिर क्या… कुछ ही देर में भीड़ स्कूल में आई और महिला शिक्षिका को बुरी तरह मारना शुरू कर दिया।

शिक्षिका से मारपीट और हिजाब के बदले उनके कपड़े खींचने की वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। लोगों ने इसकी निंदा की। हेडमास्टर ने टीचर के साथ जाकर शिकायत दी और कुछ लोग गिरफ्तार भी हुए। लेकिन, इस घटना के बाद एक बार फिर सवाल उठे कि क्या हिजाब इतना बड़ा मुद्दा है कि सारी नैतिकता और नियम की बातें दरकिनार कर दी जाएँ। न शिक्षक के पास छात्रों को डाँटने का अधिकार रहे और न छात्रों के मन में अपने शिक्षक लिए सम्मान हो।

इस साल फरवरी-मार्च में कर्नाटक के एक कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद तो आपको याद ही होगा। विवाद इतना बड़ा बना दिया गया था कि विदेशों से इस्लामी उलेमा माँग कर रहे थे कि भारत के स्कूलों में लड़कियों को हिजाब पहनकर आने की अनुमति दी जाए। हालाँकि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के चलते कट्टरपंथियों की ज्यादा नहीं चली और कोर्ट ने कहा कि स्कूल में यूनिफॉर्म के लिए बनाए गए नियम ही फॉलो किए जाएँ। 

कोर्ट के आदेशों के बाद और उससे पहले भी जगह-जगह कट्टरपंथी अपनी मनामानी करते दिखते हैं और जो इसे देख आपत्ति जताते हैं उनपर बंगाल की तरह ही हमला होता है। ये केवल भारत की दशा नहीं है। हर जगह जहाँ कट्टरपंथियों को लगा कि हिजाब पर उँगली उठ रही है वहाँ-वहाँ इनका उपद्रव देखने को मिला।

आज हम ऐसे ही 8-9 मामले आपको बताने जा रहे हैं जब केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी शिक्षक इसलिए हिंसा का शिकार हुए क्योंकि या तो उन्होंने हिजाब पर आपत्ति जता दी थी या फिर हिजाबी छात्रा से कुछ कह दिया था।

बंगाल में कट्टरपंथियों ने की तोड़फोड़

साल 2022 के फरवरी में जब कर्नाटक से  हिजाब विवाद उठा तब कई राज्यों में इसका असर देखने को मिला। बंगाल उन्हीं में से एक था। 12 फरवरी की खबर के अनुसार, मुर्शिदाबाद के एक स्कूल की एक छात्रा ने अपने परिजनों को बताया कि जब वह स्कूल में हिजाब पहनकर गई तो उसकी टीचर ने उसे स्कूल के अंदर जाने से रोक दिया और कहा कि ऐसे स्कूल में नहीं आना। आरोप सच थे या झूठ, इनका पता लगाए बिना छात्रा के परिजन भड़क गए और स्थानीयों के साथ स्कूल में तोड़फोड़ कर डाली। स्कूल प्रशासन लाचार बना भीड़ का उपद्रव देखता रहा और बाद में स्पष्ट कहा कि जिस आरोप के कारण ये सब हुआ वैसा असल में हुआ ही नहीं था।

हिजाब को लेकर मढ़े गए झूठे आरोपों की वजह से बांग्लादेश में शिक्षकों पर हमला

बंगाल की तरह बांग्लादेश में भी हिजाब के लिए कट्टरपंथी हमला करने को अक्सर तत्पर रहते हैं। घटना इसी मार्च में गोपालगंज उपजिला की है। वहाँ एक हिंदू शिक्षक को एक महीने तक छिप-छिप कर जीना पड़ा क्योंकि उनके विरुद्ध कट्टरपंथी अभियान चल रहे थे। उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने एक छात्रा का हिजाब हटवा दिया जबकि सच ये था कि सुनील चंद्र नाम के टीचर ने फेस मास्क का इस्तेमाल सिखाने के दौरान बच्चों को गहरी साँस लेने को कहा था।

उन्हीं बच्चों में वह छात्रा भी थी जिसने नकाब पहना था। टीचर की बात सुनने की बजाय उसने आपत्ति जताई। हालाँकि टीचर ने कहा कि शिक्षा, माता-पिता जैसे होते हैं। जिसके बाद उसने नकाब हटाकर एक्टिविटी की भी। मगर घर जाकर उसने न जाने क्या कहानी सुनाई कि उसके परिजन व अन्य कट्टरपंथी भड़क गए और टीचर को सजा देने की माँग लेकर अभियान चला दिया। बाद में बहुत बात बढ़ने पर टीचर ने बच्ची के घर जाकर सारी बात बताई और मामला शांत हुआ।

जहाँ मौजूद भी नहीं छात्रा, वहाँ को लेकर बोला झूठ

इसी तरह 29 मार्च के आसपास प्रकाश में आए एक मामले में भी ये सामने आया था कि चित्तगौंग के मीरसराय स्थित स्कूल में एक बच्ची ने पीटी पीरियड के दौरान टीचर पर हिजाब हटवाने का आरोप लगाया था। बाद में बात इतनी बढ़ गई थी कि जोरारगंज बौद्ध हाई स्कूल के हेडमास्टर तुषार कांत बरुआ को स्कूल समिति के निर्देशों के चलते स्थाई त्याग पत्र देना पड़ा था। हालाँकि जब जाँच हुई तो सामने आया कि बच्ची ने जिस जगह को लेकर दावा किया था कि वहाँ उससे हिजाब हटवाया गया, वो वहाँ थी ही नहीं।

हिजाब के अपमान का झूठा इल्जाम

इसके बाद नौगाँव में भी एक हिंदू महिला शिक्षिका पर कुछ छात्रों ने इल्जाम लगा दिया था कि उस टीचर ने उनके हिजाब का अपमान किया जबकि हकीकत बात ये थी कि हिंदू छात्रा सहित कुछ विद्यार्थियों को अनुशासनहीनता के कारण डाँट लगाई गई थी। घटना दौल बर्बाकपुर हाई स्कूल की थी। 5-6 अप्रैल को वहाँ 100-150 लोगों ने हमला किया था। स्कूल में तोड़फोड़ की घटना भी सामने आई थी

हिजाब के विरुद्ध आवाज उठाने पर हत्या

बांग्लादेश में हिजाब के नाम पर टीचर की हत्या तक के केस देखने को मिलचुके हैं। बांग्लादेश के चित्तौंग में साल 2015 में नर्सिंग पढ़ाने वाली एक हिंदू महिला टीचर अंजलि देबी चौधरी को निर्मम ढंग से मौत के घाट उतारा गया था। उनकी गलती इतनी थी कि उन्होंने नर्सिंग छात्रों के लिए हिजाब कंपल्सरी किए जाने पर आवाज उठाई थी। उनकी इसी बेबाकी के कारण जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेशी की छात्र विंग ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। उनकी लाश उनके पति को खून से लथपथ हाल में मिली थे।

फ्रांस में कानून होने के बावजूद टीचर को कट्टरपंथियों की धमकी

अगला मामला फ्रांस का है। वहाँ पर कानून होने के बावजूद कट्टरपंथी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। 22 जून 2022 की खबर के अनुसार पेरिस के चार्लमैग्ने हाई स्कूल में एग्जाम के समय कुछ छात्राएँ मुँह ढक कर पेपर देने जा रही थीं कि तभी एक शिक्षक ने उन्हें रोका और नकाब हटाने को कहा। ये छोटी सी बात धीरे-धीरे इतनी फैली की टीचर को कई जगह से जान से मारने की धमकियाँ आने लगीं और जब छात्रा से सवाल पूछे गए तो उसने कहा कि वो टीचर की बात मान लेती लेकिन उनके टीचर उनके ऊपर गुस्सा करने लगे थे। इसे देख उसने कोई बात नहीं सुनी।

कैथॉलिक स्कूल पर मुस्लिम समुदाय का हमला

28 अक्टूबर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी मालवी में कैथोलिक प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल ने कुछ महिलाओं को हिजाब पहनने से मना कर दिया था। इसके बाद स्थानीय मुस्लिमों ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई थी और देखते ही देखते Mpiri कैथॉलिक स्कूल के उस टीचर के ऑफिस को आग के हवाले कर दिया गया था । घटना मचिंगा इलाके थी जहाँ पूरे मालवी के सबसे मुस्लिम समुदाय के लोग रहते थे।

वीडियो जारी कर शिक्षकों पर लगाए गए इल्जाम

भारत की राजधानी दिल्ली में भी इस वर्ष हिजाब विवाद के कारण शिक्षकों को बदनाम होते देखा गया था। सरकारी स्कूलों के नियम जानने के बावजूद दिल्ली के मुस्तफाबाद स्कूल में कुछ लड़कियों ने कर्नाटक हिजाब विवाद के बीच हिजाब पहनने की बात कही और जब स्कूल ने मना किया तो वीडियो जारी कर आरोप लगाया कि शिक्षकों ने उसे अपमानित कर दिया है। दिल्ली में ये हाल तब देखने को मिला जब दशकों से ये नियम रहे हैं कि अगर कोई लड़की हेड स्कार्फ पहनकर आती हैं तो स्कूल परिसर में प्रवेश के बाद उसे हटाना ही होगा।

जब कट्टरपंथी छात्रों ने शिक्षिका को बुर्के के लिए नौकरी से निकलवाया

बता दें कि शिक्षकों को केवल इसलिए निशाना नहीं बनाया जाता क्योंकि वह हिजाब पहनने से रोकते हैं बल्कि कट्टरपंथी उन्हें इसलिए भी निशाना बनाते हैं क्योंकि कई बार वो हिजाब पहनने की बात नहीं मानते। घटना साल 2010 की है। कोलकाता के आलिया यूनिवर्सिटी में 8 टीचरों पर बुर्का पहनने के लिए दबाव बनाया गया था। इनमें 7 महिला टीचरें थीं जिन्होंने नौकरी के लिए ये शर्त मान ली थी, लेकिन इनमें एक ने इसका विरोध किया था। उसका कहना था कि अगर बुर्का पहनना होगा तो वो मर्जी से पहनेगी जबरदस्ती से नहीं। लेकिन कट्टरपंथी दबाव के चलते इस 1 महिला टीचर को उस कॉलेज परिसर से ही बाहर कर दिया गया था।

कट्टरपंथी हिंसा अलग-अलग

गौरतलब है कि इस खबर में शिक्षकों पर ‘हिजाब के कारण’ हुए कुल 10 मामलों का जिक्र आपको पढ़ने को मिलेगा। लेकिन, ध्यान रहे ये सूची यही नहीं खत्म होती और न ही ऐसी हिंसा सिर्फ ‘हिजाब’ के बहाने अंजाम दी जाती है। कट्टरपंथियों के लिए मुद्दे अलग-अलग होते हैं और वो हर बार सिर्फ मजहब की आड़ में खुद को जस्टिफाई करते हैं। पिछले दिनों हमने देखा था कि कैसे बांग्लादेश में कहीं एक हिंदू छात्र का समर्थन करने पर एक हिंदू टीचर के गले में जूते की माला डाली गई थी। वहीं फ्रांस में एक छोटे से झूठ की वजह से टीचर को फ्रांस में मौत के घाट उतारा गया था।