सेक्युलर रोग वाले पाकिस्तान प्रेमियो… क्रिकेट छोड़ खिलाड़ियों संग लौट गए थे सचिन, श्रीकांत पर बीच मैदान हुआ था हमला

पाकिस्तान में क्रिकेट मतलब सचिन, श्रीकांत जैसे 'काफिर' पर हमला

पुरुषों की भारतीय क्रिकेट टीम ने क्रिकेट विश्वकप प्रतिस्पर्धा में पाकिस्तान की पुरुष क्रिकेट टीम को पराजित कर दिया है। यह एक प्रकार से एकतरफा मैच रहा था। परन्तु यहाँ पर बात हार-जीत की नहीं, उस व्यवहार की की जा रही है, जो हमारे पुरुष भाइयों के साथ पाकिस्तान में हुआ था, जब वह लोग पाकिस्तान में खेलने गए थे।

भारत के अहमदाबाद में जिस प्रकार से पाकिस्तान की क्रिकेट टीम का स्वागत किया गया, उसने कई लोगों को नाराज कर दिया। पुरुष आयोग जैसा संगठन भी नाराज हो गया। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब क्यों और कैसे हो गया? क्या चंद पैसों का लालच इस सीमा तक है कि सीमा पर पाकिस्तान के हाथों प्राण गँवाते हुए अपने सैनिक नहीं दिखाई दे रहे? क्या इस सीमा तक क्रिकेट का उन्माद बढ़ गया है?

लोग गुस्से में थे! और यह गुस्सा कोई व्यक्तिगत गुस्सा नहीं था, बल्कि यह गुस्सा बहुत बढ़कर था क्योंकि यह हमारे भाइयों, बेटों और उससे बढ़कर पाकिस्तान में हिन्दू बेटियों से जुड़ा था। यह इससे भी जुड़ा था कि पाकिस्तान में लगभग रोज ही हिन्दू बेटियों का अपहरण और जबरन निकाह हो रहा है और हम यहाँ पर उन लोगों का स्वागत सत्कार करते हैं, और तो और अपनी बेटियों के नृत्य से स्वागत करते हैं!

यह तमाम बातें पुरुष आयोग को और पुरुष आयोग की अध्यक्ष होने के नाते मुझे भी परेशान कर रही थीं। आखिर ऐसी क्या विवशता थी कि एक मैच को इतना विशेष बना दिया गया? जब हम क्रिकेट की बात करते हैं तो इस स्वागत पर इसलिए भी हैरानी हो रही थी क्योंकि इंटरनेट पर कई ऐसी तस्वीरें बिखरी थीं, जो उस अपमान को दिखा रही हैं, जो हमारे भाइयों अर्थात हमारी टीम के खिलाड़ियों पर पाकिस्तान में हुए हमले को दिखाती हैं।

1989 में पाकिस्तान गई भारतीय टीम के कप्तान पर पाकिस्तान के लोगों ने मैदान पर हमला किया था।

भारतीय क्रिकेट टीम के तब के कप्तान श्रीकांत पर हमला करता पाकिस्तानी युवक

भारत की टीम जब वर्ष 1997 में पाकिस्तान गई थी, तो उस समय पाकिस्तान के लोगों द्वारा भारत के खिलाड़ियों पर दर्शक दीर्घा से पत्थर फेंके गए थे।

उस समय भारत के कप्तान सचिन तेंदुलकर थे और जब भारतीय खिलाड़ियों पर चार बार पत्थर फेंके गए, तो सचिन ने यह कहते हुए आगे खेलने से इंकार कर दिया था कि वह अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा की कीमत पर खेल नहीं सकते।

इस पर पाकिस्तान की पारी को वहीं रोक दिया गया था। उस समय पाकिस्तान की पारी के 47.2 ओवर हुए थे। भारत के लिए मैच 47 ओवर का कर दिया था और भारत ने वह मैच तीन गेंदे शेष रहते हुए जीत लिया था।

यह व्यवहार हमारे भाइयों के साथ पाकिस्तान में किया जाता है और भारत में जब पाकिस्तान टीम आई तो उसके इस्तकबाल में इतना इंतजाम!

सच कहा जाए तो सभी का दिल दुःख गया। हाँ, यह बात सच है कि एकतरफा मैच की विजय ने इस दुःख को कुछ कम कर दिया, परन्तु अपने भाइयों के उस अपमान पर दिल दुखता तो है ही।

और यह दुःख तब और बढ़ जाता है जब हम देखते हैं कि भारत की सेक्युलर ब्रिगेड के लिए मोहम्मद रिजवान का मैदान में नमाज पढ़ना अपने मजहब के प्रति समर्पण है तो वहीं दर्शकों का जय श्री राम के नारे लगाना साम्प्रदायिकता या कहें असहिष्णुता?

उनके लिए असहिष्णुता की सीमा इतनी एकतरफा क्यों है?

Barkha Trehan: Activist | Voice Of Men | President, Purush Aayog | TEDx Speaker | Hindu Entrepreneur | Director of Documentary #TheCURSEOfManhood http://youtu.be/tOBrjL1VI6A