राजीव ने ‘शाही छुट्टियों’ के लिए तो नेहरू ने लेडी माउंटबेटन के ‘सम्मान’ में किया था नेवी वॉरशिप का निजी उपयोग

जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गाँधी और उनके बच्चे संजय और राजीव के साथ (फोटो साभार: भारत सरकार, फोटो डिविजन)

प्रधानमंत्री मोदी के कल एक खुलासे ने चुनावी माहौल में तब हलचल मचा दी जब उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे राजीव गाँधी ने अपने निजी उपयोग के लिए भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विराट का इस्तेमाल किया। युद्धपोत का उपयोग गाँधी परिवार को 10 दिनों की लंबी छुट्टी के लिए लक्षदीप द्वीप समूह के एक छोटे से निर्जन द्वीप पर एक निजी टैक्सी की तरह ले जाने के लिए किया गया था।

पीएम ने 1987 में गाँधी परिवार की छुट्टी का जिक्र किया। मेहमानों की सूची में राजीव गाँधी के साथ, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, प्रियंका और उनके चार दोस्त, सोनिया गाँधी की माँ, उनके भाई और एक मामा शामिल थे। साथ ही तब के सांसद अमिताभ बच्चन, उनकी पत्नी जया बच्चन और उनके बच्चे, अमिताभ के भाई अजिताभ की बेटी और पूर्व मंत्री अरुण सिंह के भाई बिजेंद्र सिंह की पत्नी और बेटी भी मौजूद थे। छुट्टी का स्थान बंगारम था, जो लक्षद्वीप द्वीपसमूह में एक छोटा निर्जन द्वीप है। उस समय भारतीय नौसेना के एकमात्र वाहक आईएनएस विराट का इस्तेमाल गाँधी परिवार और उनके साथियों के परिवहन के लिए किया गया था, जो इस छुट्टी के लिए 10 दिनों के लिए अरब सागर में चले गए थे। बता दें कि एक विमान वाहक युद्धपोत अकेले समुद्र में नहीं चलता है, यह हमेशा कई युद्धपोतों से घिरा रहता है। यहाँ तक ​​कि एक पनडुब्बी भी यात्रा के दौरान मौजूद थी। इसका मतलब इस शाही छुट्टी का खर्च बहुत तगड़ा था।

जैसा कि द्वीप निर्जन था, मेहमानों के लिए आवश्यक सभी चीजों को अन्य स्थानों से ले जाने की भी आवश्यकता थी। लक्षद्वीप प्रशासन ने 10-दिवसीय अवकाश के लिए सभी शाही इंतज़ाम किए, और इस उद्देश्य के लिए लक्षद्वीप प्रशासन के हेलीकॉप्टर को सेवा में लगाया गया।

नई पीढ़ी के लिए यह खुलासा ही अपने आप में आश्चर्यजनक है। लेकिन आपको जानकर और हैरानी होगी कि अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए नौसेना की संपत्ति का उपयोग करने की परंपरा राजीव गाँधी द्वारा शुरू नहीं की गई थी। कायदे से जवाहरलाल नेहरू ने इस चलन की शुरुआत की थी। राजीव ने तो इस ‘पुश्तैनी’ परंपरा को बस आगे बढ़ाया था।

प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सबसे पहले ऐसी शाही परंपरा की शुरुआत करते हुए INS देल्ही (INS Delhi) का इस्तेमाल अपने परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाने के लिए किया था। उसकी अब जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनसे भी यह बात साफ पता चलती है कि नेहरू ने उस आईएनएस देल्ही का इस्तेमाल किया था, जो 1933 में नौसेना के लिए बनाया गया एक हल्का क्रूजर था। इसे ब्रिटिश राज में एचएमएस अकिलिस के नाम से जाना जाता था। 1950 में अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए इसी वॉरशिप का इस्तेमाल नेहरू ने किया था।

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इन फोटोज में नेहरू के साथ इंदिरा गाँधी और उनके बच्चों संजय गाँधी और राजीव गाँधी की मौजूदगी को देखा जा सकता है।

1950 में ही भारतीय नौसेना की संपत्ति का दुरुपयोग करने की परंपरा जवाहरलाल नेहरू के साथ शुरू हुई थी। यह एक ऐसी घटना है, जिस पर शायद ही कभी बात की गई हो, जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि किस तरह नेहरू के पूरे परिवार ने अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए भारतीय संपत्ति के निजी इस्तेमाल की अनोखी परंपरा की शुरुआत की थी।

जवाहरलाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन के बीच का संबंध कोई रहस्य नहीं है। एक लेख में माउंटबेटन को “आदमखोर” तक कहा गया था। यहाँ “आदमखोर” से संबंध उनके पर-पुरुष प्रेम से था। डेली मेल ने अपने इस आर्टिकल में बताया है कि कैसे माउंटबेटन को नेहरू से प्यार हो गया था और कैसे उनके बच्चों के प्रति वो समय-समय पर प्रेम प्रदर्शित करते रहते थे।

माँ एडविना को लेकर उनकी बेटी पामेला ने कहा, “वह पंडितजी (नेहरू) में साहचर्य और समझ को देखती है, जिसके लिए वह तरसती थी। दोनों ने एक-दूसरे के अकेलेपन को दूर करने में मदद की।”

एडविना की इच्छा समुद्र में दफन होने की थी और जब 1960 में उनकी मृत्यु हुई, तो उनके शव को पोर्ट्समाउथ लाया गया। प्रिंस फिलिप की माँ, ग्रीस की राजकुमारी एंड्रयू सहित परिवार के लोगों के साथ ताबूत को एचएमएस “वेकफुल” पर सवार किया गया था। कैंटरबरी के आर्कबिशप, लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी दो बेटियाँ भी राजकुमार प्रिंस फिलिप के साथ थीं। पोर्ट्समाउथ से 12 मील की दूरी पर, ‘वेकफुल के’ इंजनों को रोक दिया गया था, और अंतिम शब्द बोले गए। फिर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

जब 59 वर्ष की आयु में एडविना की मृत्यु 1960 में हुई तो सरकारी खर्चे पर लेडी माउंटबेटन को ऐसी श्रद्धांजलि देने की व्यवस्था की गई थी। उनकी इच्छा के अनुसार लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा उन्हें समुद्र में दफन किया गया। ऐसे में नेहरू भी पीछे नहीं रहे। नेहरू ने भारतीय नौसेना के फ्रिगेट आईएनएस त्रिशूल को एस्कॉर्ट के रूप में और साथ ही उनकी याद में पुष्पांजलि देने के लिए भेजा।

लेडी माउंटबेटन की बेटी लेडी पामेला हिक्स का कहना है, “1960 में उनकी मृत्यु पर, एडविना को उनकी इच्छा के अनुसार समुद्र में दफनाया गया था। जब उनका शोक संतप्त परिवार घटनास्थल पर माल्यार्पण के बाद हट गया, तो भारतीय फ्रिगेट आईएनएस त्रिशूल उस जगह पर आया और पंडितजी के निर्देशों के अनुसार मैरीगोल्ड के फूलों से उस पूरे एरिया को आच्छादित कर दिया गया था।”

दिलचस्प बात यह है कि पीएम मोदी द्वारा राजीव गाँधी का उल्लेख किए जाने के बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ऐसी ही एक कहानी के बारे में ट्वीट किया।

https://twitter.com/Swamy39/status/1126321064915623936?ref_src=twsrc%5Etfw

स्वामी ने कहा कि उनके ससुर, जेडी कपाड़िया 1950 के दशक में रक्षा सचिव थे। उन्होंने नेहरू के ‘यूरोपीय महिला मित्र’ को एयरफोर्स के विमान का उपयोग करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। स्वामी ने कहा कि इस घटना के बाद उनके ससुर का तबादला कर दिया गया था और अगले रक्षा सचिव ने ऐसा करने की अनुमति दे दी थी।

नेहरू-गाँधी परिवार ने लंबे समय से भारत और उसकी संपत्ति को अपनी निजी संपत्ति माना है। चाहे राजीव गाँधी छुट्टी के लिए नौसेना के जहाज का उपयोग कर रहे हों, या जवाहरलाल नेहरू ऐसा ही कर रहे हों, या फिर उन्होंने एडविना की मृत्यु के बाद समुद्र में मेरीगोल्ड बिखेरने के लिए नौसेना के जहाज का उपयोग किया हो। सरकारी और देश की संपत्ति को अपनी बपौती समझ कर इस्तेमाल करने का इस परिवार का इतिहास बहुत पुराना है। और भी सच्चाइयाँ हैं जो इतिहास के आगोश में हैं। जब भी उन्हें कुरेदा जाएगा, गाँधी परिवार के ‘कुकर्मों’ का अंगार फूट पड़ेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया