आजादी से पहले सृजित हुआ चर्चिल के लिए गोपनीय पद, बाद में भी जारी रहा CCA का पद: PM मोदी ने सुनाई सिस्टम के जड़ता की कहानी

आजादी से पहले भारत से चर्चिल को भेजा जाता था सिगार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (फरवरी 10, 2021) को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान कहा कि सत्ता में हो या विपक्ष में हर किसी को किसानों के लिए काम करने की आवश्यक्ता है। किसानों को सशक्त बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।

उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है। हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं। यहाँ राजा जनक और कृष्ण के भाई बलराम ने भी हल चलाई है। कृषि के क्षेत्र में बदलाव की आवश्यक्ता है। हमारे यहाँ संभावना है। किसानों को सही तरीके से गाइड करना होगा। कृषि में निवेश की आवश्यक्ता है। केंद्र और राज्य सरकार उतना काम नहीं कर पा रही है। किसान के बस की भी बात नहीं है।

पीएम मोदी ने सुनाया यह किस्सा

पीएम मोदी ने आज लोकसभा में बोलते हुए 40-50 साल पुरानी घटना सुनाई। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले यहाँ से चर्चिल को सिगार भेजी जाती थी। इसको लेकर पद भी सृजित किए गए थे। सीसीए (Churchill’s Cigar Assistant) का पद आजादी के बाद भी जारी रहा।

दरअसल, 60 के दशक में तमिलनाडु में राज्य के कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाने के लिए कमीशन बैठा था। उस कमेटी के चेयरमैन के पास एक लिफाफा आया, जिस पर ‘टॉप सीक्रेट’ लिखा था। उन्होंने देखा तो उसमें एक अर्जी थी। उसमें लिखा था- मैं बहुत सालों से सिस्टम में ईमानदारी से काम कर रहा हूँ लेकिन वेतन नहीं बढ़ रही है इसे बढ़ाया जाए। चेयरमैन ने लिखा कि आप कौन हो, पद क्या है। जवाब मिला कि मैं सरकार में मुख्य सचिव के कार्यालय में CCA के पद पर बैठा हूँ।

सवाल पर दिया गया यह जवाब

जब आयोग के सदस्यों ने खँगाला तो पता चला कि ऐसा तो कोई पद रिकॉर्ड पर है ही नहीं। इस मामले में आयोग के सदस्यों ने उन्हीं सज्जन से पूछा कि आप ही बताओ कि यह क्या पद है, क्या काम करते हो? उन सज्जन ने कहा कि यह तो गोपनीय जानकारी है और वह 1975 से पहले नहीं बता सकते। तब आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि यह तो बड़ी मुश्किल है। फिर आप ऐसा कीजिए कि 1975 के बाद जो आयोग बैठेगा, उसे बताइएगा।

यह था सीसीए का मतलब

बात बिगड़ती देख उस व्यक्ति ने राज खोला। उसने बताया कि सीसीए का मतलब है- चर्चिल सिगार असिस्स्टेंट। मामला कुछ यूँ था कि 1940 में जब विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे, तब उनके लिए तमिलनाडु के त्रिची (तिरुचरापल्ली) से सिगार जाते थे। ये सिगार व्यवस्थित रूप से चर्चिल तक पहुँचते रहें, इसके लिए एक पद सृजित किया गया था। 

मजेदार बात यह है कि 1945 के बाद तो विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नहीं रहे। फिर 1947 में भारत आजाद हो गया, लेकिन सीसीए का यह पद बना रहा। चर्चिल को सिगरेट पहुँचाने की जिम्मेदारी वाला पद मुख्य सचिव के कार्यालय में चल रहा था। उसने प्रमोशन और तनख्वाह के लिए चिट्ठी लिखी। दरअसल, इस घटना के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने व्यवस्था की उस सड़ांध को उजागर किया, जहाँ यथास्थिति बनाए रखने के चलते कई इसी तरह के आश्चर्यजनक और हास्यास्पद उदाहरण कायम हैं। पीएम ने कहा कि अगर हम बदलाव नहीं करेंगे तो कैसे चलेगा, इससे बड़ा क्या उदाहरण हो सकता है।

पीएम ने कहा कि चर्चिल का उदाहरण बताता है कि मानव नवीनता से जब दूरी बना लेता है तब पुरानी व्यवस्थाएँ, जिसकी काेई तार्किकता बचती नहीं है, वैसे ही पड़ी रहती है। भारत काे अगर आगे बढ़ाना है ताे ऐसी व्यवस्थाओं काे हटाना ही हाेगा और कृषि मे किए गए सुधार उसी तरफ बढ़ा एक कदम है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया