श्रीनाथ जी के निज सेवकों ने दिए ₹1.51 लाख: कोरोना आपदा के बीच आगे आए देशभर के मंदिर

श्रीनाथ जी मंदिर के 'सेवकों' ने धन जुटा कर कोरोना आपदा के बीच की वित्तीय मदद

जहाँ एक तरफ मस्जिदों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कराने में पुलिस के पसीने छूटते रहे हैं, देश भर के मंदिरों ने आगे आकर अपने-अपने स्तर से कोरोना वायरस की आपदा के बीच लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। अब श्रीनाथ जी मंदिर के सभी ‘निज सेवकों’ ने 1.51 लाख रुपए का दान कोरोना लड़ने के लिए मंदिर प्रशासन को दिया है। इस राशि को विभिन्न माध्यमों से अलग-अलग सहायता कोष में भेजा जाएगा।

इससे पहले कई मंदिर कर चुके हैं मदद

इससे पहले भी कई मंदिर सरकार की सहायता कर चुके हैं और लोगों की मदद में लगे हुए हैं। गोरखपुर के सिद्धार्थनगर काली मंदिर की दानपेटी पिछले 6 दशक से नहीं खुली थी। मंदिर ने अपनी पूरी दानपेटी ही दान कर दी। दान पात्र से निकले रुपयों को कोरोना वायरस से बचाव में खर्च किया जाएगा। ये मंदिर डुमरियागंज क्षेत्र में स्थित है। मंदिर की ओर से प्रशासन को पत्र लिख कर दानपेटी दान करने की घोषणा की गई।

श्री शिरडी साईंबाबा सनातन ट्रस्ट ने भी मंदिर की ओर से 51 करोड़ रुपए कोरोना वायरस से लड़ाई में सहायतार्थ दान किए हैं। मंदिर ने महाराष्ट्र मुख्यमंत्री राहत कोष में ये धनराशि दान की। महाराष्ट्र में कोरोना के कारण स्थिति सबसे ज्यादा बदतर है। ऐसे में शिरडी मंदिर का आगे आना ये दिखाता है कि मंदिर-मठ इत्यादि देश के लिए सजग हैं। इससे पहले पटना स्थित महावीर मंदिर ने बिहार के मुख्यमंत्री राहत कोष में 1 करोड़ रुपए दान किए थे।

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महावीर मंदिर के न्यास किशोर कुणाल ने कहा कि ये कोई पहला मौका नहीं है कि मंदिर ने ऐसा किया हो, इससे पहले विभिन्न आपदाओं के दौरान मंदिर ऐसा कर चुका है। मुजफ्फरपुर में जब चमकी बुखार का प्रकोप आया था, तब भी महावीर मंदिर ने 12 लाख रुपए की सहायता की थी। कुणाल ने कहा कि महावीर मंदिर को इन आपदाओं के दौरान राहत-कार्य करने का पुराना अनुभव है।

देवरिया के कसया रोड स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर ने भी कोरोना वायरस से उपजी आपदा के बीच जनसेवा करने का निर्णय लिया। मंदिर द्वारा रोज 200 लोगों को सुबह-शाम भोजन कराया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ग़रीबों को सुबह-शाम पूरी-सब्जी का पैकेट्स दिए जा रहे हैं। भगवान के प्रसाद के रूप में लोगों को भोजन ग्रहण करने को कहा जाता है। इसके अलावा आटा, चावल और दाल के पैकेट्स भी बाँटे जा रहे हैं।

बिहार का बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति भी इस मामले में पीछे नहीं है। मंदिर ने कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए 1 करोड़ रुपए दानस्वरूप दिए। ये राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराई गई। मंदिर समाजसेवा भी कर रहा है। गुजरात में सोमनाथ मंदिर और अम्बाजी मंदिर ने भी इतनी ही रकम, यानी एक-एक करोड़ रुपए की धनराशि कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में दिए। अम्बाजी मंदिर पिछले एक महीने से लोगों को खाना भी खिला रहा है।

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उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर द्वारा भी रोजाना कम से कम 200 लोगों की मदद की जा रही है। नाथ पीठ ने गुरु श्रीगोरक्षनाथ अस्पताल के 300 बेड, 10 वेंटीलेटर और बलरामपुर स्थित माँ पाटेश्वरी देवी शक्तिपीठ के अस्पताल के 50 बेड जिला प्रशासन को उपलब्ध कराए हैं, ताकि मरीजों के इलाज में संसाधन की कोई कमी न रहे। गोरखपुर में एक कोरोना अस्पताल बनाया जाएगा, ऐसा स्वास्थ्य विभाग ने निर्णय लिया है। इस अस्पताल में गुरु गोरक्षनाथ अस्पताल के 154 बेड्स और 4 वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जाएगा। 

मदद को आगे आए अन्य मंदिरों की सूची

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने भी कोरोना वायरस से संक्रमण से उपजी आपदा के बीच पीएम केयर्स फंड में दान दिया है। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कहा है कि अभी राम मंदिर बनने में कितने रुपए लगेंगे इसका कोई अंदाज़ा नहीं है, लेकिन मंदिर ने निर्माण से पहले ही देश के लिए 11 लाख रुपए दान देकर सनातन का महत्व दिखाया है। कुछ अन्य मंदिर, मठ व धार्मिक ट्रस्ट जिन्होंने इस आपदा की घड़ी में मदद की:

  • बाबा रामदेव और पतंजलि ट्रस्ट: योग गुरु बाबा रामदेव ने घोषणा की है कि वे प्रधानमंत्री राहत कोष में 25 करोड़ का सहयोग करेंगे। इसके साथ ही साथ पतंजलि और रूचि सोया के सभी एम्प्लॉई अपने एक दिन का वेतन भी प्रधानमंत्री कोष में दान करेंगे जो कुल मिलाकर 1.5 करोड़ बैठता है। इसके अतिरिक्त योग गुरु ने अपने हरिद्वार स्थित दोनों संस्थानों और कोलकाता, मोदी नगर-यूपी, सोलन-हिमाचल प्रदेश स्थित आश्रमों को कोरोना रोगियों के इलाज के लिए देने की घोषणा की। इन सभी स्थानों में 1500 रोगियों को आइसोलेशन में रखा जा सकता है। यहाँ जिन्हें भर्ती किया जाएगा उनके लिए भोजन की व्यवस्था भी पतंजलि करेगा।
  • स्वामीनारायण मंदिर: गुजरात भर में फैले 7 स्वामीनारायण मंदिरों ने कुल मिलाकर 1.88 करोड़ रुपए का सहयोग किया। इसके अलावा कोरोना संक्रमित मरीजों को आइसोलेशन में रखने के लिए तकरीबन 500 बेड का भी इंतजाम स्वामीनारायण ट्रस्ट ने किया है।
  • माता वैष्णो देवी मंदिर: जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर के गैर राजपत्रित स्टाफ ने जहाँ राज्य के राहत कोष में एक दिन की सैलरी देने का निर्णय लिया, वहीं ट्रस्ट के राजपत्रित स्टाफ ने अपनी दो दिनों की सैलरी राज्य के राहत कोष में दान की। इसके अतिरिक्त बोर्ड के वाइस चेयरमैन के निर्देश पर कटरा बस्ती में जरूरतमंदों के बीच राशन किटों का भी वितरण किया गया। इसके अलावा श्राइन बोर्ड ने अपने आशीर्वाद कॉम्प्लेक्स को जिला प्रशासन के लिए सौंप दिया है, जो 600 बेडों के अस्पताल के लिए काम आ सकता है।
  • महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन: महाकालेश्वर मंदिर ट्रस्ट ने कुल 5 लाख रुपए, 2.5 लाख प्रधानमंत्री राहत कोष और 2.5 लाख मुख्यमंत्री राहत कोष में दान किए।
  • माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट, विलासपुर, छत्तीसगढ़: मंदिर ने मुख्यमंत्री सहायता कोष में 5 लाख 11 रुपए दान किए और रेडक्रॉस सोसायटी को कोरोना के खिलाफ अभियान में 1 लाख 11 हजार दान किए।
  • श्री नित्य चिंताहरण गणपति मंदिर ट्रस्ट: रतलाम मध्य प्रदेश के गणपति मंदिर ट्रस्ट ने भूखों को खाना खिलाने के लिए 1 लाख 11 हजार का दान किया।
  • इसके अलावा सिद्ध विनायक मंदिर रक्त संकलन करने में अपना योगदान देगा।

इस तरह आप देख सकते हैं कि कैसे मंदिरों, मठों, धार्मिक ट्रस्टों ने कोरोना वायरस संक्रमण की इस आपदा में सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए न सिर्फ़ राहत-कार्य में अपना सबकुछ झोंक दिया, बल्कि वित्तीय मदद भी की। चाहे वो शिरडी साईं मंदिर हो या फिर देवरिया का बालाजी मंदिर। सभी छोटे-बड़े मंदिरों ने अपने-अपने स्तर से मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया